अरमान अली (बोमन ईरानी) मुंबई में एक सीनियर एक्जीक्यूटिव्ह का ड्रायवर है। उसकी पत्नी का देहांत हो चुका है। उसकी एक टीनएज बेटी मुस्कान अली (मिनिषा लांबा) है। मुस्कान अपने चाचा रहमान अली और चाची सलमा अली (इला अरुण) के साथ हैदराबाद के निकट एक गाँव में रहती है।
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अरमान अली ऊपर वाले से बहुत डरता है और हमेशा कोशिश करता है कि उससे सभी खुश रहें। मुस्कान पढ़ी-लिखी लड़की है और सच बोलने से नहीं घबराती। आरिफ अली (समीर दत्तानी) से उसका खट्टा-मीठा रिश्ता है।
अरमान को अपनी बेटी की शादी की चिंता है इसलिए वह छुट्टी लेकर घर जाता है ताकि उसके लिए अच्छा-सा पति चुन सके। तीन महीने बाद जब वह काम पर वापस लौटता है तो उसे नौकरी से निकालने की बातें होने लगती हैं। लेकिन अरमान के पास उन्हें बताने के लिए एक कहानी है।
जो कहानी वह उन्हें बताता है वो ऐसी मजेदार घटनाओं से भरी पड़ी है जिसकी वजह से उसे लौटने में देरी होती है। वह एक सरकारी योजना का लाभ उठाता है जिसके तहत उसकी जमीन में कुआँ खोदा जाता है।
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लेकिन कुछ ऐसी घटनाएँ घटती हैं और हालात इतने बुरे हो जाते है कि सरकार गिरने की नौबत आ जाती है। लेकिन सवाल यह है कि उसकी यह रोचक कहानी कितनी सच्ची है।
यह फिल्म एक राजनीतिक व्यंग्य है। कॉमेडी के सहारे उन विडंबनाओं पर प्रकाश डाला गया है जिनमें सरकार जनता की भलाई के लिए परियोजनाएँ शुरू करती है लेकिन भ्रष्टाचार के वजह से उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाता।