• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नायिका
  4. »
  5. ब्यूटी केयर टिप्स
Written By WD

बेहतर स्वास्थ्य के लिए नींद जरूरी

बेहतर स्वास्थ्य के लिए नींद जरूरी -
NDND
जिंदगी के लिए आहार, निद्रा और मैथुन तीन प्राकृतिक कर्म माने गए हैं। शेक्सपीयर ने नींद को जिंदगी का सबसे महान पोषक माना है। यह तो हम सभी जानते हैं कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए नींद और आराम निहायत जरूरी है, लेकिन ऐसे कितने भाग्यवान लोग हैं, जिन्हें रातभर चैन की नींद आती है?

प्राचीन समय से ही स्वस्थ रहने के नियमों में सबसे पहला स्थान नींद का रहा है। मानव शरीर की यही खासियत है कि दिनभर की शारीरिक थकान की भरपाई रातभर की नींद में पूरी हो जाती है। जो लोग रात में नहीं सोते उन्हें किसी न किसी तरह दिन में इसकी भरपाई करना जरूरी होता है। हर साल लाखों सड़क दुर्घटनाएँ उनींदे ड्राइवरों के कारण होती हैं।

कितनी नींद जरूरी :
इस पर कई मतभेद हैं। आधुनिक युग से पहले यानी 1920 के आसपास यूके में माना जाता था कि 9 घंटे की नींद तरोताजा रहने के लिए जरूरी है। अब ऐसा नहीं है। अब साढ़े सात घंटे की नींद को ही विशेषज्ञ पर्याप्त मानते हैं। कई विद्वानों का मानना है कि 6 घंटे की नींद वयस्क मानव शरीर के लिए पर्याप्त है। शर्त यही है कि उसे नींद दवाओं की मदद से नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से आए।

क्या होती है नींद :
नींद के कई चरण होते हैं। मात्र दस मिनट में ही जागृत अवस्था के हल्की नींद की ओर जाने को स्टेज वन श्रेणी की नींद माना गया है। स्टेज टू पहले से गहरी होती है, जो 20 मिनट तक रहती है। नींद के तीसरे और चौथे चरण को गहरी नींद माना गया है। नींद के इसी हिस्से में शरीर और दिमाग को आराम मिलता है और दिनभर की थकान मिटती है।

नींद के इस हिस्से में दिमाग से डेल्टा लहरें उत्पन्न होती हैं, इसलिए इसे डेल्टा वेव भी कहा जाता है। इस अवधि में कोई सपने नहीं आते। 90 मिनट की गहरी नींद के बाद रैपिड आई मूवमेंट शुरू होता है। सामान्य नींद में लोग इसके कई बार कई चरणों से होकर गुजरते हैं। दिक्कत तब उत्पन्न होती है, जब यह पैटर्न बदल जाता है।

नींद का दुरुपयोग :
आधुनिक युग में नींद का सबसे अधिक दुरुपयोग किया जाता है। लोग बेडरूम का इस्तेमाल सिर्फ सोने के लिए नहीं, बल्कि दूसरे कामों के लिए भी करने लगे हैं। अक्सर शिकायत करते हैं कि रात को देर से खाते हैं, इसलिए जागना पड़ता है। कई बार पालक यह शिकायत करते हैं कि बच्चे जगते रहते हैं, इसलिए हमें भी जागना पड़ता है। यह प्रकृति की नियामत का दुरुपयोग है।