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Written By BBC Hindi
Last Modified: सोमवार, 28 नवंबर 2022 (09:18 IST)

दिल्ली एमसीडी चुनाव में क्या होगा जीत का फ़ैक्टर?

दिल्ली एमसीडी चुनाव में क्या होगा जीत का फ़ैक्टर? - What will be the winning factor in Delhi MCD elections
- अभिनव गोयल
इन दिनों राजधानी दिल्ली की दीवारें चुनावी पोस्टरों से भरी पड़ी हैं। जहां नज़र जाती है, उम्मीदवार नए-नए वादों, नारों के साथ अपने लिए वोट मांग रहे हैं। गलियों में बिना सवारी के कुछ ई-रिक्शा घूम रहे हैं। इन पर लाउडस्पीकर लगे हैं, जो तेज आवाज में रिकॉर्डेड संदेश बजा रहे हैं- फलां-फलां उम्मीदवार को अपना 'कीमती वोट' दें। कहीं-कहीं गले में राजनीतिक पार्टियों के पट्टे लगाए कार्यकर्ता दिखाई देते हैं, सड़कों पर नरेंद्र मोदी से अरविंद केजरीवाल के नारे आपका ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।

इस हलचल के पीछे, 4 दिसंबर को होने वाले दिल्ली के एमसीडी के चुनाव हैं। जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख करीब आ रही है, ये राजनीतिक शोर और तेज होता जा रहा है, लेकिन इस शोर के बीच दिल्ली के आम लोग क्या सोच रहे हैं? उनकी समस्याएं क्या हैं? और इस बार एमसीडी चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?

इन सबको समझकर आप तक पहुंचाने के लिए बीबीसी हिंदी ने दिल्ली के कुछ इलाकों का दौरा किया। इस ग्राउंड रिपोर्ट में आगे हम एमसीडी चुनाव का आंखों-देखा हाल आपको बताएंगे, लेकिन सियासी दांव-पेच समझने से पहले जरूरी है कि थोड़ा दिल्ली एमसीडी को समझ लिया जाए। बीते 15 सालों से इस पर बीजेपी का कब्जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की कमान 2015 से आम आदमी पार्टी के हाथ में रही है।

इस बार एमसीडी चुनाव थोड़ा अलग इसलिए है क्योंकि 2017 में दिल्ली नगर निगम तीन हिस्सों में बंटा हुआ था और 270 वार्डों पर चुनाव हुआ था। इस बार केंद्र सरकार ने परिसीमन कर तीनों हिस्सों को मिलाकर एक और वार्डों की संख्या घटाकर 250 कर दी है।

इसका मतलब है कि चुनकर आने वाले पार्षद इस बार एक मेयर का चुनाव करेंगे, जो दिल्ली एमसीडी का मेयर कहलाएगा। लड़ाई इस कुर्सी की इसलिए भी बड़ी है क्योंकि इस पद पर बैठने वाले व्यक्ति के पास शक्तियां काफी होती हैं। हजारों करोड़ रुपए बजट वाली दिल्ली एमसीडी सीधे-सीधे लोगों के स्थानीय मुद्दों से जुड़ी हुई है।

दिल्ली के डिप्टी सीएम का क्षेत्र
बात सबसे पहले दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज की। पड़पड़गंज विधानसभा में चार वार्ड हैं, जिसमें मयूर विहार फेज-2, पटपड़गंज, विनोद नगर और मंडावली शामिल है। इनमें करीब दो लाख बीस हजार की आबादी है। एक वार्ड में करीब 50 हजार लोग रह रहे हैं।

इस विधानसभा के वार्ड नंबर 197, पटपड़गंज से आप ने सीमा मान सिंह, बीजेपी ने रेणु चौधरी और कांग्रेस ने रत्ना शर्मा को टिकट दिया है। यह सीट इस बार महिलाओं के लिए रिजर्व है। पिछली बार इस वार्ड से बीजेपी की भावना मलिक ने जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला।

क्या है सबसे बड़ा मुद्दा
नमस्ते अम्मा, कैसी हैं आप? अचानक, किसी अजनबी के इस सवाल से घर की दहलीज पर बैठी 62 साल की ओमवती देवी ठिठक जाती हैं, थोड़ा रुककर वो जवाब देती हैं, भगवान की कृपा से सब ठीक है।

अपना परिचय देने के कुछ देर बाद हमने ओमवती देवी से जब सवाल किया कि इस बार वोट किसे देंगी? ओमवती देवी अपनी पसंद-नापसंद के बारे में खुलकर बोलने से बचती हैं। मुस्कुराते हुए कहती हैं, वोट के दिन देखा जाएगा, अभी तो क्या कहें।

उम्मीदवारों को लेकर वो कहती हैं, भईया अभी चुनाव हैं तो सब आकर पांव छू रहे हैं लेकिन काम कोई नहीं करता। अंकल को गुजरे सात साल हो गए लेकिन आज तक पेंशन नहीं लग पाई।

वार्ड में सबसे बड़ी परेशानी क्या है? किस मुद्दे पर वोट करेंगी…? सवाल को बीच में रोककर ओमवती कहती हैं, पार्क बहुत हैं लेकिन गंदगी इतनी कि कोई दस मिनट भी नहीं बैठ पाता। गली में धूप नहीं लगती, हम चाहते हैं कि पार्क में कुछ देर धूप में बैठें, नालियां सड़ रही हैं, कमल-केजरी सब आ रहे हैं लेकिन काम कोई नहीं करता।

न सिर्फ गंदगी, पानी भी एक बड़ा मुद्दा है। विजेंद्र भगत के परिवार में आठ लोग हैं। विजेंद्र कहते हैं, जो पाइपलाइन से पानी आता है वो जहरीला है, इसे किसी काम में इस्तेमाल नहीं कर सकते, महीने में करीब दो हजार रुपए का पानी खरीदना पड़ता है।

विजेंद्र कहते हैं, यहां स्थानीय मुद्दे तो हैं लेकिन उम्मीदवार की जाति भी लोग देख रहे हैं। बीजेपी और आप पार्टी ने गुर्जर उम्मीदवार को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस की तरफ से शर्मा है। कास्ट वाला मामला यहां बहुत मजबूत है। लड़ाई यहां बीजेपी और आप के बीच ही है।

क्या है ओखला का हाल?
पटपड़गंज के बाद हम दिल्ली के ओखला पहुंचे, ओखला विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के अमानतुल्ला ख़ान विधायक हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में अमानतुल्लाह ने करीब 70 हजार मतों से रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी।

इस विधानसभा में पांच वार्ड आते हैं, जिसमें मदनपुर खादर ईस्ट, मदनपुर खादर वेस्ट, सरिता विहार, जाकिर नाइक और अबू फजल एनक्लेव शामिल है। अबू फजल एन्क्लेव, वार्ड नंबर 188 से इस बार कांग्रेस ने अरीबा ख़ान, आप ने वाजिद ख़ान और बीजेपी ने चरण सिंह को टिकट दिया है। सीएए-एनआरसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन से चर्चा में आया शाहीन बाग इसी वार्ड का हिस्सा है।

'बस शुक्रवार को गलियां साफ मिलती हैं'
यहां भी चुनावों में गंदगी एक बड़ा मुद्दा है। बीबीसी हिंदी से बातचीत में कांग्रेस प्रत्याशी अरीबा ख़ान कहती हैं, सबसे बड़ा मुद्दा इस इलाके की गंदगी है। यहां पर रहमानी साहब की मस्जिद और अलशिफ़ा हॉस्पिटल के बाहर डंपिंग ग्राउंड बना दिए हैं। यहां से कचरा उठाया नहीं जा रहा है। जसोला, सरिता विहार का कचरा भी यहां फेंका जा रहा है।

अरीबा खाऩ कहती हैं, ये वो इलाका है जहां की औरतों ने शाहीन बाग प्रदर्शन को ऐतिहासिक बनाया था, लेकिन इस वार्ड में महिलाओं के लिए कोई भी ऐसी एक सुरक्षित जगह नहीं है जहां औरतें बैठकर बात कर सकें। मैं सबसे पहले उनके लिए कम्युनिटी सेंटर बनाऊंगी।

वे कहती हैं, इलाके में एक भी पिंक टायलेट नहीं है, उसे बनाने का काम करूंगी। मोहल्ला क्लीनिक में कोई नहीं जाता क्योंकि वैसी सुविधाएं नहीं हैं जिनका प्रचार किया जा रहा है।

पिछली बार इस क्षेत्र से आप के वाज़िद ख़ान जीत कर आए थे। पांच साल में उन्होंने गंदगी को लेकर क्या किया इसे लेकर वहां रहने वाले जफ़र कहते हैं, एक शुक्रवार के दिन थोड़ा गलियां हमें साफ मिलती हैं। बस ये एक काम है जो पिछले पांच सालों में हुआ है।

गंदगी को इलाके का सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए जफ़र कहते हैं, पूरे इलाके में एमसीडी की एक गाड़ी नहीं आती, अलशिफ़ा हॉस्पिटल के बाहर कूड़ा डंप किया जा रहा है, क्या कोई वहां से ठीक होकर आएगा। इस बार पार्टी की विचारधारा को नहीं बल्कि काम को देखकर वोट करेंगे।

इस वार्ड में लड़ाई आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दिखाई देती है। सीएए-एनआरसी और शाहीन बाग के प्रदर्शन स्थानीय लोगों के लिए कितना बड़ा मुद्दा है?

इस पर वहां रहने वाली नादरा कहती हैं, नहीं, ये बड़ा मुद्दा नहीं है। मोहल्ला क्लीनिक बंद पड़े हैं, जहां हैं भी तो वहां कोई नहीं जाता, हमारे लिए सबसे जरूरी है कि यहां हॉस्पिटल हो, इलाके में एक भी सरकारी हॉस्पिटल नहीं है। पीने का पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है, आप खुद देख लीजिए कैसे सब्जियों की तरह बोतलों में पानी बिक रहा है।

इस वार्ड की हकीकत भी यही कि जब आप सड़कों पर निकलते हैं तो हर जगह गंदगी फैली हुई है। आवारा पशुओं की वजह से ट्रैफिक जाम लगा हुआ है और यही सबसे बड़ा मुद्दा लोगों के जेहन में भी है।

पीएम मोदी के नाम पर वोट?
ओखला विधानसभा के बाद हमने एंड्रयूज गंज का रुख़ किया। वार्ड नंबर 145, एंड्रयूज गंज से पिछली बार कांग्रेस के अभिषेक दत्त ने जीत दर्ज की थी। ये वार्ड कस्तूरबा नगर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिस पर आम आदमी पार्टी के विधायक मदन लाल काबिज है।

इस बार यहां से बीजेपी ने प्रीति बिधूड़ी, कांग्रेस ने पूजा यादव, आप ने अनीता बैसोया को टिकट दी है। इस वार्ड में बीजेपी की उम्मीदवार प्रीति बिधूड़ी हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगती हुई दिखाई दीं। उनके चुनावी प्रचार में 'जय श्रीराम' के नारे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सुनाई दिया।

बीबीसी हिंदी से बातचीत में प्रीति बिधूड़ी कहती हैं, हम लोग मोदी जी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। जन-धन योजना, आयुष्मान भारत, सुशासन के बारे में लोगों को याद दिला रहे हैं, हमारी सरकार केंद्र में बहुत अच्छा कर रही है उसी को देखते हुए लोग मुझे वोट करेंगे।

स्थानीय मुद्दों पर बात करते हुए वहां रहने वाली शकुंतला कोहली कहती हैं, मोहल्ला क्लीनिक बस नाम के हैं, न डॉक्टर मिलते हैं ठीक से और न ही दवा। साफ-सफाई के लिए यहां रहने वाले विजेंद्र आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार बताते हैं। वे कहते हैं, एमसीडी में बीजेपी ने काम किया, एमसीडी का करोड़ों रुपए बकाया था, जब आप सरकार पैसे ही नहीं देगी तो काम कैसे होगा।

शिक्षा पर बात करते हुए उन्होंने कहा, एमसीडी चुनावों में बच्चों की अच्छी शिक्षा, अच्छे स्कूल एक बड़ा मुद्दा है, अरविंद केजरीवाल स्कूलों का जो ढोल पीटते हैं हकीक़त में वैसा कुछ नहीं है। इसमें सुधार किए जाने की जरूरत है।

कुल मिलाकर यहां भी लोग सबसे पहले साफ-सफाई की बातें करते दिखाई दिए, फर्क सिर्फ इतना था कि यहां चिंताओं के दायरों में पेड़ों की प्रूनिंग भी शामिल थी यानी पेड़-पौधे जब ज्यादा बढ़ जाएं तो उनकी छंटाई समय से कराई जाए।

दिल्ली की एमसीडी में 1 करोड़ से ज्यादा की आबादी आती है, हजारों करोड़ का बजट है और राजधानी में होने वाले कामों में अच्छा-खासा दख़ल है। ऐसे में आम आदमी पार्टी जहां एमसीडी पर भी अपना क़ब्ज़ा ज़माना चाहती है, वहीं बीजेपी अपनी पैठ बरकरार रखना चाहती है, ताकि इसका फ़ायदा उन्हें आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी मिले।

मुक़ाबले में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के आगे कांग्रेस जानकारों के मुताबिक़ कमज़ोर है, लेकिन फिर भी पार्टी के कई स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार में अपनी ताक़त झोंकते नज़र आ रहे हैं।
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