निर्माता : ए. सिंह निर्देशक : दीपक कुमार बंधु संगीत : हनीफ शेख, बप्पी-टुटुल कलाकार : अमर सिधु, सुमोना चक्रवर्ती, अनंत जोग, नागेश भोसले, मुश्ताक खान, नवनी परिहार
अर्जुन एक प्रशिक्षित हत्यारा है। उसका निशाना कभी नहीं चूकता। वह अपने शरीर को हथियार की तरह उपयोग में लाता है और तेज दिमाग से वह इस हथियार का बखूबी उपयोग करता है।
विक्टर अपराध की दुनिया का बादशाह है। कांट्रेक्ट लेकर वह लोगों की हत्या करवाता है। अर्जुन को उसने अपने बेटे की तरह पाला है। उसने अर्जुन को कभी किसी से दोस्ती नहीं करने दी, इसके बावजूद अर्जुन की जिंदगी में मानसी आ जाती है।
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मानसी को अर्जुन चाहने लगता है और उसकी खातिर वह अपराध की दुनिया को छोड़ना चाहता है। एक तरफ उसका प्यार है और दूसरी ओर विक्टर के प्रति वफादारी। वह निर्णय नहीं ले पाता।
अमेरिका में विक्टर को बताए गए एक काम को खत्म कर अर्जुन वापस लौटता है और मानसी की खातिर विक्टर को छोड़ने का निर्णय वह लेता है।
भारत से भागा हुआ खतरनाक ओरियन ग्रीस से 30 वर्ष बाद भारत लौटता है। उसके बेटे को कमिश्नर श्याम सिंह ने मार दिया था और वह कमिश्नर से बदला लेना चाहता है। कमिश्नर को मारने का कांट्रेक्ट वह विक्टर को देता है और विक्टर यह काम अर्जुन को सौंपता है।
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इधर अर्जुन को दो बातें पता चलती हैं। एक, कि वह पिता बनने वाला है और दूसरी ये कि श्यामसिंह के बेटे को उसने ही मारा था। वह पिता के दर्द को महसूस करता है। विक्टर उसे कहता है कि वह उसके लिए यह आखिरी काम कर दे।
अर्जुन निर्णय नहीं ले पाता है। उसके करियर का यह आखिरी और जिंदगी का पहला डिसीजन है। वह क्या फैसला करेगा, इसका जवाब फिल्म में मिलेगा