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Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 10 सितम्बर 2021 (08:32 IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन की भव्य तैयारी के सियासी मायने क्या?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन की भव्य तैयारी के सियासी मायने क्या? - PM Narendra Modi  71th birthday
विनीत खरे, बीबीसी संवाददाता
17 सितंबर यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन नज़दीक है और भारतीय जनता पार्टी तीन हफ़्ते तक विभिन्न कार्यक्रमों के तहत पूरे देश में इसे मनाने की तैयारी कर रही है। ये कार्यक्रम 17 सितंबर से सात अक्टूबर तक चलेंगे।
 
समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में सबसे पहले छपी इस ख़बर के मुताबिक आम लोगों में नरेंद्र मोदी के तस्वीरों वाले 14 करोड़ प्लास्टिक-रहित राशन बैग बांटे जाएंगे, पांच करोड़ 'थैंक्यू मोदीजी' पोस्टकार्ड भेजे जाएंगे और सोशल मीडिया पर इन कार्यक्रमों का भारी प्रचार किया जाएगा। बीबीसी से बातचीत में भाजपा राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने इन कार्यक्रमों की पुष्टि की।
 
अरुण सिंह ने कहा कि इस दौरान ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जाएंगे, मुफ़्त हेल्थ चेक-अप शिविर लगेंगे, वैक्सीन ड्राइव को तेज़ किया जाएगा और भी कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
 
पार्टी की ओर से इन कार्यक्रमों का आयोजन ऐसे वक्त किया जा रहा है जब उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण चुनाव नज़दीक हैं, कोविड की दूसरी लहर में सरकारी इंतज़ामों, ऑक्सीजन की कमी से मौत आदि पर नरेंद्र मोदी सरकार की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोर आलोचना हुई और हाल ही में छपे 'इंडिया टुडे' के एक सर्वे से संकेत मिले हैं कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कम हुई है। भारत में कोविड से अभी तक चार लाख 40 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
 
प्रधानमंत्री मोदी अभी भी भारत के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, लेकिन इस सर्वे के मुताबिक सिर्फ़ 24 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए सबसे उपयुक्त हैं, जबकि ये आंकड़ा पिछले अगस्त में 66 प्रतिशत और इस जनवरी 38 प्रतिशत था।
 
इस सर्वे के मुताबिक 54 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार के प्रदर्शन को अच्छा और उत्कृष्ट बताया जबकि ये आंकड़ा जनवरी में 74 प्रतिशत था।
 
इंडिया टुडे के पोल से पहले मई में रिपोर्ट हुए दो अन्य पोल्स में कहा गया था कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता घटी है।
 
"पीएम की लोकप्रियता बढ़ी है"
भाजपा नेता अरुण सिंह ने इंडिया टुडे के सर्वे को ग़लत बताया और बीबीसी से बातचीत में कहा, "प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता बढ़ी है। हम जनता के सर्वे देख रहे हैं। हमारे चुनाव के नतीजे भी आ रहे हैं। लोकल बॉडीज़ में भी बीजेपी को बहुत बड़ी सफ़लता हासिल हो रही है।"
 
राष्ट्रीय स्तर के इन कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व और उनके काम को लेकर भाजपा के केंद्रीय, राज्य स्तर और ज़िला-स्तर कार्यालयों में प्रदर्शनी लगेगी और आयोजनों में वरिष्ठ पार्टी नेता कैलाश विजयवर्गीय और पुरंदेश्वरी की भी प्रमुख भूमिका होगी।
 
हाल ही में पीएम मोदी ने अपने कैबिनेट में कई बदलाव किए थे और माना गया था कि इसका मक़सद सरकार को एक नई टीम के साथ पेश करना था।
 
तीन हफ़्तों चलने वाले इन कार्यक्रमों पर वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामसेशन पूर्व प्रधानमंत्रियों के मनाए गए जन्मदिनों को याद करती हैं।
 
राधिका बताती हैं कि "मनमोहन सिंह का जन्मदिन तो पता ही नहीं लगता था और अटल जी के जन्मदिन को भी छोटे स्तर पर ब्लड डोनेशन कैंप में ख़ून देकर मनाया जाता था। न कि इस स्तर पर।"
 
"यह अपनी छवि को लेकर शंकित होने का संकेत"
उधर राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार दुबे इन कार्यक्रमों की टाइमिंग की ओर इशारा करते हैं।
 
वे कहते है, "इस वक्त अर्थव्यवस्था बुरी हालत में है, किसान आंदोलन उफ़ान पर है, महंगाई बहुत ज़्यादा बढ़ गई है, न पहले पेट्रोल और डीज़ल कभी इतना महंगा हुआ। ऐसे में अपने जन्मदिन के मौके पर वे (प्रधानमंत्री मोदी) चाहते हैं कि एक बार फिर उनकी शख़्सियत का सिक्का जमाया जाए और इसके लिए बड़े पैमाने पर इस तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं।"
 
अभय दुबे कहते हैं, "21 दिन अगर किसी प्रधानमंत्री की शख़्सियत के इर्द-गिर्द उसका जन्मदिन मनाया जाता है तो ये अपने आप में संकेत है कि वो अपनी छवि को लेकर किस तरह ख़ुद शंकित हो गए हैं। अगर इंडिया टुडे का पोल नहीं आता तब भी यही होता क्योंकि समस्याएं बहुत विकट हैं।"
 
कोविड कंट्रोल
दूसरी कोविड लहर के दौरान उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोविड संकट की हैंडलिंग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक तक नाराज़ थे और पार्टी में राज्य की योगी सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी के स्वर भी उठे थे।
 
भारत के भीतर और दुनिया भर में तस्वीरें गईं कि किस तरह कोविड मरीज़ ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की कमी से दम तोड़ रहे हैं।
 
उधर अरुण सिंह दावा करते हैं कि "उत्तर प्रदेश में योगी जी ने कोविड होने के बावजूद चौथे दिन निकलकर एक-एक ज़िलों का दौरा किया, आशा वर्कर को लगाया गया, दवाइयां घर-घर पहुंचाई गईं।।। जितनी जल्दी उत्तर प्रदेश का कंट्रोल हुआ, उतनी जल्दी कहीं कंट्रोल नहीं हुआ।"
 
अरुण सिंह तीन हफ़्ते चलने वाले कार्यक्रमों को "सेवा और समर्पण अभियान" बताते हैं और कहते हैं, "(प्रधानमंत्री ने) ग़रीबों को राशन देने का काम किया है। ऑक्सीजन के लिए 24 घंटों काम किया है। जल से भी, थल से भी, नभ से भी, तीनों के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचाया है। प्रधानमंत्री जो काम कर रहे हैं, उस पर लोगों को पूरा विश्वास है।"
 
कार्यक्रम में क्या क्या होगा?
वे कहते हैं, "आम जनमानस जिनको वैक्सीन लगाया गया है, जिनको राशन मिलता है, जिनको प्रधानमंत्री आवास योजना मिली है, जिनको उज्जवला योजना मिली है, जिनको घर पर नल से जल मिल रहा है, जिनके अकाउंट खोलकर पैसा पहुंचाया है, वो प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देंगे जिसमें कहेंगे कि प्रधानमंत्री जी आपने हमारे कल्याण के लिए ये काम किया है।"
 
अरुण सिंह के मुताबिक इन कार्यक्रमों में पार्टी कार्यकर्ता एक जगह इकट्ठा नहीं होंगे, बड़े कार्यक्रम और रैलियां नहीं होंगी और सभी कार्यक्रम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए होंगे।
 
वे कहते हैं, "आपदा तो कोई रोक नहीं सकता। आपदा पर पार्टी, संगठन, सरकार किस प्रकार काम करते हैं उसको जनता देखती है।"
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