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Last Updated : शुक्रवार, 29 सितम्बर 2023 (08:04 IST)

रमेश बिधूड़ी को राजस्थान के रण में जिम्मेदारी, क्या है बीजेपी की रणनीति

ramesh biduri
अभिनव गोयल, बीबीसी संवाददाता
Ramesh Bidhuri : लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने वाले रमेश बिधूड़ी को बीजेपी ने जिम्मेदारी सौंपी है। आगामी चुनावों को देखते हुए दक्षिण दिल्ली सीट से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी को राजस्थान के टोंक जिले का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
 
बुधवार, 27 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राजस्थान बीजेपी ने चार तस्वीरें पोस्ट की। इन तस्वीरों में रमेश बिधूड़ी, राज्य के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ टोंक जिला समन्वय समिति की बैठक लेते हुए नजर आए।
 
एक तरफ रमेश बिधूड़ी के आपत्तिजनक बयान की चारों तरफ आलोचना हो रही है, यहां तक की बीजेपी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी, आगामी राजस्थान चुनाव को देखते हुए उन्हें ग्राउंड ज़ीरो पर ले जा रही है।
 
टोंक का प्रभारी बनाए जाने पर रमेश बिधूड़ी के साथ-साथ बीजेपी भी विपक्ष के निशाने पर है। कई दलों ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज की है।
 
ऐसे में सवाल कई उठते हैं कि रमेश बिधूड़ी पर कार्रवाई के बदले उन्हें अहम जिम्मेदारियां क्यों दी जा रही है? उन्हें दिल्ली से खास तौर पर टोंक क्यों ले जाया गया? बीजेपी ऐसा कर क्या संदेश देना चाहती है? चुनावी रण में रमेश बिधूड़ी, पार्टी के लिए कितने कारगर साबित हो सकते हैं?
 
Sachin Pilot
सचिन पायलट को घेरने की तैयारी
बात सबसे पहले टोंक की। राजस्थान में आज़ादी से पहले रियासतें तो बहुत थीं, मगर टोंक राजस्थान में अकेली मुस्लिम रियासत थी। टोंक 1817 से 1974 तक अपनी रियासत की राजधानी रहा।
 
1817 में एक मुसलमान शासक ने इसे स्थापित किया था। आज भी टोंक के पूर्व नवाबों के वारिसों को सरकार की तरफ से भत्ता मिलता है।
 
टोंक जिले की चार विधानसभाओं में करीब 50 फीसद हिंदू और करीब 48 फीसद मुस्लिम आबादी रहती है। हिंदुओं में भी गुर्जर समुदाय की आबादी काफी बड़ी है।
 
साल 2018 में टोंक की चार विधानसभा सीटों में से तीन, कांग्रेस ने जीती थी। इन्हीं में से एक टोंक विधानसभा सीट से जीतकर सचिन पायलट विधानसभा पहुंचे थे।
 
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ कहते हैं, "इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी और हिंदुओं में गुर्जर समुदाय बड़ी संख्या में है। राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी गुर्जर समुदाय से आते हैं।"
 
"वहीं बीजेपी के रमेश बिधूड़ी भी गुर्जर चेहरा हैं। ऐसे में बीजेपी दोनों के बीच मुकाबला चाहती है और गुर्जर वोटों को अपने पक्ष में करना चाहती है।"
 
ऐसी ही बात वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता भी करते हैं। वे कहते हैं, "टोंक जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है। वहां का गुर्जर और मुस्लिम समुदाय कांग्रेस को पहले से वोट देता आया है और इसी को तोड़ने के लिए रमेश बिधूड़ी को लाया गया है।"
 
हालांकि रमेश बिधूड़ी, राजस्थान से नहीं हैं, बावजूद उन्हें गुर्जर बहुत इलाके में लाया गया है। वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ मानते हैं कि बीजेपी राजस्थान के बाहर से गुर्जर नेताओं को लाकर एक तरह का प्रयोग कर रही है। अगर यह कामयाब होता है, तो यह आगे भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
 
क्या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण है वजह?
रमेश बिधूड़ी ने जब दानिश अली के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, तो उसके केंद्र में उनकी धार्मिक पहचान ही थी।
 
वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता कहते हैं कि रमेश बिधूड़ी की ख्याति हिंदूवादी, कट्टरपंथी और विवादित बयान देने वाली रही है और उसी हिसाब से बीजेपी उनका इस्तेमाल कर रही है।
 
वे कहते हैं, "बीजेपी, रमेश बिधूड़ी को धुव्रीकरण के लिए टोंक जिले में ला रही है। अगर सिर्फ गुर्जर चेहरे की बात होती, तो बीजेपी, दिल्ली विधानसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी को ला सकती थी, जो काफी तेज तर्रार और ख्याति के नेता हैं, लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया।"
 
इतना ही नहीं, टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय सीट पर पहले से बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनपुरिया काबिज हैं, जो प्रदेश के उपाध्यक्ष भी हैं। वे खुद राज्य में एक बड़ा गुर्जर चेहरा है, जिनका इलाके में प्रभाव है।
 
अगले कुछ महीने, रमेश बिधूड़ी इलाके में घूम-घूमकर सभाएं और पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने का काम करेंगे।
 
वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता का मानना है कि चुनाव पास हैं और ऐसे में धुव्रीकरण को तेज किया जा रहा है।
 
वे कहते हैं, "प्रधानमंत्री जी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर कहते थे कि मैं उन्हें दिल से माफ नहीं करूंगा। पांच सालों तक वे सम्मानित सांसद की तरह रहीं, किसी दूसरे सांसद के मुकाबले उनमें कोई फर्क नहीं था। उसी तरह से रमेश बिधूड़ी को मन से माफ नहीं किया, लेकिन प्रमोट कर दिया। यह डबल स्टैंडर्ड हैं। ऐसा कर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि जो शब्द रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली के लिए इस्तेमाल किए थे, वे सही हैं।"
 
टोंक जिले से कई बार सांप्रदायिक तनाव की खबरें सुनाई देती हैं। वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ कहते हैं, "टोंक का एक हिस्सा मालपुरा भी है, जहां से बीजेपी का विधायक है। वह सांप्रदायिक तौर पर तनावग्रस्त रहा है। वहां पर हिंदुओं-मुसलमानों के बीच लंबे समय से खटास रही है। बीजेपी इस जिले के ताने-बाने को ध्यान में रखकर इस तरह के फैसले ले रही है।"
 
क्या है बीजेपी की रणनीति
राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा के बाद बीजेपी उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने में लगी हुई है।
 
राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस के पास 108 और बीजेपी के पास 70 सीटें हैं। जानकारों का मानना है कि बीजेपी कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है।
 
वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं कि पिछले 10 सालों में बीजेपी को एक चुनावी मशीन में बदल दिया गया है और उसे चलाने के लिए रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारने जैसे फैसले लिए जा रहे हैं।
 
वे कहते हैं, "अटल बिहारी के समय दारा सिंह नाम के एक व्यक्ति ने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस की हत्या की थी। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अलग-अलग मंचों से ईसाई समाज के साथ मिलकर खेद प्रकट किया। दारा सिंह आज भी जेल में हैं। गुजरात दंगे हुए, तो उन्होंने मुख्यमंत्री को राजधर्म का पालन करने के लिए कहा, लेकिन आज वैसा नहीं है। आज रमेश बिधूड़ी जैसे नेता को प्रमोट किया जा रहा है।"
 
रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारने को वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता भी एक अजीब स्थिति बताते हैं।
 
वे कहते हैं, "बाहर से प्रभारी बनाकर अकसर नेताओं को लाया जाता है। ये काम सभी दल करते हैं, लेकिन रमेश बिधूड़ी को टोंक लाकर बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व उनका महिमामंडन कर रहा है, जो समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ाने का काम करेगा।”
 
वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता कहते हैं, "इस कदम से बीजेपी बदजुबानी को राजनीति में बढ़ावा दे रही हैं। रमेश बिधूड़ी ने संसद के अंदर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। पार्टी उन्हें मौका देकर एक तरह के ऐसे कामों को वैधता देने काम काम कर रही है।”
 
वहीं नारायण बारेठ का कहना है कि उत्तर भारत में गुर्जर समुदाय की अच्छी संख्या है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी हैं और इन राज्यों में चुनाव भी हैं। ऐसे में बीजेपी को लगता है कि इसका प्रभाव पड़ेगा।
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