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मैं लोगों को पसंद आ रहा हूं : सुशांत सिंह राजपूत

मैं लोगों को पसंद आ रहा हूं : सुशांत सिंह राजपूत - Sushant Singh Rajput, Raabta, Kruti Sanon
एमएस धोनी और काई पो छे जैसी फिल्म करने वाले सुशांत सिंह राजपूत टीवी और फिल्म दोनों में अपनी फैन फॉलोइंग बना चुके हैं। अब उनकी नई फिल्म आ रही है 'राब्ता', जो कि पुनर्जन्म की कहानी है। सुशांत से फिल्म और सफलता के बीच संतुलन की बात कर रही हैं 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष।
 
शुक्रवार क्या मायने रखता है आपके लिए?
जब ब्योमकेश बख्शी रिलीज होने वाली थी, तब भी मैंने बहुत मेहनत की थी। जब आप मेहनत करते हैं तो ये नहीं सोचते कि लोगों को देखकर मजा आएगा। आप मेहनत करते हैं, क्योंकि आपको मजा आ रहा है और अगर दर्शकों को भी आपके रोल में या काम में मजा आए तो बढ़िया है। मैंने एक चीज देखी है और समझी है जिससे मुझे आगे बहुत फायदा होगा। जब फिल्म लगी तो उसे ओपनिंग नहीं मिली। शुक्रवार, शनिवार और रविवार किसी भी दिन ने अच्छा नहीं किया लेकिन सोमवार के दिन मैं बिलकुल ठीक था। मैं अपने आपको बिलकुल भी समझा नहीं रहा था कि मुझे अब अच्छा सोचना चाहिए। फिर धोनी आई। फिल्म ने शुक्रवार, शनिवार और रविवार तीनों दिन बहुत अच्छा किया। मैं फिर से एक बार सोमवार को ठीक महसूस कर रहा था यानी ये 2 से 3 दिन का खेल है या तो आप बहुत ऊपर चले जाओगे या एकदम नीचे आ जाओगे।
 
क्या आपका काम करने का कोई फॉर्मूला भी है? 
मैं अपना काम बड़े स्वार्थी तरीके से करता हूं। मैं बिलकुल नहीं सोचता कि काम करूंगा तो अच्छा लगेगा या बुरा। फिल्म करते समय मैं कम से कम 7 से 8 महीने का समय लेता हूं और उस समय में मैं सिर्फ अपने काम में गुम होकर इसका आनंद लेता हूं। कई बार लोग कहते हैं कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलेगी,  लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे भी फिल्म किस वजह से हिट या फ्लॉप होती है ये तो कोई तय नहीं कर सकता है तो फिर मैं क्यों इसके बारे में सोचता रहूं।
 
आप जैसे एक्टर्स को तो दर्शक बार-बार देखना चाहते हैं तो आपको तो बहुत सारी फिल्में करनी चाहिए।
हां, लोगों को मैं पसंद आ रहा हूं लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि कैमरे पर बिना भूले लाइन बोल लेना और नर्वस नहीं होना ही सिर्फ आपका किरदार नहीं बनाती है। अपने किरदार में आप अगर एक स्वाभाविकता नहीं लाते हैं तब तक बात नहीं बनती है।
 
आपने अपने 'राब्ता' के किरदार के लिए क्या खास किया? 
'राब्ता' में दो अलग-अलग किरदार हैं तो दोनों को मैंने अलग तरह से निभाया है। मैंने एक फ्लैशबैक के 50 सेकंड के सीन के लिए बैंकॉक जाकर प्रैक्टिस की थी। फिल्म में मेरी एंट्री के पहले कहा जाता है कि हमने इस शख्स को देखा नहीं है लेकिन सुना है कि वो कमाल का वॉरियर है, तो लोगों को संदेश मिल गया है कि मैं कैसा हूं। जब मेरी एंट्री है तो मुझे अपने 50 सेकंड के सीन के जरिये आपको यकीन दिलाना होगा कि जो आपने मेरे बारे में सुना वो बिलकुल सही है। उन 50 सेकंड के लिए मैंने एक महीना बैंकॉक में ट्रेनिंग ली। आपको कोई भी स्किल दिखानी है तो आपको वो इतनी बार करना पड़ता है कि वो आपके स्वभाव का हिस्सा लगे। मुझे याद है कि फिल्म धोनी में एक-एक शॉट की मैंने बहुत दिनों तक प्रैक्टिस की है, तब जाकर लगा कि मैं बिना सोचे वो शॉट लगा रहा हूं। 
 
इन दिनों कृति सेनन के साथ कई खबरें आती रहती हैं। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? 
मैं ऐसी खबरें पढ़ता ही नहीं हूं। अगर कभी कुछ मजेदार कुछ खबर हो तो पढ़ लेता हूं। लेकिन इन दिनों तो मेरे बारे में ऐसी खबरें आ रही हैं जिनके बारे में मुझे भी नहीं पता होता। आप लिखने में समय लगा रहे हो तो कुछ नया लिखो। मुझे पता है कि जो ट्रेंडिंग है वही लिखा जाएगा। इसमें एक न एक दिन मैं भी फंसूंगा तो मेरे बारे में लिखा जाएगा। बस परेशानी वाली बात तो तब हो जाएगी, जब लोग मेरे बारे में लिखना बंद कर देंगे।
 
हाल ही में आप आईआईटी, बॉम्बे भी गए थे? 
हां, मेरे लिए ये बड़ी अजीब बात रही। जब मैं इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था तो आईआईटी, बॉम्बे जा नहीं पाया था और आज मैं जाकर वहां छात्रों से बातें कर रहा था। मैं कह रहा था कि पैसा कमा लो और लोग आपको जानने लग जाएं। हम इससे अपनी सफलता को परिभाषित करते हैं।
 
'सफलता' का आपके लिए क्या मतलब है?
मैं बचपन में कम बोलता था। मैं बहुत अंतरमुखी शख्स रहा हूं। मैं बहुत शांत रहता था, क्योंकि मेरी 4 बहनें थीं और मैं सबसे छोटा था तो अपने परिवार में बहुत लाड़ला था। लेकिन घर के बाहर मुझे वो माहौल नहीं मिलता था तो मैं चुप हो जाता था। फिर मुझे लगा कि मैं अगर अच्छे से पढ़ूंगा तो मेरी पहचान बनेगी, लेकिन मैं बात नहीं करूंगा। इस वजह से लोग मुझे पहचानने लगेंगे। सफलता भी ऐसी ही होती है। जब तक सफलता आपके साथ न हो तो आपको उसे पाने की इच्छा होती है, लेकिन जिस दिन आप सफल हो गए उसके बाद उसी सफलता की आपको आदत हो जाती है।
 
ऐसी किसी आदत से आप भी दो-चार हुए हैं?
मेरे साथ ऐसा तब हुआ, जब मैंने अपनी कार खरीदी। ये वो कार थी, जो मैं 15-16 साल से खरीदना चाहता था। एक बार फिर ऐसा हुआ कि मुझे लगा कि अब मैं इसे खरीद सकता हूं। तो मैंने उसे बुक कर ली। मुझे 3-4 दिन के लिए नींद नहीं आई। जैसे ही कार आई, मैं अपने सारे दोस्तों को घुमाने लेकर गया। अगले दिन जब मैं उठा तो मैंने अपने अंदर मान लिया कि मैं उस कार का मालिक बन गया हूं। फिर जब वहीं कार मुझे आम लगने लगी तो इच्छा हुई कि नई कार खरीद लेते हैं, तो ये तो मुझे रैट रेस लगी। तो सफलता का असली मजा मुझे कार तक पहुंचने में आया। 
 
सुना है इन दिनों भी आपकी नींद उड़ी हुई है?
मैं जल्दी ही नासा जाने वाला हूं। उसके लिए बड़ा एक्साइटेड हूं इसी मारे नींद उड़ी हुई है मेरी। अब सोचिए जिस चीज में मैंने जिंदगी के शुरू के 19 साल तक मेहनत की और समझ पाई यानी फिजिक्स या मैथ्स तो हमने गुरुत्वाकर्षण के बारे में सिर्फ किताबों में पढ़ा। 2जी दुगने गुरुत्वाकर्षण या 3जी में इंसानों को क्या होता है तो अब मैं वो महसूस करने वाला हूं ताकि जब मैं फिल्म में वो सीन करूं तो आपको सही हाव-भाव से बता सकूं कि कैसा महसूस कर रहा हूं या फिर फिल्म में मैं चांद पर जाकर मैं एक उपकरण ठीक कर रहा हूं और आप जानते हैं कि चांद पर आपका वजन 6 गुना घट जाता है तो मैं वैसे ही आपको फिल्म में करके बताऊंगा।
 
क्या इंटस्ट्री में आपने पांव जमा लिए हैं?
आजकल महंगे जूते पहन लेता हूं। लोग अब मुझे पार्टीज में भी बुलाने लगे हैं तो लगता है कि मैं बेहतर तो करने लगा हूं करियर में।
 
आपकी आन वाली फिल्में कौन-सी हैं?
'राब्ता' के बाद मैं धर्मा प्रोडक्शंस की ड्राइव कर रहा हूं उसके बाद अगस्त से चंदामामा दूर के की शूटिंग होगी और फिर रॉ। ये मेरा अगला लाइनअप है।
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