Christmas Special : ऐ इब्न-ए-मरियम! जल्दी आओ...
सेहबा जाफ़री | सोमवार,दिसंबर 21,2020
ऐ परमेश्वर की रूह! वक्त तुम्हारी आमद का है, और बच्चे- बूढ़े सभी तुम्हारे मुन्तजिर हैं तो आते वक्त अपने पमेश्वर से उस ...
हिन्दी दिवस पर कविता : मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुमने बचपन खेला...
सेहबा जाफ़री | रविवार,सितम्बर 13,2020
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम जीवन साज पे संगत देते
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम, भाव नदी का अमृत पीते
मैं वह भाषा ...
अलविदा राहत : गज़ल ने आपके नाम की मेहंदी रचाई थी...
सेहबा जाफ़री | बुधवार,अगस्त 12,2020
राहत ! अदबी दुनिया की राहत, ज़िंदगी के दर्द से थके उम्र के मारों की राहत, गुस्से मे उबलते और सिस्टम से नाराज़ ज़हनों की ...
Fathers Day Poem : पापा मेरी नन्ही दुनिया
सेहबा जाफ़री | शुक्रवार,जून 19,2020
poem on father - पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी, आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर विशेष: चाय एक महबूबा सी....
सेहबा जाफ़री | रविवार,दिसंबर 15,2019
मां को चाय बिलकुल पसंद नहीं, पापा सुबह चाय की जगह छाछ पीते हैं, अक्सर जब हम भाई बहन चाय पीतें हैं, दोनों नाक भौंह ...
हिन्दी दिवस पर कविता : मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम गाते हंसते हो
सेहबा जाफ़री | बुधवार,सितम्बर 11,2019
हिन्दी दिवस पर कविता- मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम सपनाते हो, अलसाते हो। मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपनी कथा सुनाते हो
क्रिसमस स्पेशल कविता : सांता तुम कहां हो
सेहबा जाफ़री | मंगलवार,दिसंबर 25,2018
धूप में खुलकर खलिकर खिलखिलाकर
1 दिन का क्रिसमस मनाकर
सोच रही हूं सांता तुम कहां हो
जन्माष्टमी कविता : अबके मेरे घर भी आना
सेहबा जाफ़री | मंगलवार,सितम्बर 4,2018
तरसी यशोदा, सुन सुन कान्हा
अबके मेरे घर भी आना
अंगना सूना आंखे सुनी
इनमें ख्वाब कोई भर जाना
कबीर जयंती विशेष : यह वो जमीं है जहां नाज़िल कबीर होते हैं
सेहबा जाफ़री | गुरुवार,जून 28,2018
इन्हीं के नाम से जिंदा है ताबे-हिन्दुस्तां
इन्हीं के नाम नए सूरज उजाले बोते हैं
जो लब खुलें तो पलट दें ये कायनात ...
इब्न-ए-मरियम हुआ करें कोई, मेरे दुःख की दवा करें कोई..
सेहबा जाफ़री | बुधवार,दिसंबर 20,2017
ऐ परमेश्वर की रूह! आओ कुबूलियत की हवा के झोंको के साथ, इससे पहले कि दर्द के पैमाने लबरेज हो, कराह उठें- इब्न-ए-मरियम ...