आईआईटी-जेईई - एक कठिन चुनौती
पहले चरण में कैसे पाएँ सफलता?
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नवीन गुप्ता (डायरेक्टर, मास्टर माइंड क्लासेस) विश्व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक परीक्षा मानी जाती है आईआईटी-जेईई की परीक्षा। इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी करने वाला हर विद्यार्थी खुद को एक आईआईटीयन के रूप में ही देखना चाहता है। हर साल करीब दो लाख विद्यार्थी इस परीक्षा में भाग लेते हैं, जिनमें से केवल 3000 छात्र ही अपने इस सपने को सच कर पाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि दो लाख छात्रों में से मात्र तीस हजार छात्र ही अपने इस सपने को सच क्यों कर पाते हैं? इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए विद्यार्थी सारे प्रयत्न करते हैं परंतु सफलता उन्हें ही मिलती है, जिनकी रणनीति सटीक होती है। सामान्यतः छात्र इस दुविधा में फँसा होता है कि वह इस परीक्षा की तैयारी कब से शुरू करे? हर विद्यार्थी के पास तीन विकल्प होते हैं- -
बारहवीं के बाद ड्रॉप लेकर तैयारी का प्रारंभ। -
ग्यारहवीं के दौरान पढ़ते हुए तैयारी का प्रारंभ। -
बारहवीं में पढ़ते हुए तैयारी का प्रारंभ। |
विश्व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक परीक्षा मानी जाती है आईआईटी-जेईई की परीक्षा। इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी करने वाला हर विद्यार्थी खुद को एक आईआईटीयन के रूप में ही देखना चाहता है। |
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वर्तमान में आईआईटी-जईई के आधुनिक पैटर्न के अनुसार छात्रों के लिए परीक्षा देने के केवल दो अवसर ही हैं। पहला जब वह बारहवीं की पढ़ाई कर रहा हो और दूसरा जब वह बारहवीं की परीक्षा पास कर चुका हो। ऐसा स्थिति में इस परीक्षा की तैयारी शुरू करने का बेहतर समय बेहतर समय है दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना। दसवीं पास करने के बाद जहाँ विद्यार्थी पूरी तरह से तरोताजा होता है, वहीं उसमें इस चुनौती के लिए पर्याप्त जोश होता है। यदि किसी विद्यार्थी के बेसिक कंसेप्ट क्लियर हैं तो उसे कभी किसी तरह की परेशानी का सामना न हीं करना पड़ेगा। बस आवश्यकता है तो सही रणनीति व कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की, जिससे पहली बार में ही इस परीक्षा में सफलता पाई जा सके। इसलिए इस परीक्षा के लिए पहले ही एक मजबूत रणनीति बना लीजिए और कुछ बातों पर अवश्य ध्यान दीजिए- आत्मविश्वास- शुरुआत हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण व आत्मविश्वास के साथ होनी चाहिए। परीक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की दुविधा न रखें। 'आप सबकुछ कर सकते हैं...' इस बात पर विश्वास रखें।
शीघ्र तैयारी प्रारंभ करें- इस परीक्षा की प्रारंभिक तैयारी कक्षा ग्यारह से ही प्रारंभ कर देनी चाहिए। टॉप 100 में से अधिकतर छात्र ऐसे ही होते हैं, जो अपनी तैयारी कक्षा ग्यारह से ही प्रारंभ कर देते हैं। सही मार्गदर्शक- परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग व पत्राचार पाठ्यक्रम का चयन करते वक्त पहले पूरी जानकारी एकत्रित कर लें, इसके बाद ही चयन करें। केंद्रित रहें- एक साथ कई कोर्स या किताबों की बजाय अपने सीनियर से सलाह लेकर किसी एक कोर्स से ही तैयारी प्रारंभ कीजिए, जिससे आप भ्रमित न हों। पढ़ाई का टाइमटेबल बनाएँ- किसी भी परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अपनी प्लानिंग पुख्ता रखिए। टाइमटेबल तैयार कीजिए और अपने ध्येय को केंद्र में रखकर इस टाइमटेबल पर अमल करना शुरू करें। अपनी कमजोरी पहचानें- उन विषयों व टॉपिक्स को अलग करें जिन्हें समझने में आपको मुश्किल होती है। उस पर अधिक समय दें व अपनी कमजोरी को समाप्त कर डालें।क्वांटिटी पर नहीं क्वालिटी पर ध्यान दें- आप कितने सवाल हल कर रहे हैं इससे अधिक आवश्यक है कि आप कैसे सवाल हल कर रहे हैं। इसलिए ऐसे सवालों का अधिक प्रयास करें जिन्हें हल करने में आपको दिक्कत हो सकती है। जुझारू रवैया रखें- किसी भी प्रश्न को छोड़ने के बजाय उसे हल करने का प्रयास करें और इस प्रश्न के प्रति जुझारू रवैया रखें। इतना ही नहीं, यदि आपको किसी प्रश्न के हल की कोई और विधि भी मिल गई है, तो उस पर भी भलि-भाँति विचार करें।अपने तैयारी को परखें- कुछ निश्चित समय पर स्वयं ही अपनी परीक्षा लें और परखें कि आप कितने पानी में हैं। आपका ध्येय न केवल आपकी परफॉर्मेंस को परखना होना चाहिए बल्कि आप अपने मजबूत व कमजोर क्षेत्रों पर भी गौर करें। आप स्वयं की जितनी अधिक परीक्षा लेंगे, आपके लिए उतना ही बेहतर होगा। इसके साथ-साथ ही अपने सहपाठियों व साथियों से विषयों पर चर्चा करते रहें और तैयारी की आधुनिक तकनीकी की जानकारी रखें।