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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 14 मार्च 2012 (19:40 IST)

रेलवे के निजीकरण का दस्तावेज है बजट-कैट

रेल बजट
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देशभर के व्यापारियों के संगठन ‘कैट’ ने कहा है कि रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी द्वारा पेश 2012-13 का रेल बजट रेलवे के निजीकरण का दस्तावेज है

कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि रेल बजट में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत भारतीय रेल को बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े औद्योगिक घरानों के हाथों सौंपने की तैयारी है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीय ने कहा कि रेल बजट रेल मंत्री द्वारा तैयार बजट नहीं है, बल्कि इसे योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना से पहले स्वयं तैयार किया है।

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक बयान में कहा कि रेल किराया दरों में 10 से 15 फीसदी की वृद्धि आम आदमी की कमर तोड़ने वाली है। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड के एक सदस्य को पीपीपी मॉडल के तहत मार्केटिंग के काम पर लगाने का प्रस्ताव यह दिखाता है कि सरकार रेलवे को वैश्विक कंपनियों और बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सौंपना चाहती है।

खंडेलवाल ने कहा कि रेलवे स्टेशनों का हवाई अड्‍डों की तर्ज पर विकास का प्रस्ताव बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबदबे को दर्शाता है। कैट ने कहा कि अरबों डॉलर का रेलवे का कैटरिंग कारोबार वैश्विक कंपनियों के हाथों में चला जाएगा। रेल मंत्री पहले ही इसके लिए वैश्विक निविदा निकालने की बात कह चुके हैं। (भाषा)