धूप में निकला न करो रूप की रानी
बात एकदम ठीक है धूप में निकलने से गोरा रंग काला हो जाने का खतरा अब बढ़ने लगा है। हमारी दादी के जमाने की बात और थी जब वे धूप में रहकर भी काली नहीं पड़ती थी, उनके चेहरे की चमक बरकरार रहती थी। लेकिन आज जमाने के साथ-साथ धरती की परिस्थितियाँ भी बदल गईं हैं। ओजोन की पर्त में छेद बढ़ते जा रहे हैं और धूप में अल्ट्रावायलेट किरणों की मात्रा भी बढ़ती ही जा रही है। आज सूरज की धूप से बचना पानी पीने के समान ही जरूरी हो गया है। सूरज की हानिकारक किरणों से बचना उतना ही कठिन हो गया है जितना कि रेगिस्तान में रहकर रेत से बचना। लेकिन इससे बचने का भी उपाय है। आजकल बाजार में तरह-तरह की सनब्लॉक क्रीम मिल रही हैं। जैसे-जैसे ओजोन पर्त कमजोर होती जा रही है वैसे-वैसे खतरा बढ़ता जा रहा है। इससे अल्ट्रावायलेट किरणों का खतरा बढ़ रहा है। यह न सिर्फ त्वचा को जलाती है बल्कि इसके अंदर तक जाकर सेल्स को प्रभावित करती है। इसके प्रभाव से त्वचा में झुर्रियाँ तथा झाइयाँ पड़ जाती हैं। जब आप हिल स्टेशन पर हों तब इससे बचने की ज्यादा आवश्यकता है। इससे बचने के लिए यही ठीक है कि आप धूप में न निकलें। लेकिन व्यवाहारिक रूप से यह बात संभव ही नहीं है। आज सनस्क्रीन का प्रयोग आपके लिए अत्यंत जरूरी हो गया है। यह कई रूपों में आता है जैसे लोशन, जैल, स्प्रे, क्रीम आदि। एक अच्छा सनस्क्रीन अल्ट्रावॉयलेट किरणों को रोकता या अवशोषित करता है लेकिन इसका चुनाव करते समय यह देखना बहुत जरूरी है कि यह अल्ट्रावॉयलेट ए तथा अल्ट्रावॉयलेट बी दोनों के लिए असरकारी हो। साथ ही यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि धूप में आपको कितनी देर तक रहना पड़ता है। अपने शरीर के उन हिस्सों पर अच्छी मात्रा में सनस्क्रीन लगाएँ जिन्हें धूप में एकदम खुला रहना है। कई बार पर्याप्त मात्रा में इसका प्रयोग न करने से कोई लाभ ही नहीं होता और दोष सनस्क्रीन की गुणवत्ता को जाता है। बाहर जाने के 15 मिनट पहले इसका प्रयोग करें ताकि यह अच्छी तरह से अवशोषित हो जाए, कुछ सनस्क्रीन ऐसे होते हैं जो त्वचा के साथ प्रतिक्रिया करके अपना काम शुरू करते हैं अतः उनका कार्य प्रारंभ हो जाए इस तरह से प्रयोग करें। वैसे हर सनस्क्रीन के साथ उसके प्रयोग के निर्देश लिखे ही होते हैं। हालाँकि कुछ सनस्क्रीन बनाने वाली कंपनियाँ यह दावा करती हैं कि उनका उत्पाद वाटर प्रूफ है लेकिन हर दो घंटे बाद इसका फिर से प्रयोग इसके असर को बनाए रखता है। यदि आप पानी में जा रही हैं या आपको पसीना आ रहा है तो नमी सूखने के बाद सनस्क्रीन लगाएँ फिर इसके ऊपर से ऐसा फाउंडेशन लगा सकती हैं जो सन प्रोटेक्टिव हो इससे आपको दुगुनी सुरक्षा मिलेगी। आपके होंठों को भी धूप से सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए विशेष रूप से बने लिप बाम का प्रयोग करना चाहिए।सूरज की धूप सुबह 10 से दोपहर तीन बजे तक ज्यादा तेज रहती है और गर्मियों के दिनों में तो यह और भी हानिप्रद होती है। इसलिए इस समय समुद्र के किनारे घूमने न जाएँ। यदि आप तैराक हैं या किसी खेल गतिविधि से जुड़ी हुई हैं तो आपको विशेष रूप से बनी सनस्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए। तो फिर कीजिए सूर्य से अच्छी तरह बचाव और निकल जाइए धूप में बेधड़क।