राममंदिर भूमिपूजन में मंदिर आंदोलन के सितारे आडवाणी,जोशी और उमा भारती के नहीं रहने पर उठते सवाल ?
राममंदिर के भूमिपूजन के लिए अयोध्या पूरी तरह तैयार हो चुकी है। अब सबको उस पल का इंतजार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुभ मुहूर्त में मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन करेंगे। भूमिपूजन कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और न्यास अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास समेत 175 लोग शामिल होंगे जिनमें 36 आध्यात्मिक परंपराओं के 135 संत शामिल है।
राममंदिर ट्रस्ट ने भूमिपूजन के कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है लेकिन भूमिपूजन के कार्यक्रम के दौरान राममंदिर आंदोलन के सितारे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी,उमा भारती, कल्याण सिंह और विनय कटियार जैसे नेताओं का नहीं शामिल होना कई सवाल खड़े कर रहा है।
भूमिपूजन से ठीक पहले भाजपा के मंदिर आंदोलन के मुख्य सारथी रहे आडवाणी ने एक वीडियो संदेश जारी कर इस अपना सपना पूरा होना बताया है। आडवाणी ने कहा मैं खुश हूं कि राम मंदिर आंदोलन में भाग्य में मुझे सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा का मौका मिला। कई बार सपने पूरा होने में वक्त लगात है लेकिन जब भी पूरा होता है, इंतजार सार्थक हो जाता है।
वहीं राममंदिर आंदोलन में शामिल होने वाली हिंदुत्व की फायर ब्रांड नेता उमा भारती अयोध्या में तो है लेकिन वह भूमिपूजन के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगी। इसके साथ मंदिर आंदोलन में शामिल होने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी अब तक राममंदिर के भूमिपूजन पर कुछ नहीं बोले है वहीं बजरंग दल के संस्थापक और पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार भी नहीं शामिल हो रहे है।
भूमिपूजन कार्यक्रम से राममंदिर आंदोलन के बड़े सितारों के शामिल नहीं होने पर कोरोना संक्रमण को बड़ा कारण बताया जा रहा है, इनमें आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की उम्र का हवाला दिया जा रहा है कि लेकिन भूमिपूजन कार्यक्रम में ऐसे कई लोग शामिल हो रहे है जो 65 साल से अधिक आयु के है।
राममंदिर भूमिपूजन से मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरे के गायब रहने पर संपूर्ण आंदोलन को करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि आज जब राममंदिर के भूमिपूजन हो रहा है तो सब लोग खुश है लेकिन हर किसी के मन में सवाल यही हैं कि क्यों इस आयोजन में भाजपा के मंदिर आंदोलन के बड़े नेता गायब है।
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि भाजपा के साथ अयोध्या में राममंदिर के लिए कई और लोगों ने भी लड़ाई लड़ी जिसमें शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया,शिवसेना, निर्मोही अखाड़ा,हिंदू महासभा को अब जब राममंदिर निर्माण के समय प्रतिनिधित्व नहीं मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है।
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं अब लोगों को लग रहा है कि राममंदिर के भूमिपूजन के पूरे कार्यक्रम में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मुख्य केंद्र में है और संघ प्रमुख मोहन भागवत मुख्य अतिथि बनाया गया है। पूरे कार्यक्रम को देख कर यहीं लगा रहा है कि इसमें कुछ खास लोगों को जगह दी गई है और कहा जा सकता है कि इसमें एक कैंप के नेताओं को ही जगह मिली है।