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Written By Author गिरीश पांडेय

Ayodhya Ram Mandir: राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम

सप्तपुरियों में शुमार है रामनगरी अयोध्या

Ayodhya Ram Mandir: राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम - Yogi Adityanath efforts for Ayodhya Ram Mandir
  • अयोध्या के लिए योगी सरकार ने खोला खजाने का मुंह
  • 2200 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी ग्रीन फील्ड सिटी
  • राम मंदिर आंदोलन में रही गोरक्ष पीठ की अहम भूमिका
Ayodhya Ram Mandir News: यूं तो रामचरित मानस की ये पंक्तियां महाकवि तुलसीदास ने प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त महाबली हनुमानजी के लिए लिखीं थीं। पर मौजूदा समय में गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में ये भी शब्दशः यही कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। राम मंदिर आंदोलन में करीब एक सदी से जो लोग गोरक्षपीठ की केंद्रीय भूमिका से अवगत हैं, यकीनन इससे पूरी तरह सहमत भी होंगे। 
 
राम मंदिर आंदोलन में अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के नक्शेकदम पर चलते हुए, बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को राम की अयोध्या के लिए जब कुछ करने का मौका मिला तो उन्होंने वह कर दिखाया जो कल्पनातीत है।
 
उनके प्रयासों से कभी उजाड़ और उदास सी दिखने वाली पुराणों की सप्तपुरियों में शुमार और राम की प्रिय (उन्होंने खुद कहा है- अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ) अयोध्या और वहां के लोग अब खुश हैं। अयोध्या को सजाने संवारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार और योगी की प्रदेश सरकार ने खजाने का मुंह खोल दिया है। 
 
फिलहाल अयोध्या को केंद्र में रखकर 31 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। कुछ पूरी हो चुकी हैं। कुछ पूरी होने को हैं। बड़ी परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाना है। जिस दिन ये काम धरातल पर उतर जाएंगे, उस दिन अयोध्या मुस्करा उठेगी। यहीं नहीं महायोजना के तहत अगले 10 वर्षों में करीब 85 हजार करोड़ रुपये के काम प्रस्तावित हैं। इनके पूरा होने पर खिलखिलाने के साथ चहक उठेगी अयोध्या।
 
यकीनन तब इस बाबत संघर्ष करने वाली गोरक्षपीठ की दो पीढ़ियों की आत्मा भी बेहद खुश होगी। हो भी क्यों ना! उनके संघर्ष के सपनों को एक मुकाम मिलेगा। उस अपने को मंजिल तक पहुंचाने में अपने ही तीसरी पीढ़ी की केंद्रीय भूमिका के मद्देनजर तो और भी।
 
बदली हुई भव्य और दिव्य अयोध्या में वह सब कुछ होगा या उससे अधिक भी होगा जो दुनिया के किसी भी, सबसे खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थल में होने की परिकल्पना की जा सकती है। यही योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धता भी रही है। न जाने कितनी बार सार्वजनिक रूप से उन्होंने इसको कहा भी है। अब तो उनकी सोच उससे भी आगे की है। वह अयोध्या को देश और दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी (कल्चरल कैपिटल) के रूप में देखना चाहते हैं। ऐसी अयोध्या जो सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक उत्कर्ष का केंद्र हो।
 
स्मार्ट, सेफ, सोलर सिटी के रूप में विकसित अयोध्या, इससे संबद्ध करीब 1047 एकड़ और 2200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली ग्रीन फील्ड सिटी मोदी और योगी के सपनों को मूर्त रूप देगी। इसका स्वरूप काफी हद तक जमीन पर दिखने लगा है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन तक यह और साफ दिखेगा। बाकी के लिए 10 वर्ष की महायोजना और विजन 2047 के तहत होने वाले विकास कार्यों की प्रतिक्षा करिए।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 
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