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Last Updated : सोमवार, 2 नवंबर 2020 (14:34 IST)

Bihar Assembly Elections: सारण में सभी 10 सीटों पर बागी बिगाड़ेंगे बड़े दलों का गणित

Bihar Assembly Elections: सारण में सभी 10 सीटों पर बागी बिगाड़ेंगे बड़े दलों का गणित - All rebels will spoil the arithmetic in Saran
छपरा। बिहार में दूसरे चरण में 3 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में सारण जिले की सभी 10 सीटों पर बागी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं। एकमा विधानसभा सीट से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने निवर्तमान बाहुबली विधायक मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह की जगह उनकी पत्नी सीतादेवी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है जिनकी टक्कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से पहली बार चुनाव लड़ रहे कांत यादव से है। 
लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बागी कामेश्वर कुमार सिंह के लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट से मैदान में उतर जाने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं, वहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) से कुशवाहा राजबल सिंह उम्मीदवार हैं। कांत यादव पिछले 15 वर्ष में एकमा का विकास नहीं होने का आरोप लगा रहे हैं वहीं कामेश्वर कुमार सिंह राजद और जदयू के 15-15 वर्ष के शासनकाल में इस क्षेत्र का विकास नहीं होने का आरोप लगाकर बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के नारे पर बिहार के नवनिर्माण का दावा करते हुए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2015 में जदयू के मनोरंजन सिंह ने भाजपा के कामेश्वर कुमार सिंह को 8126 मतों के अंतर से हराया था। इस सीट पर 10 पुरुष और एक महिला समेत 11 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में डटे हैं।
बनियापुर विधानसभा क्षेत्र राजद ने निवर्तमान विधायक और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के छोटे भाई केदार नाथ सिंह पर फिर से दाव लगाया है, वहीं जदयू के वीरेंद्र कुमार ओझा विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से और भाजपा से बगावत कर तारकेश्वर सिंह लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। तारकेश्वर सिंह और केदारनाथ सिंह के बीच पुरानी व्यक्तिगत दुश्मनी भी है।
 
वर्ष 1995 में तारकेश्वर सिंह के भाई एवं मसरख के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। इस सीट से 13 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं जिनमें 11 पुरुष और 2 महिला शामिल है। पिछले चुनाव में राजद के केदार नाथ सिंह ने भाजपा के तारकेश्वर सिंह को 15951 मतों के अंतर से परास्त किया था।
 
माझी विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने महिला जिला अध्यक्ष माधवी कुमारी पर भरोसा जताया है वहीं महागठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत कांग्रेस के निवर्तमान विधायक विजय शंकर दुबे के बदले मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के टिकट पर डॉ. सत्एन्द्र यादव चुनाव लड़ रहे हैं।
 
रालोसपा से ओम प्रकाश प्रसाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से कमल नयन पाठक, लोजपा से सौरभ कुमार पाण्डेय भी चुनावी दौड़ में हैं। जदयू से बागी राणा प्रताप सिंह तथा भाजपा से बागी विजय प्रताप के निर्दलीय मैदान में उतरने से भीतरघात की आशंका जताई जा रही है। यहां से 16 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं जिनमें 15 पुरुष और एक महिला शामिल है। वर्ष 2015 में कांग्रेस के दुबे ने लोजपा के केशव सिंह को 8866 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। 
तरैया विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री रामदास राय के भाई निर्वतमान विधायक मुंद्रिका प्रसाद यादव राजद का टिकट नहीं मिलने के बाद बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतर आए हैं वहीं भाजपा के जनक सिंह और राजद के लाल महतो चुनावी रणभूमि में ताल ठोक रहे हैं।
 
पूर्व विधायक स्व. अशोक सिंह की पत्नी चांदनीदेवी निर्दलीय उम्मीदवार हैं जबकि बसपा ने शौकत अली को चुनावी रणभूमि में उतारा हैं। जदयू से बागी पूर्व प्रदेश सचिव शैलेन्द्र प्रताप, सरोज कुमार गिरी एवं महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भतीजे सुधीर कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से 17 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं जिनमें 16 पुरुष और एक महिला है। पिछले चुनाव में राजद के मुंद्रिका प्रसाद यादव ने भाजपा के जनक सिंह को 20440 मतों से हराया था। 
मढ़ौरा से राजद के टिकट पर निवर्तमान विधायक जितेंद्र कुमार राय चुनावी पिच पर हैट्रिक लगाने की कोशिश में लगे हैं वहीं उनके विजय रथ को रोकने के लिए जदयू ने अपने जिलाध्यक्ष अल्ताफ आलम को टिकट देते हुए राजद के माय (मुसलमान-यादव) समीकरण को ध्वस्त करने का कार्ड खेला है।
 
भाजपा से बागी पूर्व विधायक लाल बाबू राय निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आए हैं। बसपा के अश्वनी कुमार और लोजपा के विनय कुमार भी चुनावी दौड़ में हैं। कभी सारण जिला का मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र पूरे विश्व में औधौगिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध था। सारण इंजीनियरिंग सभी कल कारखानों के लिए छोटे बड़े पार्ट्स बनाती थी वहीं मार्टन का चॉकलेट पूरे विश्व में अलग पहचान बना कर था। मढ़ौरा चीनी मिल और डिस्टिलरी फैक्ट्री मढ़ौरा को औद्योगिक नगरी का पहचान देती थी। आज इन चारों कारखाने के बंद होने जाने से यह क्षेत्र वीरान हो गया।
 
हालांकि वर्ष 2004 में सारण से सांसद बनने के बाद तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मढ़ौरा में डीजल इंजन कारखाना शुरू कराया है। इस सीट पर केवल 22 पुरुष प्रत्याशी ही है। वर्ष 2015 में राजद के जितेंद्र कुमार राय ने भाजपा के लाल बाबू राय को 16718 मतों के अंतर से मात दी थी। 
छपरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपने निवर्तमान विधायक डॉ. सी. एन. गुप्ता पर फिर से भरोसा दिखाया है वहीं राजद के टिकट पर पूर्व सासंद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर कुमार सिंह जबकि बसपा से मनोज महतो चुनावी अखाड़े में हैं। भाजपा से बागी हुईं डॉ. विजया रानी सिंह, राजद के बागी सुनील कुमार और सुभाष राय भी मैदान में हैं।
 
वर्ष 2015 में भाजपा के गुप्ता ने राजद के रंधीर कुमार सिंह को 11379 मतों के अंतर से शिकस्त दे दी। छपरा सीट से इस बार के चुनाव में 15 पुरुष और एक महिला समेत 16 उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में डटे हैं। 
गड़खा (सुरक्षित) भाजपा की टिकट पर पूर्व विधायक ज्ञानचंद मांझी चुनावी रणभूमि में उतरे हैं, वहीं राजद ने सुरेंद्र राम, जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक ने राजद के बागी निवर्तमान विधायक मुनेश्वर चौधरी को चुनावी समर में उतारा है।
 
राजद के बागी प्रत्याशी निवर्तमान विधायक मुनेश्वर चौधरी जनता को यह बंता रहे हैं कि कोरोना काल और भीषण बाढ़ के हालात में उनके द्वारा जनता के बीच रहते हुए क्या कुछ किया गया है और किन कारणों से राजद ने उन्हें टिकट देने से वंचित कर दिया। फिलहाल तो यहां की जनता सभी प्रत्याशियों की बात को धैर्य से सुन रही है। लेकिन जनता द्वारा अपना पता नहीं खोलने के कारण सभी दलीय और निर्दलीय प्रत्याशियों के दिल की धड़कन बढ़ी हुई है। बहुजन समाज पार्टी ने सबितादेवी को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर आठ पुरूष और 2 महिला समेत 10 प्रत्याशी चुनावी रण में हैं। इस सीट पर राजद के मुनेश्वर चौधरी ने भाजपा के ज्ञानचंद माझी को 39883 मतों से परास्त किया।
 
 
 
अमनौर विधानसभा सीट से भाजपा ने रातोरात दल-बदलकर उनकी पार्टी में आए जदयू के पूर्व विधायक कृष्ण कुमार मंटू को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज़ चल रहे निवर्तमान विधायक शत्रुघ्न तिवारी ने अपनी ही पार्टी के विरूद्ध मोर्चा खोल दिया और निर्दलीय ही किस्मत आजमाने चुनावी सफर में निकल पड़े। राजद ने सुनील कुमार जबकि रालोसपा से राहुल कुमार को प्रत्याशी बनाया हैं। अमनौर सीट से 11 पुरूष और 3 महिला समेत 14 प्रत्याशी चुनावी महाकुंभ में भाग्य आजमा रहे हैं।
 
वर्ष 2015 में भाजपा के तिवारी ने जदयू के मंटू को 5251 मतों से मात दी थी। 
सोनपुर विधनसभा सीट से राजद के निवर्तमान विधायक डॉ. रामानुज प्रसाद चुनावी समर में हैं। वर्ष 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ीदेवी को शिकस्त देकर सुर्खियों में आए विनय कुमार सिंह को भाजपा ने फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। रालोसपा से हरिशंकर कुमार उम्मीदवार बनाए गए हैं। एशिया प्रसिद्ध पशु मेले के लिए प्रसिद्ध सोनपुर मेला बृहत पटना निर्माण योजना के तहत राजधानी से जुड़ा हुआ है। वहीं गंगा नदी पर इस विधानसभा क्षेत्र में पहलेजा में नया रेल-सह-सड़क पुल बनने के बाद पूरे देश को जोड़ रहा है।
 
वर्ष 2004 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस विधानसभा क्षेत्र में रेलवे वैगन कोच कारखाने की स्थापना के लिए रेल बजट में प्रावधान किया था, लेकिन आज तक सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में यह कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है। हालांकि इसके लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। सोनपुर सीट पर 13 पुरुष और 2 महिला समेत 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। वर्ष 2015 में राजद के डॉ. प्रसाद ने भाजपा के सिंह को 36396 मतों से पराजित किया था। सोनपुर सीट से राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव वर्ष 1990 और वर्ष 1995 में निर्वाचित हो चुके हैं।
 
 
परसा विधानसभा सीट जदयू की टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. दारोगा प्रसाद राय के पुत्र चंद्रिका राय उम्मीदवार है वहीं उन्हें चुनौती देने के लिए राजद ने छोटे लाल राय को चुनावी मैदान में उतारा हैं। चंद्रिका राय अपनी पुत्री ऐश्वर्या राय के साथ तेज प्रताप यादव के संबंधों में दरार के कारण इस बार इस बार राजद से नाता तोड़ जदयू के साथ हो गए हैं। लोजपा से राकेश कुमार सिंह मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। इस क्षेत्र से परसा सीट पर 10 प्रत्याशी चुनावी दंगल में है जिनमें 9 पुरुष और एक महिला उम्मीदवार हैं।
 
वर्ष 2015 में राजद के चंद्रिका राय ने लोजपा के छोटे लाल राय को 42335 मतों के अंतर से परास्त किया था। इस विधानसभा क्षेत्र में स्व. दारोगा प्रसाद राय के परिवार का दबदबा रहा है। स्व. राय इस सीट से वर्ष 1951, 1957, 1962, 1967, 1969, 1972, 1980 में निर्वाचित हुए थे। उनके निधन के बाद हुए उप चुनाव में वर्ष 1981 में उनकी पत्नी पार्वतीदेवी निर्वाचित हुई। इसके बाद चंद्रिका राय ने 1985, 1990, 1995, 2000, फरवरी 2005 और वर्ष 2015 में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। (वार्ता)
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