पर्यावरण दिवस विशेष : धरती भी हमें एक ही बार मिली है...पढ़ें जानीमानी कथाकार सुधा अरोड़ा की कलम से
सुधा अरोड़ा | सोमवार,जून 5,2023
धरती-मां है हमारी! पर हममें से कितने हैं जो वाकई इस धरती के पर्यावरण के प्रति जागरुक हैं? उनके लिए न सिर्फ़ सोचते हैं ...
एक औरत की नोटबुक से : सुधा अरोड़ा
सुधा अरोड़ा | शुक्रवार,अप्रैल 1,2022
एक पति ही जानता है कि अपनी पत्नी को पीड़ा देने का सबसे बेहतरीन तरीका या नुस्खा क्या है। कितने नुकीले या कितने भोथरे ...
मन्नू दी की याद : हम एक और एक मिलकर ग्यारह हुए
सुधा अरोड़ा | मंगलवार,नवंबर 16,2021
मन्नू दी, आप बहुत खुश हो रही होंगी कि आखिर आपने मुझे मात दे ही दी और अकेले ही अपने सफर पर निकल गईं। कितना डरती थी आप ...
महिला दिवस विशेष : घृणित सोच, बलात्कार से ज्यादा खतरनाक है
सुधा अरोड़ा | बुधवार,नवंबर 20,2019
मुकेश नामक अपराधी के सख्त और संवेदनहीन चेहरे को देख कर हिकारत और गुस्सा ही उपजता है ! वह एक बे पढ़ा लिखा अपराधी है जो ...
23 मार्च 1931 का वह मार्मिक मंजर : उस दिन लाहौर की जनता सड़क पर उतर आई थी
सुधा अरोड़ा | शुक्रवार,मार्च 22,2019
बाऊजी रोने लगे -'यह मनहूस शहर अब रहने लायक नहीं रहा। इसने हमसे भगतसिंह की कुर्बानी ले ली। अब हम यहाँ क्यों रहें!'
महिला दिवस विशेष : साहित्य पटल पर नारियां और उनके रचे नारी चरित्र
सुधा अरोड़ा | गुरुवार,मार्च 7,2019
जब नारीवाद नारे और आंदोलन के रूप में चर्चित नहीं था, तब भी नारीवादी लेखन किया गया है।
शहीद भगत सिंह से जुड़ा एक मार्मिक संस्मरण : उस दिन लाहौर की जनता सड़क पर उतर आई थी
सुधा अरोड़ा | बुधवार,सितम्बर 26,2018
चाचा ने कहा -'तुझे पता नहीं, आज सुबह भगतसिंह को फिरंगियों ने फाँसी दे दी है। भगतसिंह को वहाँ का बच्चा-बच्चा जानता था। ...
सुधा अरोड़ा की कविता : मां तुम्हारे लिए सिर्फ एक दिन रखा गया
सुधा अरोड़ा | शुक्रवार,मई 11,2018
मां,
तुम उदास मत होना,
कि तुम्हारे लिए सिर्फ एक दिन रखा गया
जब तुम्हें याद किया जाएगा!
बस, यह मनाओ
कि बचा रहे ...
तुम्हारे लिए सिर्फ एक दिन रखा गया मां
सुधा अरोड़ा | शनिवार,मई 13,2017
मां,
तुम उदास मत होना,
कि तुम्हारे लिए सिर्फ एक दिन रखा गया
जब तुम्हें याद किया जाएगा!
बस, यह मनाओ
कि बचा रहे ...
महाश्वेता देवी संस्मरण : भूख से बढ़कर कोई पढ़ाई नहीं होती
सुधा अरोड़ा | शुक्रवार,जुलाई 29,2016
बंगाल की हमारी बहुत प्रिय लेखिका और कार्यकर्ता महाश्वेता दी ने सदियों से पीड़ित जनजातियों के लिए अपना सारा जीवन और लेखन ...