मस्तराम एक फिक्शनल बायोग्राफी फिल्म है। राजाराम (राहुल बग्गा) एक छोटे शहर में रहता है। वह एक बैंक में क्लर्क है। उसकी इच्छा है कि वह दिल्ली जाए और एक लेखक के रूप में नाम कमाए। लिखने के प्रति उसकी चाहत को देखते हुए उसकी पत्नी रेणु (तारा-आलिशा बेरी) उसे हमेशा प्रोत्साहित करती है। आखिरकार राजाराम अपनी बैंक की नौकरी छोड़ देता है और फुल टाइम राइटर बन जाता है। रेणु छोटे-मोटे काम करने लगती है। राजाराम के नौकरी छोड़ लेखक बनने के फैसले की उसके पड़ोसी खूब हंसी उड़ाते हैं, लेकिन राजाराम उन पर ध्यान नहीं देता।
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राजाराम की उम्मीद तब ध्वस्त हो जाती हैं जब कोई भी प्रकाशक उसकी कहानी को छापने के लिए तैयार नहीं होता। आखिरकार एक प्रकाशक को राजराम द्वारा लिखित एक लड़की की दुर्दशा की कहानी पसंद आती है, लेकिन वह राजाराम को कहता है कि इसमें उत्तेजनापूर्ण बातें और मसाला होना चाहिए।
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राजाराम कहानी में मसाला जोड़ने में नाकाम रहता है। एक दिन उसकी मुलाकात गांव में रहने वाले बुजुर्ग चाचा से होती है, जो थोड़ा मूर्ख है और अपनी जिंदगी की चटपटी कहानियां खूब सुनाता है।
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उसकी कहानी सुन राजाराम को लगता है कि सभी के दिमाग में सेक्स का कीड़ा कुलबुलाता रहता है, लेकिन इसे स्वीकारने में वे हिचकते हैं।
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राजाराम एक छद्म नाम 'मस्तराम' अपनाता है और हिंदी भाषा में पोर्नोग्राफिक उपन्यास लिखने वाला पहला लेखक बन जाता है। वह सेक्स के इर्दगिर्द रंगीन कहानियां लिखता है और देखते ही देखते उसकी कहानियां लोकप्रिय हो जाती हैं।
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राजाराम फिर भी सफल नहीं होता क्योंकि नाम तो मस्तराम का होता है।
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क्या मस्तराम की असलियत उजागर होगी? क्या राजाराम पाखंड समाज का सामना कर पाएगा? ऐसे सवालों के जवाब मिलेंगे 'मस्तराम' में।