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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 12 फ़रवरी 2024 (09:26 IST)

बिहार विधानसभा में आज होगा 'खेला' या नीतीश साबित कर देंगे बहुमत?

बिहार विधानसभा में आज होगा 'खेला' या नीतीश साबित कर देंगे बहुमत? - Will 'Khela' be played in Bihar Assembly today or will Nitish prove majority?
-चंदन कुमार जजवाड़े (बीबीसी संवाददाता, पटना से)
 
बिहार विधानसभा में सोमवार को नीतीश कुमार को अपना बहुमत साबित करना है। नीतीश सरकार के लिए यह पहला मौक़ा दिखता है जिसमें उनकी सरकार के बचने या गिर जाने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गई हैं। बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से हाथ मिलाने के साथ ही राज्य में ज़्यादातर सियादी दल अपने विधायकों को टूटने से बचाने में लगे हुए हैं। इसके लिए विधायकों को अपनी नज़रों के सामने रखने की कोशिश की गई है।
 
हालांकि इसके बावजूद भी बीते क़रीब 15 दिनों से ऐसी चर्चा खूब चल रही है कि राज्य में 'ऑपरेशन लोटस' और 'ऑपरेशन लालटेन' की कोशिश जारी है। इस लिहाज़ से नीतीश सरकार के लिए सोमवार को होने वाला फ़्लोर टेस्ट काफ़ी अहम है।
 
रविवार देर शाम हैदराबाद से लौटने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉक्टर शकील अहमद ख़ान ने भी दावा कर दिया है कि बिहार विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट में 'खेला' होगा और सच की जीत होगी। दरअसल ऐसे दावों के पीछे जनता दल यूनाइटेड के कुछ विधायकों की कथित नाराज़गी बताई जाती है। विपक्ष का दावा है कि नीतीश कुमार बार-बार कुछ चुनिंदा चेहरों को मंत्री बनाते हैं, इससे उनके कई विधायक नाराज़ हैं।
 
बिहार के सियासी गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम दौर में हैं और ऐसे में कई विधायकों को अपने भविष्य को लेकर भी चिंता है।
 
राज्य की एनडीए सरकार के पास आंकड़ों के लिहाज़ से बहुत छोटा बहुमत है। ऐसे में सियासी अटकलों के बीच कई सियासी दल अपने विधायकों को टूटने से बचाते हुए भी दिख रहे हैं।
 
243 सीटों की बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन ज़रूरी है। जबकि सरकार में शामिल बीजेपी के 78 और जेडीयू के 45 विधायकों को मिला दें तो यह संख्या 123 हो जाती है।
 
जीतनराम मांझी पर नज़रें
 
इसमें जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेक्युलर) के 4 विधायक और एक निर्दलीय विधायक को मिलाकर आंकड़ा 128 तक पहुंच जाता है। लेकिन अटकलों की शुरुआत भी जीतनराम मांझी को लेकर ही हुई थी।
 
नई सरकार में दो मंत्रिपद की मांग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने यहां तक कह दिया था कि उन्हें राष्ट्रीय जनता दल ने मुख्यमंत्री तक बनाने का प्रस्ताव दिया है। बाद में कांग्रेस ने भी मांझी को राज्य में महागठबंधन की सरकार बनवाने के लिए यही प्रस्ताव दिया।
 
हालांकि जीतनराम मांझी लगातार दावा करते रहे कि वो एनडीए के साथ हैं, लेकिन विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट के दो दिन पहले यानी शनिवार को बिहार में सीपीआईएम के विधायक महबूब आलम ने मांझी से उनके आवास पर लंबी मुलाक़ात की थी।
 
बलरामपुर विधायक महबूब आलम ने बीबीसी को बताया, 'मैं मांझी जी की तबीयत के बारे में जानने के लिए गया था। ज़ाहिर तौर पर इस दौरान राजनीतिक चर्चा भी हुई है और हम उम्मीद करते हैं कि फ़्लोर टेस्ट में हमारी जीत होगी, नीतीश सरकार की हार होगी।'
 
महबूब आलम का दावा है कि 'नीतीश ने जो गठबंधन बनाया है वह बेमेल का गठबंधन है। नीतीश के बार-बार पाला बदलने से उनके समाजवादी विचारधारा के विधायकों में नाराज़गी है। विधायकों का स्वाभिमान और अपना अस्तित्व है। ऐसा नहीं है कि नीतीश जब जो कहेंगे वही होगा, विधायकों की जवाबदेही जनता के प्रति है।'
 
हालांकि जीतन राम मांझी ने इस मुलाक़ात के बाद भी दावा किया है कि वो एनडीए के साथ हैं और फ़्लोर टेस्ट में उनकी पार्टी नीतीश सरकार के समर्थन में वोट देगी।
 
उनकी पार्टी की तरफ से यह भी आरोप लगाया गया है कि विपक्ष भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहता है। हालांकि इन सबके बाद भी जीतनराम मांझी को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं।
 
विधायकों को बचाने की कोशिश
 
बिहार विधानसभा में आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19, सीपीआईएमएल के 12, सीपीआई के 2 और सीपीएम के 2 विधायक हैं। यानी आंकड़ों में महागठबंधन के पास विधायकों की संख्या एनडीए के मुक़ाबले कम है।
 
हालांकि इसके बाद में कांग्रेस को यह डर सता रहा था कि कहीं उसके विधायकों के साथ जोड़-तोड़ न हो। इसलिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को बचाने के लिए उन्हें हैदराबाद भेज दिया, जहां कांग्रेस की सरकार है।
 
वहीं बीजेपी ने भी अपने विधायकों को 'प्रशिक्षण' के लिए बिहार के ही गया भेज दिया। ये विधायक रविवार को गया से वापस पटना आए हैं।
 
जबकि शनिवार को आरजेडी के विधायकों को एक बैठक के लिए तेजस्वी यादव के आवास पर बुलाया गया और उसके बाद सारे विधायकों के लिए वहीं रुकने की व्यवस्था की गई। ये सभी विधायक अब सोमवार को तेजस्वी आवास से निकलेंगे और विधानसभा जाएंगे।
 
आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बीबीसी को बताया है, 'हमारे विधायकों की इच्छा थी कि सब एकसाथ एकजुट रहें। वाम दलों के विधायक भी उनके साथ रुके और रविवार को कांग्रेस के विधायक भी साथ रुकेंगे और एक साथ फ़्लोर टेस्ट के लिए जाना है।'
 
मृत्युंजय तिवारी का दावा है कि 'जेडीयू में भोज रखा गया था लेकिन उनके सारे विधायक भोज में नहीं पहुंचे, बिहार के विधायकों ने ठाना है, तेजस्वी सरकार बनाना है।'
 
इसके अलावा कई जेडीयू विधायकों की कथित नाराज़गी को जोड़ दें तो नीतीश सरकार के लिए ख़तरा साफ़ दिखने लगा।
 
जेडीयू के विधायकों के टूटने का ख़तरा?
 
दरअसल मृत्युंजय तिवारी जिस भोज का ज़िक्र कर रहे हैं, वह भोज शनिवार को नीतीश सरकार के मंत्री श्रवण कुमार के घर पर आयोजित किया गया था, लेकिन इस भोज में पार्टी के कई विधायक नहीं पहुंचे थे।
 
इस भोज में नहीं पहुंचने वालों में जेडीयू विधायक शालिनी मिश्रा भी थीं। शालिनी मिश्रा के मुताबिक़ पार्टी में सबको पता था कि वो दिल्ली में हैं, इसलिए उन्हें इस भोज के लिए निमंत्रण भी नहीं दिया गया था।
 
इस भोज को एक तरह से जेडीयू विधायकों की एकजुटता के तौर पर भी देखा जा रहा था। लेकिन नीतीश कुमार के भोज में शामिल होने के बावजूद भी ख़बरों के मुताबिक़ पार्टी के सभी विधायक भोज में नहीं पहुंचे।
 
वहीं बिहार प्रदेश जेडीयू के अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने एक बयान देकर अटकलों को और गर्म कर दिया।
 
उमेश कुशवाहा ने आरोप लगाया, 'विपक्ष हमसे सीधा मुक़ाबला नहीं कर सकता। विपक्ष जो साज़िश रच रहा है या अनैतिक तौर पर जो चाहता है उसका पूरी ताक़त के साथ जवाब दिया जाएगा।'
 
यानी कुशवाहा के बयान से भी ज़ाहिर हो रहा था कि उनकी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। ख़बरों के मुताबिक़ रविवार को भी राज्य सरकार में मंत्री विजय चौधरी के घर जेडीयू के विधायकों की बैठक हुई और इस बैठक में भी कई विधायक मौजूद नहीं थे।
 
हालांकि इस बैठक के बाद विजय चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि जो लोग बैठक में नहीं आए, उन्होंने सूचना दे दी थी। उन्होंने बैठक में 2-3 विधायकों के न पहुंच पाने की बात की।
 
क्या नीतीश सरकार पर ख़तरा है?
 
पिछले महीने की 28 तारीख़ को यानी जिस दिन नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन वापस थामा था, उसी दिन आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने बयान दिया था कि बिहार में खेल अभी बाक़ी है और 'मैं जो कहता हूं वो करता हूं।'
 
यहीं से यह कयास लगाए जाने लगे कि तेजस्वी के बयान का क्या मतलब हो सकता है। उसी दौरान ऐसी भी चर्चा होती रही कि जेडीयू के कुछ विधायक नीतीश कुमार से नाराज़ हैं।
 
राज्य कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी के मुताबिक़, 'कांग्रेस जोड़ तोड़ करने में यकीन रखने वाली पार्टी नहीं है। हमें जितनी सीटें जनता ने दी हैं, हम उसका सम्मान करते हैं। लेकिन जेडीयू के विधायक हमारे दरवाज़े पर आएंगे तो हम दरवाज़ा बंद नहीं करेंगे।'
 
इस बीच बिहार विधान सभा के अध्यक्ष अवध बिहार चौधरी के ख़िलाफ़ भी सरकार की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। अवध बिहारी चौधरी महागठबंधन की सरकार के दौरान इस पद पर चुने गए थे, लेकिन सरकार बदलने के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा देने से इनकार कर दिया था।
 
रविवार को आरजेडी में भी इस मुद्दे पर मंथन हुआ है। आरजेडी सांसद मनोज झा ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया है कि नियमों और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए सदन की कुल संख्या के आधे से ज़्यादा यानी 122 विधायकों की ज़रूरत होगी।
 
यानी सोमवार को नीतीश सरकार के फ़्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के अध्यक्ष को लेकर भी दोनों गठबंधनों के बीच शक्ति परीक्षण होना है।
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