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Last Updated : शुक्रवार, 11 जून 2021 (20:45 IST)

कोरोना वैक्सीन से शरीर के ‘चुंबक’ बनने का दावा, क्या हो सकता है ऐसा?

कोरोना वैक्सीन से शरीर के ‘चुंबक’ बनने का दावा, क्या हो सकता है ऐसा? - Several videos claims that COVID19 vaccines can make people magnetic, Fact check
- प्रवीण ठाकरे
  बीबीसी मराठी

कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही है, कई लोगों को इसके बाद बुख़ार आता है, कई को नहीं, कई को कुछ और भी महसूस होता है, कई को कुछ भी अलग नहीं लगता। मगर वैक्सीन के असर को लेकर नासिक के शख़्स ने चौंकाने वाला दावा किया है।

नासिक के अरविंद सोनार का कहना है कि वैक्सीन की दो डोज़ के बाद उनका शरीर चुंबक की तरह काम कर रहा है। मगर जानकारों का मानना है कि वैक्सीनेशन की वजह से ऐसा नहीं हो सकता।

अरविंद सोनार ने अपने दावे की सच्चाई को ज़ाहिर करने के लिए एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है जिसमें उनके शरीर से सिक्के और लौहे के सामान चिपके दिख रहे हैं, ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

उन्होंने बताया, “मैं अपने बेटे के साथ यूं ही बात कर रहा था तो उसने मुझे एक ख़बर के बारे में बताया कि वैक्सीन लेने के बाद स्टील की वस्तुएँ लोगों से चिपकने लगती हैं, मैंने भी जाँचने के लिए देखा तो पता लगा मेरे साथ भी ऐसा हो रहा था।”

सोनार के मुताबिक उन्होंने चार-पांच दिन पहले एक निजी अस्पताल में कोविड वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक ली थी और उन्हें किसी तरह की तकलीफ़ नहीं हो रही है।

क्या कहना है जानकारों का

अरविंद सोनार ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली ख़ुराक नौ मार्च को ली थी और दूसरी ख़ुराक दो जून को।

दस साल पहले उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी है। दो साल से उनका डायबिटीज़ का भी इलाज चल रहा है।

जब अरविंद सोनार के शरीर से लोहे और स्टील की चीज़ें चिपकने लगीं तो उन्होंने अपने डॉक्टर को इसके बारे में बताया।

सोनार के दावा कितना सच हो सकता है, इसे समझने के लिए बीबीसी मराठी ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के डॉक्टर हामिद दाभोलकर से बात की।

डॉक्टर दाभोलकर ने कहा, “शरीर से सिक्के एवं बर्तन का चिपकना भौतिकी के नियम के मुताबिक मुमकिन है। अगर त्वचा में नमी हो और चिपकने की जगह पर वैक्यूम कैविटी बने तो यह संभव है। लेकिन इसे टीकाकरण से जोड़ना सही नहीं है। हमारे साथ काम करने वाले लोग कई बार ऐसे दावों का सच सामने ला चुके हैं।”

दाभोलकर के मुताबिक टीकाकरण अभियान कोरोना के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण हथियार है, ऐसे में इसे लेकर किसी भी सनसनीखेज दावे से बचना चाहिए।

(Photo:BBC/TusharKulkarni)
जेजे मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. तात्यारावे लहाने ने भी सोनार के दावे को ख़ारिज किया है।

उन्होंने कहा “दुनिया भर में एक अरब से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। कोविड वैक्सीन और शरीर से स्टील और लोहे के सामानों के चिपकने का कहीं कोई संबंध नहीं है। इसे वैक्सीन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। वैक्सीन में ऐसी कोई चीज़ नहीं होती है।”

दावे की जांच होगी

नासिक के ज़िला चिकित्साधिकारी डॉ. अशोक थोराट से बीबीसी को बताया कि इस मामले की जानकारी उन्हें मीडिया से मिली थी।

उन्होंने कहा, “हम इस मामले की जाँच के लिए विशेषज्ञों को भेज रहे हैं, इसके बाद सरकार को अपनी रिपोर्ट देंगे। फिर सरकारी निर्देश के मुताबिक मामले को देखा जाएगा।”

अशोक थोराट ने यह भी कहा कि कोरोना वैक्सीन से इस तरह की चीज़ें नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा, “अब तक के मेडिकल करियर में ऐसा केस कभी सामने नहीं आया। सोनार के शरीर में आए इस बदलाव की वजहों को जानना महत्वपूर्ण है। यह एक रिसर्च का विषय है।”

वैसे सोनार के दावे के साने आने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य समीर चंद्राराते ने कहा है कि किसी शख़्स के शरीर से धातु चिपकने का अध्ययन धातुविज्ञानियों को भी करना चाहिए।

समीर चंद्राराते ने कहा, “इसका कोविड वैक्सीन से कोई लेना देना नहीं है। वैक्सीन लेने से दर्द और बुख़ार हो सकता है। इसके अलावा अगर इस तरह की बात हो तो उसे वैक्सीन से नहीं जोड़ा जा सकता। ऐसी अफ़वाहों से टीकाकरण का अभियान प्रभावित होगा। भौतिक विज्ञानी और धातु वैज्ञानिकों को अध्ययन करना चाहिए कि ऐसे लोगों के शरीर में मेटल के पदार्थ कैसे चिपकते हैं।”
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