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आपकी हसीन मुस्‍कान...

आपकी हसीन मुस्‍कान... -
- रमेश कुमार माहेश्वर

अगर आपकी मुस्कान आकर्षक और स्वस्थ है तो यह आपके आत्मविश्वास का प्रतीक है। अच्छी मुस्कान में दाँतों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन अक्सर लोग अपने दाँतों के प्रति सावधानी नहीं बरते, जबकि दाँतों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है।

दाँतों का सौंदर्य उनकी स्वच्छता और चमकीलेपन से है। भोजन को चबाने, चेहरे की सुंदरता बढ़ाने व मोहक मुस्कान बिखेरने में दाँतों की अहम भूमिका होती है। दाँतों में कोई बीमारी न हो, इसके लिए जरूरत है उनकी सफाई पर विशेष ध्यान देने की। दाँतों की ठीक से देखभाल न करने के कारण व्यक्ति दाँतों की सड़न व साँस की बदबू आदि का शिकार हो सकता है।

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दाँतों के प्रति लापरवाही बरतने से मुँह में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। बैक्टीरिया से उत्पन्न सड़न ही दाँतों की अधिकतर समस्याओं का मुख्य कारण है। दाँतों और मसूड़ों पर जमे मैल से बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। यही बैक्टीरिया भोजन में उपस्थित चीनी के साथ मिलकर एसिडबनाते हैं। जब एसिड दाँत के इनेमल में गड्ढा कर देता है तो दाँत गिरने की आशंका बढ़ जाती है। इसी तरफ आज-कल मसूड़ों में खून आना भी एक आम समस्या है। इसमें मसूड़ों और दाँतों के बीच खाद्य पदार्थ रह जाने के कारण मसूड़े फूल जाते हैं और उनमें से खून निकलने लगता है। यदि दाँतों के मैल को साफ न किया जाए तो मसूड़े दाँतों की सतह को छोड़ने लग जाएँगे। नतीजतन ठंडा, गरम, मीठा या खट्टा खाने पर दाँत में दर्द होना शुरू हो जाएगा। साथ ही दाँत यदि भोजन को ठीक से चबा नहीं पाएँ तो पाचन संबंधित रोग भी हो सकते हैं।

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दाँतों की बीमारियों की वजह मुख्यतः मिठाई, टॉफी, जंकफूड, फास्टफूड, कोल्ड ड्रिंक आदि का अत्यधिक सेवन, नियमित सफाई न रखना, भोज्य पदार्थों का दाँतों के बीच में फँसे रहना आदि होती हैं। दाँतों के प्रति लापरवाही बरतने से उनमें मैल जल्दी जमा हो जाता है। यही मैल पेट में जाकर अजीर्ण, कब्ज, अर्श (बवासीर), भूख न लगना आदि रोग उत्पन्न करता है। जमे मैल से कंठ, तालू और जीभ के रोग होने की आशंका भी रहती है। अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो दाँतों में पस पड़ने लगता है और पायरिया रोग भी हो जाता है। इस स्थिति में मुँह में असहनीय बदबू आने लगती है।

सावधानिया

दाँतों के रोगों से बचने के लिए हमें चाहिए कि हम दाँतों की साफ-सफाई के प्रति सतर्क रहें। दाँतों को स्वस्थ, साफ, मजबूत और रोगमुक्त रखने से मंदाग्नि, कब्ज, पेचिस तथा मुख, कंठ, तालू, जीभ मसूड़े आदि के रोगों से बचा भी जा सकता है। कभी भी बहुत अधिक गर्म और अधिक ठंडे भोज्य पदार्थों का सेवन न करें।

खाने के उपरांत सलाद खाएँ, इससे दाँतों में फँसे अन्न कण निकल जाते हैं। कोई भी मिष्ठान्न खाने के बाद कुल्ला अवश्य करें। प्रतिदिन सुबह-शाम पहले मंजन करें।