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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: मंगलवार, 4 अगस्त 2020 (14:55 IST)

Special Story:राममंदिर भूमिपूजन में शामिल होने वाले इकलौते मुस्लिम पीएम मोदी को भेंट करेंगे रामचरित मानस

Special Story:राममंदिर भूमिपूजन में शामिल होने वाले इकलौते मुस्लिम पीएम मोदी को भेंट करेंगे रामचरित मानस - Special Report : Iqbal ansari invited for Ram Mandir bhoomi Poojan
राममंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए राममंदिर ट्रस्ट ने जिन लोगों को न्यौता भेजा है,उसमें सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम को लेकर हो रही है वह नाम इकबाल अंसारी का है,इकबाल अंसारी पूरे विवाद में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे और अब राममंदिर भूमि पूजन में अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। 

राममंदिर ट्रस्ट की तरफ से न्योता मिलने पर 'वेबदुनिया' से खास बातचीत में इकबाल अंसारी कहते हैं कि वह राममंदिर के पूजन कार्यक्रम में जरूर शामिल होंगे। वह इस पूरे आयोजन को अयोध्या की गंगा जमुनी तहजीब बताते हुए कहते हैं कि अयोध्या के लोगों में तो कभी कोई विवाद था ही नहीं जो भी विवाद हुआ उसमें बाहरी लोग शामिल थे। वेबदुनिया से बातचीत में इकबाल अंसारी कहते हैं वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने हाथों से रामचरितमानस भेंट करेंगे।  
 
कौन हैं इकबाल अंसारी- इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के प्रमुख पैरोकार हाशिम अंसारी के बेटे है, जो अपने पिता के निधन के बाद मस्जिद को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी। इकबाल अंसारी के वालिद हाशिम अंसारी 95 साल की उम्र तक बाबरी मस्जिद के लिए लड़ते रहे। 
 
हाशिम अंसारी बाबरी मस्जिद के पैरोकार जरूर रहे लेकिन स्थानीय हिंदू साधु-संतों से उनके रिश्ते कभी ख़राब नहीं हुए। खुद हाशिम अंसारी ने राममंदिर आंदोलन को प्रमुखता से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी से बातचीत में कहा था कि "मैं सन 49 से मुक़दमे कि पैरवी कर रहा हूँ, लेकिन आज तक किसी हिंदू ने हमको एक लफ़्ज़ ग़लत नहीं कहा. हमारा उनसे भाईचारा है. वो हमको दावत देते हैं. मै उनके यहाँ सपरिवार दावत खाने जाता हूँ."।
 
इतना ही नहीं विवादित स्थल के दूसरे प्रमुख दावेदारों में निर्मोही अखाड़ा के राम केवल दास और दिगंबर अखाड़ा के रामचंद्र परमहंस से हाशिम की अंत तक गहरी दोस्ती रही। परमहंस और हाशिम तो अक्सर एक ही रिक्शे या कार में बैठकर मुक़दमे की पैरवी के लिए अदालत जाते थे और साथ ही चाय-नाश्ता करते थे.
 
राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को सबसे नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि हाशिम अंसारी गज़ब के जीवट के आदमी थे. लेकिन बाद के सालों में वह मायूस रहने लगे थे. एक मुलाक़ात में कारण पूछने पर उन्होंने बताया था, "कुछ मायूसी है, हालात को देखते हुए. जो मुखालिफ़ पार्टियां चैलेंज कर रही हैं, उससे मायूसी है और हुकूमत कोई एक्शन नहीं लेती.”।
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