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Written By समय ताम्रकर
Last Updated : गुरुवार, 10 जुलाई 2014 (15:05 IST)

दो कम पचास के हुए संजय दत्त

दो कम पचास के हुए संजय दत्त -
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संजय दत्त 29 जुलाई को 48 वर्ष के हो रहे हैं। जन्मदिन के अवसर पर खुशियाँ मनाई जाती हैं, लेकिन संजय दत्त के मन में इस बार कोई उत्साह नहीं है। हमेशा यार-दोस्तों के साथ पार्टी करने वाले संजू बाबा ने इस बार सादगी से जन्मदिन मनाने का निश्चय किया है।

पिछले कुछ महीनों से संजय दत्त बेहद डरे हुए हैं। अदालत के फैसले में हो रही देरी के कारण वे चिंताओं से घिरे हुए हैं। जब-जब फैसले की तारीख नजदीक आती है, संजय दत्त का ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। वे इतने तनावग्रस्त हो जाते हैं कि कोई भी काम करने में उनका मन नहीं लगता। कई बार ‍शूटिंग उन्होंने इसी वजह से रद्द की। वे चाहते हैं कि उनके बारे में जल्द से जल्द फैसला हों।

ये ताज्जुब की बात है कि संजय दत्त जेल में जाते समय और सजा काटते वक्त इतना नहीं डरे थे जितना कि अब वे बाहर रहते हुए डर रहे हैं। असली सजा तो वे अब भुगत रहे हैं।

संजय दत्त का मासूम कहा जाता है, लेकिन मासूम इतनी बार गलती नहीं करता। बुराई के प्रति उनका स्वाभाविक झुकाव रहा है।

संजय दत्त ने ताउम्र ऐसी हरकत की जिससे उनके माता-पिता को परेशानी हों। नशा करना, लोगों पर गोलियाँ चलाना, अपराधियों से दोस्ती करना, अवैध ‍हथियार रखना जैसी बुराइयों में वे संलग्न रहे और सुनील दत्त उन्हें बचाते रहे। संजय के ऊपर हमेशा उनके पिता सुनील दत्त का हाथ रहा इसलिए वे बेखौफ होकर मनमर्जी करते रहे।

सुनील दत्त के नहीं रहने से संजय कमजोर हो गए। जिम्मेदारी क्या होती है उन्हें इसका अहसास अब हुआ है। जिम्मेदारी उठाना बहादुरी होती है, लेकिन संजय के लिए बहादुरी के मायने अलग थे।

उन्हें भय है कि यदि उन्हें सजा मिली तो उन्हें बचाना वाला कोई नहीं है। उनके लिए लड़ने वाला कोई नहीं है। उनके लिए मंदिर-मस्जिद के चक्कर लगाने वाला कोई नहीं है। आज संजय दत्त को सुनील दत्त का महत्व पता चल रहा होगा।

उन्हें वो जन्मदिन याद आ रहे होंगे जो सुनील दत्त उनके साथ मनाना चाहते थे, लेकिन वे यार-दोस्तों में मस्त थे। संजय सोच रहे होंगे कि जिस तरह ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ में गाँधीजी उनकी मदद करते थे, उसी तरह सुनील दत्त उनकी मदद कर पाते।