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Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 16 नवंबर 2021 (13:31 IST)

रूस ने उड़ाया जासूसी उपग्रह, ग़ुस्से में अमेरिका बोला- जवाब मिलेगा

रूस ने उड़ाया जासूसी उपग्रह, ग़ुस्से में अमेरिका बोला- जवाब मिलेगा - Russia spy satellite
अमेरिका ने एक 'ख़तरनाक और ग़ैर-जिम्मेदार' मिसाइल परीक्षण के लिए रूस की निंदा की है और कहा है कि इस परीक्षण ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों का जीवन ख़तरे में डाल दिया।
 
इस परीक्षण में रूस ने अपने ही एक उपग्रह पर निशाना लगाया, जिसके फटने के कारण अंतरिक्ष में मलबा बना और आईएसएस चालक दल को अपने कैप्सूल में छिपने को मजबूर होना पड़ा।
 
अंतरिक्ष स्टेशन पर इस वक़्त सात अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं। इनमें चार अमेरिकी, एक जर्मन और दो रूस के यात्री हैं।
 
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक ब्रीफिंग में कहा, "आज, रूस ने एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण करने के लिए अपने ही सैटेलाइट को ख़त्म कर दिया। इस परीक्षण में मलबे के 1,500 से अधिक टुकड़े बने और हज़ारों छोटे मलबे बने जिससे अब सभी देशों के हितों को ख़तरा है।"
 
वहीं रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस इस घटना को छोटा बना कर पेश कर रही है। एजेंसी ने ट्वीट किया, ''कक्षा में कुछ चीज़ों के आने से चालकदलों को अपने यान में जाना पड़ा जो कि एक मानक प्रक्रिया है, ये चीज़ें अब कक्षा से बाहर आ चुकी हैं और अब अंतरिक्ष स्टेशन ग्रीन ज़ोन में (सुरक्षित) है।''
 
मलबे के टुकड़े जब कक्षा में आए तो इसकी पहले से कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन बाद में पता चला कि ये कहाँ से आए।
 
ये मलबे रूस के उपग्रह कॉसमॉस-1408 के थे। ये एक जासूसी उपग्रह था, जिसे 1982 में लॉन्च किया गया था, इसका वज़न कई टन था और बीते कई सालों से इसे निष्क्रिय कर दिया गया था।
 
अंतरिक्ष के मलबे को ट्रैक करने वाली कंपनी लियोलैब ने कहा कि उनके न्यूज़ीलैंड स्थित रडार सेवा को उस जगह कई मलबे के टुकड़े नज़र आए हैं, जहाँ लंबे वक़्त से एक निष्क्रिय अंतरिक्षयान मौजूद था। 
 
प्राइस का कहना है कि ये ख़तरा टला नहीं है। वह कहते हैं, "यह परीक्षण अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्रियों के साथ-साथ अन्य मानव अंतरिक्षयान की गतिविधियों के लिए जोखिम बढ़ा देगा। रूस का ख़तरनाक और ग़ैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अंतरिक्ष की स्थिरता को लंबे समय तक ख़तरे में डालने वाला है और इससे ये भी साफ़ हो गया है कि अंतरिक्ष के हथियारीकरण का विरोध करने का रूस का दावा पाखंड हैं। अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिल कर उनके इस ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरक़त का जवाब देगा।"
 
'ये परीक्षण एक तरह का पागलपन है'
बीबीसी के विज्ञान संवाददाता जोनाथन अमोस कहते हैं, ''ये एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण एक तरह का पागलपन है। तेज़ रफ़्तार के असर से पैदा होने वाले मलबे को नियंत्रित करना असंभव है, इससे हज़ारों मलबे के टुकड़े बने हैं और कई तो नीचे धरती की ओर आएंगे, लेकिन कई अंतरिक्ष में ही घूमते रहेंगे और भविष्य में रूस सहित सभी देशों के मिशन को प्रभावित करेंगे।
 
''अंतरिक्ष स्टेशन में मौजूद रूस के अंतरिक्षयात्रियों ने क्या सोचा होगा जब सोमवार को उन्हें मलबे से बचने के लिए अपने कैप्सूल में छिपना पड़ा।
 
''अंतरिक्ष में कचरा बढ़ता ही जा रहा है। 64 सालों तक हमारे सिर के ऊपर एक के बाद एक गतिविधियां की जाती रही हैं जिसका मतलब है कि अंतरिक्ष में करोड़ों टुकड़े अनियंत्रित रूप से घूम रहे हैं। इनका आकार एक सेमी से 10 सेमी तक है।
 
''इस तरह की गतिविधियों का असर मौसम और टेलीकम्युनिकेशन से जुड़े उपग्रहों पर होगा। देशों को अंतरिक्ष के वातावरण को साफ़ करने की ज़रूरत है ना कि उसे और प्रदूषित करने की।''
 
कितना बड़ा होगा नुकसान?
भारत, अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश धरती से ही कक्षा से उपग्रहों को बाहर निकालने में सक्षम हैं। इस तरह की मिसाइल का परीक्षण करना बेहद दुर्लभ घटना है, जब भी ऐसा होता है तो इसकी बढ़-चढ़ कर आलोचना होती है क्योंकि इससे अंतरिक्ष का वातावरण सभी के लिए प्रदूषित हो जाता है।
 
जब चीन ने 2007 में अपने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट किया था तो उसने अंतरिक्ष में 2,000 से अधिक मलबे के टुकड़े बनाए। इसने ना सिर्फ़ चीन के बल्कि अन्य देशों के भी पहले से चल रहे अंतरिक्ष मिशन के लिए एक निरंतर ख़तरा पैदा कर दिया था।
 
अंतरिक्ष विशेषज्ञ ब्रायन वीडेन ने पहले ही कहा था कि अगर यह पुष्टि हो जाती है कि रूस ने एक परीक्षण किया है जिसने आईएसएस को ख़तरे में डाला है, तो ये हरक़त "गैर-जिम्मेदार रवैये से भी बढ़कर" है।
 
अंतरिक्ष स्टेशन एक ऐसी कक्षा में है जिससे दूसरे लोग किसी भी तरह के उपकरणों को दूर रखने की कोशिश करते हैं, चाहे वो सक्रिय हो या निष्क्रिय।
 
हालाँकि, अचानक से उपग्रहों और रॉकेटों के टुकड़े के करीब आने पर अंतरिक्ष यात्रियों को एहतियाती कदम उठाने पड़ रहे हैं। इन टुकड़ों की गति इतनी तेज़ होती है कि ये आसानी से स्टेशन की दीवारों में छेद करने में सक्षम होते है। एहतियाती उपायों में आमतौर पर अंतरिक्ष यात्री मॉड्यूलों के बीच के हैच (रास्ते) को बंद कर लेते हैं। या फिर वो अपने कैप्सूल या अंतरिक्ष यान में चले जाते हैं जो उन्हें स्टेशन ले गया।
 
जब अंतरित्र यात्री अंतरिक्ष में घूम कर काम कर रहे होते हैं तो उस दौरान उनके कैप्सूल अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़े होते हैं ताकि आपातकालीन स्थिति में वो लाइफ़बोट की तरह उनपर बैठ निकल सकें।
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