अश्विन अघोर (मुंबई से)
मुंबई पुलिस ने इस हफ्ते घाटकोपर इला से बड़ी मात्रा में ड्रग की एक खेप ज़ब्त की। मुंबई क्राइम ब्रांच के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर दिलीप सावंत ने कहा, "शुरुआती तफ्तीश में इस गिरोह के तार महाराष्ट्र से बाहर जुड़े होने की बात सामने आई है। पकड़े गए चार लोग एक कार में माल लेकर जा रहे थे।"
पुलिस और इस धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि मेफिड्रीन की ये गोलियां अगर पकड़ी नहीं जातीं तो ये शहर के अलग-अलग इलाक़ों में सप्लाई होतीं और ख़ासतौर पर पब्स या स्कूलों के आसपास के क्षेत्रों में। स्कूल आजकल ड्रग्स स्पलायर्स का ख़ास निशाना है। और बच्चों को नया शिकार बनाने के लिए ख़ास निशाना है 'होम मेड चॉकलेट ड्रग्स।'
घर में तैयार किए जानेवाले इन चॉकलेट्स में ड्रग मिला दी जाती हैं और अनजाने में बच्चे या कॉलेजों के नौजवान उसका सेवन शुरू कर देते हैं। ठाणे पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर भरत शेलके कहते हैं, "पिछले कुछ महीनों से ठाणे, मुंबई और नवी मुंबई के स्कूल और कॉलेज के छात्रों में ड्रग्स की लत की कई घटनाएं सामने आई हैं।"
सप्लायर्स के लिए 'पब' दूसरा सीधा ठिकाना है। छात्रों को 'शक्तिवर्धक' दवाइयों के नाम पर गोलियां बेचना बहुत आसान होता है। ऐसे ड्रग्स किसी तरह के पेय पदार्थ में भी मिलाए जा सकते हैं। ड्रग्स ट्रेड में लगे लक्ष्मण ने बताया, "कॉलेज के छात्रों में साथ पढ़ने या जाननेवाली लड़की को इंप्रेस कर शारीरिक संबंध स्थापित करने की होड़ लगी होती है। और वहीं से शुरू हो जाती है कहानी और नया ग्राहक।"
अलोक कुमार दक्षिण मुंबई के एक पब में बार टेंडर है। छात्रों में ख़ूब लोकप्रीय आलोक कहते हैं उनके तैयार किए ड्रिंक्स को पीकर युवाओं में जोश और ताक़त आ जाती है।
वो कहते हैं, "वो अपनी दोस्तों के साथ पब में आते है। जिस्मानी ताक़त और दक्षता दिखाने के लिए वो 'शक्तिवर्धक' गोली की मांग करते हैं। ये वास्तव में यह नशीला पदार्थ होता है और उन्हें लगता है कि जैसे उनकी संभोग करने की शक्ति बहुत बढ़ गई है। हालांकि ये भ्रम होता है।"
उनके पास हफ्ते में कम से कम 150 से 200 'शक्तिवर्धक' गोली के शौकीन आते हैं। लक्ष्मण कहते हैं कि हमारे ग्राहक और नए ग्राहक लाते हैं और धंधा फल-फूल रहा है। एक स्वंयसेवी संस्था के मुताबिक़ मुंई में ही हर माह क़रीब 20 करोड़ रुपये के ड्रग्स स्कूल-कॉलेज के छात्रों को बेचे जाते हैं। संस्था के राम पाटील कहते हैं, "मुंबई में क़रीब 1 लाख के आसपास युवा ड्रग्स की चपेट में हैं।"
ठाणे के एक स्कूल शिक्षक मोहित शिंदे ने बताया, "हाल के दिनों में हमने अपने कुछ स्टूडेंट्स में अजीब से बदलाव महसूस किए। क्लास में होते हुए भी उनका ध्यान पढाई में नहीं होता था, जो पढ़ाया जा रहा था, न ही वो उसे समझ पा रहे थे, न ही कोई दिलचस्पी रह गई थी उनकी पढ़ाई में। नौंवी तथा दंसवी के इन बच्चों पर जब निगाह रखी गई और जब सच सामने आया तो हम सकते में आ गए।"
वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर विजय भिसे ने बताया, "इस तरह के मामले सामने आने के बाद- जैसा हाल में एक कल्याण से आया, हम स्कूल-कॉलेज के पास सादे कपड़ों में अपने आदमी तैनात करते हैं। और फिर सप्लायर्स को दबोचने की कोशिश करते हैं।"
कल्याण में पुलिस टीम ने कई दिनों के बाद कई नशे के आदी बच्चों की पहचान की। दो ड्रग पेडलर को तड़ीपार भी किया गया। पुलिस ने स्कूल-कॉलेजों और ऐसी दूसरी संस्थाओं में लेक्चर और सलाह-मशविरे का काम भी शुरू किया है।