करण राजदान की फिल्म ‘मित्तल वर्सेस मित्तल’ पुरुष-महिला के रिश्तों की बात करती है, खासकर शादी में। विवाह के बाद पुरुषों को पूरी आजादी मिल जाती है और वह अपनी पत्नी के साथ जो चाहे, जब चाहे मनमाना व्यवहार करता है। कई पत्नियाँ उनके इस अत्याचार का शिकार होती हैं, लेकिन इसकी चर्चा वे चाहकर भी नहीं कर पातीं। फिल्म में पत्नी अपने पति पर बलात्कार का आरोप लगाती है और इस मामले में कानून उसकी कितनी मदद करता है, यह दिखाया गया है।
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हर लड़की की तरह मिताली (ऋतुपर्णा सेनगुप्ता) का भी सपना है कि एक राजकुमार जैसा नौजवान उसका पति बनेगा, जो उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करेगा। मिताली एक मॉडल है और एक दिन उसकी मुलाकात करण मित्तल (रोहित रॉय) से होती है।
करण की गिनती देश के अमीरों में होती है। मिताली एक मिडिल क्लास परिवार से है और करण की लाइफ स्टाइल से उसकी तुलना नहीं हो सकती है। दोनों में आर्थिक रूप से भारी अंतर होने के बावजूद करण को मिताली पसंद आ जाती है। करण ने अब तक जो चाहा है वो पाया है। वह मिताली के घर शादी का प्रस्ताव लेकर जाता है। मिताली और उसके परिवार वाले शादी के लिए राजी हो जाते हैं।
करण के घर में पत्नी के रूप में मिताली के सपनों को बिखरने में ज्यादा देर नहीं लगती। उसकी सास करण और उसके बीच गलतफहमियाँ पैदा करती है। करण अपनी माँ का कहना मानता है और मिताली के साथ दुर्व्यवहार करता है।
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दिन में जमाने के सामने अपनी पत्नी को चाहने वाला यह पति रात को बेडरूम में राक्षस बन जाता है। वह अपनी पत्नी से बलात्कार करता है। उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर मिताली उससे लड़ने का फैसला करती है।
वह करण का घर छोड़ देती है और अपने पति के खिलाफ मामला दर्ज करवाती है। उसका केस लड़ती है करुणा माहेश्वरी (सुचित्रा कृष्णमूर्ति)। करण की ओर से हरीश सालुंके (गुलशन ग्रोवर) लड़ता है। कोर्ट में मित्तल बनाम मित्तल की लड़ाई शुरू हो जाती है।
क्या कानून मिताली की मदद करता है, जानने के लिए देखना होगी ‘मित्तल वर्सेस मित्तल’।