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Written By समय ताम्रकर

चलो दिल्ली

चलो दिल्ली
बैनर : भीगी बसंती एंटरटेनमेंट, बिग डैडी प्रोडकशन्स, इरोज इंटरनेशनल ‍मीडिया लि.
निर्माता : कृषिका लुल्ला, लारा दत्ता, कविता भूपति चड्ढा
निर्देशक : शशांत शाह
संगीत : गौरव दास गुप्ता, आनंद राज आनंद, सचिन गुप्ता कलाकार : ‍लारा दत्ता, विनय पाठक, अक्षय कुमार (मेहमान कलाकार), याना गुप्ता
रिलीज डेट : 29 अप्रैल 2011

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चलो दिल्ली एक रोड मूवी है। एक ऐसी यात्रा है जिसके दो यात्री सोच, विचार, पहनावे और पेशे से बिलकुल विपरीत हैं। मिहिका मुखर्जी (लारा दत्ता) आम ‍महिलाओं से बिलकुल अलग है। मुंबई स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में वह सीनियर वाइस प्रेसिडेंट है। बकवास बातें करना उसे पसंद नहीं है। मिहिका ने दुनिया को दो भागों में बाँट रखा है। एक हिस्से में हैं विनर्स और दूसरे में लूजर्स। यह बताने की जरूरत नहीं है कि मिहिका किस तरफ खड़ी है। सभी चीजों के बारे में उसका नजरिया एकदम स्पष्ट है। तभी तो उसे कुछ लोग मिसेस क्लियर कट कहते हैं।

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मिहिका का पति दिल्ली में काम करता है और वहीं रहता है। उससे मिलने के लिए मिहिका मुंबई से दिल्ली जाने के लिए घर से निकलती है, लेकिन उसकी फ्लाइट मिस हो जाती है और यहाँ पर मिहिका से मिलता है मनु गुप्ता (विनय पाठक)। गोलमटोल, असभ्य, और लाउड किस्म का वह इंसान है। हमेशा ऊँची आवाज में बोलता है, चाहे थिएटर में सेलफोन पर बात कर रहा हो। पान या गुटखे की पीक इधर-उधर थूकता रहता है, लेकिन उसे बेवकूफ मत समझिए। वह बेहद स्मार्ट है। स्ट्रीट स्मार्ट। दिल्ली स्थित करोल बाग में उसकी 10 बाय 10 की लेडिस कटपीस की दुकान है।

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परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनती है कि मिहिका को मनु के साथ दिल्ली तक का सफर तय करना है। एक ऐसी यात्रा जिसमें रोमांच है, मस्ती है और थोड़ा बहुत पागलपन भी है। मिहिका ऊँची कंपनी का बोतलबंद पानी पीती है और मनु को बोरवेल के पानी से भी कोई समस्या नहीं है। मिहिका धूम्रपान के लिए वर्जिना स्लिम्स का इस्तेमाल करती है तो मनु गोपाल जर्दा चबाता है। दोनों में एक भी गुण नहीं मिलता है और वे निकल पड़ते हैं मुंबई से दिल्ली के लिए व्हाया जयपुर।
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मिहिका और मनु की यह यात्रा डेढ़ दिन में हवा में, रोड से और रेल से पूरी होती है। इस यात्रा में उन्हें वास्तविक भारत के दर्शन होते हैं। कई मजेदार लोग मिलते हैं जिनकी सनक से उनका परिचय होता है। थकी-माँदी मिहिका जब दिल्ली पहुँचती है तो उसके पास इस यात्रा की ढेर सारी कहानियाँ मौजूद हैं जो कभी वह अपने होने वाले नाती-पोतों को सुनाएगी। इन सभी कहानियों की एक ही सीख है - कभी भी लोगों के बारे में उनका चेहरा देखकर राय मत बनाओ, चाहे वो खुद का चेहरा क्यों न हो।‘