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आखि‍र क्‍यों ‘बि‍लकिस बानो’ पर आया ‘टाइम मैगजीन’ का दिल?

आखि‍र क्‍यों ‘बि‍लकिस बानो’ पर आया ‘टाइम मैगजीन’ का दिल? - time and bilkis bano
सीएए के विरोध में हुए शाहीन बाग प्रदर्शन का चेहरा बनकर उभरी थी दिल्‍ली की बि‍लकिस बानो

हाल ही में मशहूर पत्रिका ‘टाइम’ ने 2020 की 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल किया है। लेकिन इसमें सबसे चौंकाने वाली या यूं कहें कि दिलचस्‍प बात यह है कि ‘टाइम’ की इस सूची में दिल्‍ली की बि‍लकिस बानो नाम की एक महिला को भी जगह दी है।

‘टाइम मैगजीन’ के इस चयन को लेकर दुनियाभर खासतौर से भारत में चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि आखि‍र बि‍लकि‍स बानो ने ऐसा क्‍या किया है कि उन्‍हें ‘टाइम मैग‍जीन’ ने इस सूची में शामिल कर दिया।

सवाल उठता है कि आखि‍र कौन है बि‍लकिस बानो जिसे टाइम ने अपनी सूची में शामिल किया है।

दरअसल, साल के शुरुआती दिनों में ही सीएए कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया था। दिल्‍ली का शाहीन बाग इसी के विरोध में उभरकर सामने आया था, इसी दौरान दिल्‍ली में दंगे शुरू हो गए जिसमें ‘आप’ पार्टी के पार्षद ताहीर हुसैन के साथ ही कुछ अन्‍य लोगों को भी दिल्‍ली पुलिस ने गि‍रफ्तार किया था। मामले में जांच की जा रही है। हाल ही में दाखिल की गई चार्जशीट में सामने आया है कि दिल्‍ली के दंगों को प्रायोजित किया गया था। बकायदा इन्‍हें अंजाम देने के लिए योजना बनाई गई थी। छानबीन और मीडि‍या की इन्‍वेस्‍टिगेशन में कई सबूत भी पुलिस को हाथ लगे हैं।

लेकिन इसके पहले दि‍ल्‍ली में जो शाहीन बाग में प्रदर्शन किया गया था, उसमें बि‍लकिस बानो नाम की यह महिला भी शामिल हुई थी। उम्रदराज बि‍लकिस बानो के बारे में कहा जाता है कि उन्‍होंने शाहीन बाग में सीएए के विरोध में महिलाओं को इकठ्ठा करने का काम किया था। उनके  कहने पर ही कई महिला प्रदर्शनकारी यहां एकत्र हुईं थी।

बि‍लकिस बानो इस प्रदर्शन का चेहरा बनकर उभरी थी। हालांकि उम्र ज्‍यादा होने और बावजूद इसके वे प्रदर्शन में शामिल हुई इसलिए वे मीडिया की सुर्खि‍यों में आ गई थी। इसके अलावा उनका कोई योगदान नहीं रहा है। बल्‍कि जिस शाहीन बाग नाम के प्रदर्शन में वे शामिल थी, बाद में उसे ही दिल्‍ली दंगों का केंद्र बताया गया। जांच में कई ऐसे लोगों के नाम आ रहे हैं, जो किसी न किसी तरह शाहीन बाग से जुडे थे।

ऐसे में ‘टाइम’ मैगजीन के इस चयन पर न सिर्फ पूरी दुनिया में हंसी हो रही है बल्‍कि सवाल भी उठ रहे हैं। क्‍योंकि टाइम ने इसके साथ ही भारत की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था पर भी सवाल उठा दि‍ए हैं। टाइम ने जो आलेख प्रधानमंत्री मोदी के लिए लिखा है उसमें उसका कहना है कि चुनाव जीतना और देश चलाना दोनों अलग बातें हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपने हिसाब से देश को चला रहे हैं। इतना ही नहीं, टाइम ने यह भी कहा है कि भारत में 80 प्रति‍शत जनसंख्‍या हिंदुओं की है और अब तक यहां कोई गैर-हिंदू व्‍यक्‍त‍ि प्रधानमंत्री नहीं बन सका है।

इस आलेख के साथ ‘टाइम’ सीधेतौर पर भारत के लोकतांत्रि‍क व्‍यवस्‍था की आलोचना कर उस पर सवाल उठा दिए हैं।

कौन है बि‍लकि‍स बानो  
एनआरसी-सीएए के विरोध का चेहरा बनकर उभरीं बिलकीस उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली हैं। उनके पति की करीब 11 साल पहले मौत हो चुकी थी। अभी वह दिल्‍ली के शाहीन बाग में अपने बहू-बेटों और पोते-पोतियों के साथ रहती हैं।

बहरहाल ‘टाइम’ के इस सम्मान पाने के बाद बिलकीस दादी ने टाइम मैगजीन का शुक्रिया अदा किया है। उनका कहना है कि वह मरते दम तक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करती रहेंगी।

(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)
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