हमारे देश में अभी भी ऐसे कई स्थान हैं जहां खाप का शासन चलता है। इनके लिए सच्चा प्यार कोई मायने नहीं रखता। यहां सिर्फ वर्षों से चली आ रही परंपरा मायने रखती है जिसको चुनौती देने की हिम्मत किसी में भी नहीं है। ‘खाप’ की दुनिया में जो भी उनकी आज्ञा का उल्लंघन करता है उसे मौत का फरमान सुना दिया जाता है और क्रूरता के साथ उसे अंजाम भी दिया जाता है।
‘खाप’ में एक ऐसी प्रेम कहानी दिखाई गई है जिसके प्रेमियों को बिलकुल जुदा दुनिया से टकराहट का शिकार होना पड़ता है। इन पुराने रीति-रिवाजों का पालन करने वाले कुछ लोग दिल्ली के प्रेमियों पर भी इस अपनी परंपरा लादने की कोशिश करते हैं। साथ ही वे चुनौती देते हैं कि कोई भी उन्हें ऐसा करने से रोक नहीं सकता। ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या सचमुच शादियां स्वर्ग में ही तय होती है?
निर्देशक के बारे में : अजय सिन्हा छोटे परदे की दुनिया का जाना-पहचाना नाम है। हसरतें, अस्तित्व, गुदगुदी, घर एक सपना, रिश्ते जैसे लोकप्रिय धारावाहिक वे निर्देशित कर चुके हैं। वर्ष 2004 में उन्होंने ‘स्टॉप’ नामक फिल्म निर्देशित की थी। इस वर्ष ‘खाप’ के अलावा उनकी एक ओर फिल्म ‘थ्री बैचलर्स’ भी रिलीज होने की संभावना है जिसमें शरमन जोशी, रिया सेन और राइमा सेन हैं।