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Written By BBC Hindi
Last Modified: शनिवार, 17 अगस्त 2024 (08:00 IST)

रूसी जमीन पर यूक्रेन की सेना के कब्जे से क्यों दुविधा में है अमेरिका?

रूसी जमीन पर यूक्रेन की सेना के कब्जे से क्यों दुविधा में है अमेरिका? - USA confused on Ukraine attack on russia
टॉम बेटमैन, विदेशी मामलों के संवाददाता
रूस के कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के तूफ़ानी हमले और राष्ट्रपति ज़ेलेस्की की ओर से खेले गए दुस्साहसिक दांव के असर को अमेरिका कम करने में लगा है। अमेरिकी अधिकारी इस बात का आकलन कर रहे हैं कि यह हमला रूस-यूक्रेन युद्ध की राजनीतिक और सैन्य परिस्थिति को कैसे बदल सकता है।
 
साथ ही अपने हथियारों के इस्तेमाल को लेकर लंबे समय से अपने बदलते रुख़ के चलते अमेरिका इस बात का भी आकलन कर रहा है कि यूक्रेन की ओर से उनके इस्तेमाल से क्या जटिलताएं पैदा होंगी।
 
इस हमले ने रूसी और पश्चिमी देशों के नेताओं को हैरान कर दिया है। यूक्रेन को पश्चिमी समर्थन से जुड़े सबसे जोख़िम भरी दुविधा को भी सामने ला दिया है।
 
राष्ट्रपति बाइडन ने रूस और अमेरिका के संबंधों को बिना जोख़िम में डाले रूस के हमले की रोशनी में कीएव को लगातार सशक्त बनाने की कोशिश की है।
 
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के साथ जंग को हमेशा रूस और पश्चिम देशों के बीच युद्ध के रूप में दिखाने की कोशिश की है। लेकिन बाइडन इस नैरेटिव को दबाने और टकराव को कम करने के लिए अमेरिकी नीति की सीमाएं तय करने का रुख़ अपनाते रहे हैं।
 
यूक्रेन के हमले से उठते सवाल
सैन्य विश्लेषकों के अनुसार, यूक्रेन का कुर्स्क क्षेत्र पर हमला दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी विदेशी सेना का रूस के अंदर सबसे बड़ा हमला है। इस हमले ने व्हाइट हाउस के लिए कई ज़रूरी सवाल खड़े कर दिए हैं।
 
क्या यह हमला अमेरिकी और नेटो हथियारों के इस्तेमाल के लिए यूक्रेन के लिए निर्धारित वॉशिंगटन की सीमा रेखा के दायरे को बढ़ाता है? क्या यह इस जंग में पश्चिमी सहयोगियों के लिए रूस की ओर से तय की गई लाल रेखा को पार करने का जोख़िम लेता है?
 
अगर नहीं, तो क्या राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने वॉशिंगटन को दिखाया है कि वो पुतिन के दावों को उजागर कर सकते हैं? इन सब जोख़िमों और अनिश्चितताओं के बावजूद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के इस कदम को लेकर वॉशिंगटन में कुछ लोगों को ताज्जुब हो रहा है।
 
पिछले हफ़्ते अमेरिकी अधिकारियों की टिप्पणियों को एक साथ जोड़े तो उभरती परिस्थिति का अंदाज़ा लगता है।
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यूक्रेन ने हमले की कोई अग्रिम चेतावनी नहीं दी थी। वहीं व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरिन जीन-पियरे ने कहा है कि वॉशिंगटन का इससे "कोई लेना-देना नहीं" है।
 
यूक्रेन-रूस युद्ध में अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल को लेकर व्हाइट हाउस, पेंटागन और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करेंगे कि उनका इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं, लेकिन यह स्पष्ट है कि अमेरिका और नाटो देशों के हथियारों पर यूक्रेन की निर्भरता है।
 
यूक्रेन के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ़ के पूर्व प्रवक्ता व्लादिस्लाव सेलेज़्न्योव ने वॉयस ऑफ़ अमेरिका को बताया कि इस हमले में अमेरिका की ओर से दिए गए हिमार रॉकेट लांचर महत्वपूर्ण थे।
 
रूस के कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के आक्रमण के लिए अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की स्वीकृति निश्चित तौर पर परोक्ष रूप से दी जा रही है।
 
पेंटागन के प्रवक्ता मेजर जनरल पैट्रिक राइडर ने इस हफ्ते कहा, "हमारा आकलन है कि वे हमारे द्वारा निर्धारित नीति की सीमाओं के भीतर हैं। उन नीतियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, ख़ासकर अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल के मामले में।"
 
अधिकारियों का कहना है कि यह हमला "शुरू से ही" उनकी नीति के "अनुरूप" है, जो कि यूक्रेन के लिए सीमा पार से होने वाले हमलों से खुद का बचाव करने के लिए है।
 
पेंटागन के प्रवक्ता सबरिना सिंह ने कहा, "हमारा फिर से कहना है कि हम रूस में लंबी दूरी के हमलों का समर्थन नहीं करते हैं। ये जवाबी हमले के लिए है। मैं इनकी कोई ख़ास सीमा नहीं तय करने जा रही हूँ।"
 
यूक्रेन ने हमले के लिए मांगी थी अनुमति?
चूंकि अमेरिका यूक्रेन के लिए हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, इसके चलते यूक्रेन के नज़रिए से दोनों देशों के संबंध सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बन गए हैं।
 
पिछले हफ़्ते ही पेंटागन ने तीन साल में हथियारों की 63वीं खेप पहुंचाई, जिसमें स्टिंगर मिसाइलों और आर्टिलरी शेल सहित अन्य उपकरण शामिल थे।
 
लेकिन, रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से राष्ट्रपति बाइडन की सोच की विशेषता यह रही है कि पहले तो उन्होंने आधुनिक हथियार भेजने से इनकार कर दिया, जिसमें हिमार्स रॉकेट, पैट्रियट मिसाइल रक्षा प्रणाली और F-16 लड़ाकू जेट शामिल हैं, लेकिन बाद में उन्होंने अपने विचार बदल दिए।
 
रूसी क्षेत्र में यूक्रेनी हमलों पर व्हाइट हाउस की नीति के लिए भी यही बात लागू होती है। कई महीनों तक राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने रूस के उन सैन्य ठिकानों पर हमला करने की अनुमति मांगी, जो यूक्रेन पर हमलों में मदद करते हैं।
 
राष्ट्रपति बाइडन ने मई में अंततः रूस में सीमा पार हमला करने के लिए अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति दी, लेकिन केवल खार्कीएव क्षेत्र से सीमित सीमा तक, जो रूसी हमले के दायरे में था। व्हाइट हाउस ने यूक्रेन की कार्रवाइयों को "जवाबी हमले" के रूप में बताया है।
 
जून में राष्ट्रपति बाइडन ने कहा था, "जब यूक्रेन में विशेष लक्ष्यों पर हमला करने के लिए सीमा के दूसरी ओर रूसी सैन्य ठिकानों का उपयोग किया जा रहा हो, तो उन्हें सीमा के निकट उपयोग करने की अनुमति है।"
 
उन्होंने कहा, "हम रूस में 200 मील की दूरी पर हमलों की अनुमति नहीं दे रहे हैं और ना ही हम मॉस्को और क्रेमलिन पर हमलों की अनुमति दे रहे हैं।"
 
कुछ सप्ताह बाद, रूसी सीमा के अंदर हमले की अनुमति को सीमा के किसी भी उस टार्गेट तक बढ़ा दिया गया, जहाँ रूसी सेना यूक्रेन पर हमला करने की तैयारी कर रही हो।
 
इसके बाद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कुछ यूरोपीय सहयोगियों और वॉशिंगटन में कुछ डेमोक्रेट के साथ मिलकर अमेरिका से यूक्रेन के हाथों को और "खोलने" का अनुरोध किया।
 
ज़ेलेंस्की ने विशेष रूप से ड्रोन या मिसाइल लॉन्च साइटों को नष्ट करने के लिए रूसी सीमा में और अंदर तक हमला करने के लिए अमेरिका से मिले एटकैम्स या लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति मांगी थी। हालाँकि, अमेरिका ने इससे इनकार कर दिया।
 
ऐसे सभी निर्णयों के पीछे का कारण राष्ट्रपति पुतिन की चेतावनियाँ रही हैं, जिन्होंने पहले रूस की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा होने पर "सभी उपलब्ध साधनों" का उपयोग करने की धमकी दी थी। यह उनके परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी थी, यानी ऐसी स्तिति जब उन्हें लगे कि पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध के माध्यम से रूस के लिए ख़तरा पैदा कर रहे हैं।
 
रूस के ख़िलाफ़ अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की सीमाएं
अंततः राष्ट्रपति बाइडन के रुख़ को संक्षेप में ऐसे समझा जा सकता हैः यूक्रेन यह तय कर सकता है कि अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल करके खुद का बचाव कैसे किया जाए, जिसमें सीमा पार हमले भी शामिल हैं, लेकिन बहुत स्पष्ट दायरे में रह कर, जिसमें लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल नहीं करना है।
 
जून में उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया उनसे पता चलता है कि यूक्रेन की सीमाएँ "बॉर्डर इलाक़ों तक" सीमित थीं। कुर्स्क में आक्रमण अमेरिका की दुविधा को वास्तव में एक अज्ञात दिशा में ले जाता है। यूक्रेन का आक्रमण सीमा पार ज़मीनी हमला है, जिसमें कथित तौर पर 5,000 से 12,000 सैनिक शामिल हैं।
 
कुछ रूसी रिपोर्टों, जिनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकती, उनमें कहा गया है कि यूक्रेन की सेना रूस में 30 किमी तक आगे बढ़ सकती थी।
 
इस सप्ताह के मध्य तक कीएव ने कहा कि उसकी सेना 70 से अधिक गांवों और कस्बों सहित 1,000 वर्ग किमी रूसी क्षेत्र पर नियंत्रण कर चुकी है और उसने सैकड़ों युद्धबंदियों को पकड़ लिया था। रूसी अधिकारियों ने कहा कि लगभग 1 लाख 32 हज़ार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।
 
अमेरिकी अधिकारी अभी भी इस बारे में सार्वजनिक रूप से विस्तार से बात करने से कतरा रहे हैं, वे अभी भी इस बात पर काम कर रहे हैं कि युद्ध क्षेत्र की स्थिति, युद्ध के भविष्य और यह राष्ट्रपति पुतिन की अनुमानों को कैसे प्रभावित कर रहा है।
 
अगर राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की इस बात से निराश थे कि राष्ट्रपति बाइडन हथियारों के इस्तेमाल पर बहुत अधिक सावधानी बरत रहे हैं या निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं।
 
ऐसी स्थिति में वो शायद ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो बाइडन और पुतिन दोनों को मज़बूर कर सकते हैं। और यह एक दुस्साहसिक दांव है।
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