आप अपनी जज खुद बन सकती हैं
सौंदर्य प्रतियोगिताओं के इस युग में हर कोई सुंदर हो या हर कोई आपको सुंदर कहें या आपकी तारीफ करें। ऐसा जरूरी नहीं है। आप स्वयं को दूसरे के दृष्टिकोण से देखने के बजाए अपने नजरिए से देखिए चाहे दुनिया के मापदंडों पर आप खरी न उतरती हों। स्वयं का आकलन करती रहें। इससे सतत सुधार होता रहेगा। आपके द्वारा किया गया आत्मावलोकन आपकी सुंदरता में चार चाँद लगा देगा। आप एक ऐसी सौंदर्य प्रतियोगिता की कल्पना कर सकती हैं, जिसमें आप स्वयं जज हों। थोड़ा पक्षपाती हो जाइए और सौंदर्य का वही प्रतिमान तय कीजिए, जो खूबियाँ आप में हों। चाहे फिर आपका कद थोड़ा छोटा हो, आईब्रो चौड़ी व नाक कुछ कम तीखी- स्वयं को सुंदर घोषित कर दीजिए और देखिए अब आपका अंदरुनी कद कितना बढ़ गया है। इससे आपके आत्मसम्मान में अनपेक्षित बढ़ोतरी होगी।ससम्मान बहुत जरूरी है। यह स्वयं को अपनी-अपनी मौलिकता के साथ स्वीकारने की हिम्मत प्रदान करता है। चाहे आप परिपूर्ण न हों, शर्मीली हों, आपने अनावश्यक भय और चिंताएँ पाल रखी हों फिर भी अपनी योग्यता, अयोग्यताओं सहित अपने अस्तित्व को स्वीकार कीजिए। एक बार आपको इन बातों का एहसास हो जाएगा कि आप प्रगति के पथ पर आत्मविश्वास के साथ बढ़ सकेंगी। और अपनी इन्हीं कमजोरियों को अपनी ताकत भी बना सकेंगी। स्वयं से प्यार करें, क्योंकि आप सर्वश्रेष्ठ हैं। आप लंबी हैं या नाटी, मोटी या पतली कोई फर्क नहीं पड़ता पर अपनी श्रेष्ठता पर भरोसा तो कीजिए। अपनी योग्यता को निखारें, जो हमेशा आपको प्रशंसा दिलवाएगी।आपका सौंदर्य निखारने के लिए आपमें कुछेक गुणों का होना बहुत आवश्यक है, जैसे- दूसरों की गलतियों को माफ करना सीखिए, कभी भी असफलता से निराश न हो, अपनी अपेक्षाओं पर खरी न उतरी हों, तब भी दुःखी न हों। अपने प्रिय दोस्तों-सहेलियों से मिलिए, किसी भी बात का तूल पकड़कर हताशा को मन के भीतर घर मत करने दीजिए। नकारात्मक विचारों को स्वयं से दूर रखें। अपने इन्हीं गुणों के बल पर आप आत्मसंतुष्टि के उस स्तर को पा सकती हैं, जिसमें आप स्वयं को सुंदर समझ सकेंगी तो दूसरे भी आपकी क्रद करना सीख जाएँगे।