गुरु-मंत्र : चलिए आज से शुभ-शुभ सोचें!
विवेक कुमार
आपने कितनी बार अपने आपसे ही यह कहा होगा 'जिस तरह से मैं योजना बनाता हूं, वह कभी काम नहीं आती', 'मैं कभी डेड लाइन पर काम पूरा नहीं कर सकूंगा', 'मैं हमेशा काम बिगाड़ देता हूं'। इस किस्म की बातें जो आप अपने अंदर ही अंदर करते हैं उनसे ज्यादा कोई दूसरी चीज आपके जीवन को दिशा नहीं देती। आपको पसंद हो या न हो, तथ्य यह है कि आप अपनी जीवन यात्रा अपने विचारों के अनुसार ही पूरी करते हैं। अगर आपके विचारों में उदासी और कष्ट भरे हैं तो आप उसी तरफ जा रहे हैं क्योंकि नकारात्मक शब्द आत्मविश्वास को ध्वस्त कर देता है। इससे न हौसला बढ़ता है और न मदद मिलती है। अगर आप अच्छा महसूस करना चाहते हैं तो अच्छा सोचें भी। इस तरह से-अपने विचारों को दुरुस्त करें अपने नए थैरेपिस्ट से सुमन ने पहला वाक्या यह कहा- 'मैं जानती हूं आप मेरी मदद नहीं कर सकते डॉक्टर, मैं पूरी तरह से टूट चुकी हूं। मैं कार्यस्थल पर हमेशा गलतियां करती रहती हूं और मुझे यकीन है कि नौकरी से निकाल दी जाऊंगी। कल ही मेरे बॉस ने बताया कि मेरा ट्रांसफर हो गया है। उनके अनुसार यह प्रमोशन है, लेकिन अगर मैं अच्छा काम कर रही थी तो फिर ट्रांसफर क्यों किया?'आहिस्ता-आहिस्ता सुमन की कहानी खुलने लगी। उसने दो साल पहले एमबीए किया था और उसे अच्छा वेतन मिल रहा था। जाहिर है यह असफलता नहीं थी। पहली मीटिंग के बाद सुमन के थैरेपिस्ट ने उससे कहा कि वह अपने विचारों को लिखे, विशेषकर रात में जब उसे सोने में कठिनाई हो रही हो। अगली मीटिंग में सुमन की सूची में शामिल था, 'मैं वास्तव में स्मार्ट नहीं हूं। मैं तुक्के में ही आगे बढ़ गई हूं। कल तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी क्योंकि अब से पहले मैंने कोई मीटिंग चेयर नहीं की है। आज सुबह बॉस ने मुझे बहुत गुस्से में देखा, मैंने क्या कर दिया था?' सुमन ने स्वीकार किया, 'अकेले एक दिन में मैंने 26 नकारात्मक विचार लिखे। इसलिए आश्चर्य नहीं है कि मैं हमेशा थकान व डिप्रेशन महसूस करती हूं।' सुमन के डर और अंदेशों को जब जोर से पढ़ा गया तब उसे एहसास हुआ कि वह काल्पनिक हादसों पर कितनी अधिक ऊर्जा बर्बाद कर रही है। अगर आप उदास महसूस कर रहे हैं तो निश्चित रूप से आप अपने तक नकारात्मक संदेश पहुंचा रहे हैं। आपके सिर में जो शब्द उठ रहे हैं, उन्हें सुनो। उन्हें जोर से बोलो या लिख लो ताकि नकारात्मक विचारों को पक़डने में मदद मिले।