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Last Modified: गुरुवार, 24 सितम्बर 2020 (18:47 IST)

दीपिका पादुकोण से एनसीबी की पूछताछ और किसानों के प्रदर्शन की तारीख़ संयोग है या प्रयोग?

दीपिका पादुकोण से एनसीबी की पूछताछ और किसानों के प्रदर्शन की तारीख़ संयोग है या प्रयोग? - farmer protest and deepika Padukone NCB interrogation
-सरोज सिंह
भारत में 1977 की इमरजेंसी से जुड़ा ये प्रसिद्ध क़िस्सा है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अपने फ़ेसबुक पर इमरजेंसी से जुड़े तीन पार्ट के ब्लॉग में साल 2018 में उस क़िस्से के बारे में लिखा भी था। उसी के तीसरे भाग का ये अंश है :
 
"बात 2 फ़रवरी 1977 की है। बाबू जगजीवन राम, हेमवंती नंदन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था और 'कांग्रेस फ़ॉर डेमोक्रेसी' का गठन किया था। उन्होंने जनता पार्टी का साथ देने का फ़ैसला किया।
 
6 फ़रवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में जनता पार्टी ने एक रैली का आयोजन किया था। उस रैली को इन तीनों नेताओं ने भी संबोधित किया था। एक छात्र नेता के तौर पर और जनता पार्टी गठबंधन का युवा चेहरा होने के नाते, मैंने भी रैली को संबोधित किया।
 
मुझे रैली की शुरुआत में ही वहां आए लोगों में जोश भरने के लिए भाषण देने को कहा गया था। मेरे बाद जगजीवन राम और हेमवंती नंदन बहुगुणा ने भी भाषण दिया। मैंने अपने जीवन में इतने बड़ी भीड़ के सामने कभी भाषण नहीं दिया था।
 
इंदिरा गांधी ने जगजीवन राम पर धोखा देने का आरोप लगाया था। इंदिरा गांधी ने जगजीवन राम पर इमरजेंसी में क्या कुछ ग़लत हो रहा है, ये उनको नहीं बताने का आरोप लगाया। रामलीला मैदान में भाषण देते हुए जगजीवन राम ने कहा, "कैसे बता देते? बता देते तो जगजीवन कहीं होते और राम कहीं।"
 
उस रैली में जितनी बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए, उससे पूरे देश में एक संदेश गया कि जनता पार्टी की लहर चल रही है। वीसी शुक्ल तब सूचना प्रसारण मंत्री थे। उन्होंने एक चाल चली। रैली के ठीक पहले उन्होंने एलान किया कि उस समय की हिट फ़िल्म 'बॉबी' दूरदर्शन पर दिखाई जाएगी।
 
लेकिन पूरे देश में कांग्रेस विरोधी ऐसी लहर थी कि लोगों ने सुपरहिट फ़िल्म बॉबी को छोड़कर रामलीला मैदान में रैली में हिस्सा लिया। लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर रैली में पहींचे, क्योंकि बस सेवा भी बंद थी।
 
संयोग या फिर प्रयोग का सवाल क्यों? : अब आप सोच रहें होंगे - इमरजेंसी का ये क़िस्सा मैं अब क्यों लिख रही हूं? जवाब भी सुन लीजिए।
दरअसल फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने पूछताछ के लिए समन जारी किया है। इस सिलसिले में उन्हें 25 सितंबर यानी शुक्रवार को एनसीबी दफ़्तर जाना होगा।
 
दीपिका के अलावा अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह और सारा अली ख़ान को भी एनसीबी ने पूछताछ के लिए समन भेजा है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई और पीटीआई ने इसकी पुष्टि की है। ये पूरा मामला अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच से जुड़ा है।
 
लेकिन सोशल मीडिया पर दीपिका से एनसीबी की पूछताछ की टाइमिंग को लेकर कई लोग सवाल पूछ रहे हैं।
 
एनसीबी की दीपिका से पूछताछ की तारीख़ बुधवार को आई है। जबकि देश भर में नए कृषि बिल को लेकर किसान पिछले कुछ समय से आंदोलन कर रहे हैं। उसी कड़ी में किसान संगठनों ने 25 सितबंर को बड़े प्रदर्शन का एलान किया है।
 
दोनों की टाइमिंग का ज़िक्र करते हुए इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बुधवार को एक ट्वीट किया और इस क़िस्से को दोहराया है। हालांकि गुहा साल लिखने में थोड़ा ग़लती कर गए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "मार्च 1975 में जब जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों के ख़िलाफ़ एक पब्लिक रैली का आयोजन किया जा रहा था, उस वक़्त सरकार ने दूरदर्शन को हिट फ़िल्म 'बॉबी' प्रसारित करने को कहा था।"
 
यानी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में बॉलीवुड का सहारा लेना कोई नया चलन नहीं है। कांग्रेस ने भी अपने ज़माने में ऐसा किया है।
 
इतनी ही नहीं, दीपिका को एनसीबी ने समन भेजा है, ये ख़बर भी उसी वक़्त आई जब बुधवार को विपक्षी पार्टी के नेता बिल के विरोध में राष्ट्रपति से मुलाक़ात करने के बाद प्रेस को संबोधित कर रहे थे।
 
लोग इसमें भी टाइमिंग को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं। शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने ट्विटर पर लिखा है, "ये संयोग नहीं बल्कि प्रयोग है जो सरकार हर फंसाऊ मौक़े पर करती रहती है।"
 
इसके अलावा पत्रकार राजदीप सरदेसाई, सबा नक़वी, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण जैसे कई दूसरे लोगों ने भी इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं।
 
एनसीबी का गठन : इसमें कोई दो राय नहीं कि ये एक महज़ इत्तेफ़ाक़ भी हो सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के 'संयोग और प्रयोग' वाले जुमले पर लोग चुटकी क्यों ले रहे हैं, इसके लिए एनसीबी को जानने की भी ज़रूरत है।
 
एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना 1986 में हुई थी। ये भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। इसका उद्देश्य समाज को ड्रग के चंगुल से आज़ाद कराना है, जिसके लिए एनसीबी 'न्यायपूर्ण' 'दृढ़' और 'निष्पक्ष' तरीक़े से काम करती है। एनसीबी की आधिकारिक बेवसाइट पर भी इस बात का ज़िक्र है।
 
एनसीबी के डीजी इस समय राकेश अस्थाना हैं। राकेश अस्थाना इससे पहले सीबीआई में भी रह चुके हैं और सीबीआई में नंबर एक की पोज़िशन के लिए आलोक वर्मा के साथ उनकी लड़ाई काफ़ी चर्चा में भी रही थी। उनकी गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के क़रीबी नौकरशाहों में होती है।
 
राकेश अस्थाना ने अपने करियर में कई अहम मामलों की जांच की है। इन मामलों में गोधरा कांड की जांच, चारा घोटाला, अहमदाबाद बम धमाका और आसाराम बापू के ख़िलाफ़ जांच शामिल है। ये है एनसीबी और उनके डीजी का छोटा सा परिचय।
 
25 सितंबर को किसान क्या करने वाले हैं? : अब बात किसान आंदोलन की। नए कृषि बिल का पूरे देश के कई हिस्सों में किसान विरोध कर रहे हैं और कई राजनीतिक पार्टियां भी इसके विरोध में हैं।
 
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने संसद से पास किए गए नए कृषि बिल के विरोध में 25 सितंबर को देश भर में विरोध सभाएं, चक्का जाम और बंद का एलान किया है।
 
एआईकेएससीसी का दावा है कि उनकी संस्था के साथ देश भर के छोटे-बड़े 250 किसान संगठन जुड़े हैं। केवल पंजाब, हरियाणा ही नहीं उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और बिहार के किसान भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले हैं।
 
हर राज्य में किसान संगठन अपने हिसाब से तैयारी कर रहे हैं- कहीं चक्का जाम तो कहीं विरोध सभाएं, तो कहीं रेल रोको आंदोलन होगा। लेकिन चक्का जाम का एलान पूरे देश के लिए किया गया है।
 
किसानों की मांग क्या है? : बीबीसी से बातचीत में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा, "9 अगस्त से ही हम इसका विरोध कर रहे हैं। पहले हमने संसद सत्र के पहले दिन पूरे देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए। उसके बाद भी संसद में बिल पास किया गया। हमारी बात बस इतनी सी है कि बिल में किसानों के प्रोटेक्शन की कोई बात नहीं है। इसके बाद हमने 25 तारीख़ का दिन विरोध प्रदर्शन के लिए 17 सितंबर को ही तय कर लिया था।"
 
प्रधानमंत्री कह रहे हैं फ़सलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा। लेकिन आज भी धान 1000 रुपए में बिक रहा है जबकि एमएसपी 1855 रुपए है, मक्का भी 900 रुपए का बिक रही है जबकि एमएसपी 1760 रुपए है। ये बिल आज नहीं आए हैं। 5 जून को आप अध्यादेश लेकर आए। तब से अब तक सरकार ने क्या किया? सरकार ने कितना ख़रीदा? फ़सल पैदा करने के लिए लगने वाले सामान जैसे डीज़ल, खाद, बीज सबकी क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं। ये नेताओं और पार्टियों की लड़ाई नहीं है। जो समर्थन देना चाहते हैं वो दे सकते हैं। लेकिन ये लड़ाई किसानों की है।
 
"हम चाहते हैं कि सरकार एमएसपी से कम पर ख़रीद को अपराध घोषित करें और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे। बस मूलत: हमारी यही दो मांगें हैं।"
 
इस बीच #25sep5baje25minute भी ट्विटर पर ख़ूब ट्रेंड कर रहा है। नए कृषि बिल के विरोध में किसानों का साथ देने के लिए लोग इस हैशटैग को ख़ूब ट्वीट कर रहे हैं।
ज़ाहिर है कल किसान आंदोलन कर रहे होंगे और टीवी पर ज़्यादातर जगह दीपिका के एनसीबी दफ़्तर जाने की ख़बरें चल रही होंगी। हालांकि समन के बाद दीपिका की तरफ़ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
 
दीपिका पादुकोण को समन और किसान आंदोलन एक दिन होने पर प्रतिक्रिया देते हुए वीएम सिंह ने कहा, "सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर मैं भी दुखी हूं, मुझे भी इसका अफ़सोस है। लेकिन इसी देश में 42480 किसान मज़दूरों ने आत्महत्या की, एक साल में उसकी क्यों नहीं जांच कराते? क्यों नहीं पता लगाते कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? जो किसान पूरे देश को खिला रहा है वो अब पीड़ा में है। पूरे देश को किसानों ने कोरोना में खिलाया है। आज देश के लिए एक इंसान ज़्यादा अहमियत रखता है या फिर वो किसान जो देश को खिलाता है, ये देश को तय करना है।'
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