हिन्दी कविता : हे पार्थ तुम चुनाव करो...
विशाल डाकोलिया | गुरुवार,दिसंबर 22,2016
समर्पण से सत्ता या संग्राम से शहीदी, हे मनुपुत्र तुम चुनाव करो... चाहत कदमबोसी की है, या फूंकोगे रणभेरी, हे पार्थ तुम ...
सिर्फ मोदी ही हैं सटीक विकल्प
विशाल डाकोलिया | सोमवार,नवंबर 3,2014
भाजपा की सभी इस बात पर खिंचाई करते हैं कि उसके नेता मुखर होकर अपने अंतर्विरोध प्रकट कर रहे हैं, पर क्या यही स्वस्थ ...
ये होता है अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना
विशाल डाकोलिया | सोमवार,नवंबर 3,2014
नरेंद्र मोदी को सावधान होना होगा। पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों से लग रहा है कि आडवाणी और उनके विश्वस्त सिपहसालार ...
'गट्स' नहीं 'डबल गट्स' चाहिए मि. केजरीवाल
विशाल डाकोलिया | सोमवार,नवंबर 3,2014
अरविंद केजरीवाल जगह-जगह कहते फिरते हैं कि मुख्यमंत्री कि कुर्सी छोड़ने के लिए गट्स (guts) चाहिए। कोई इन्हें समझाए कि ...
लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट
विशाल डाकोलिया | सोमवार,नवंबर 3,2014
कैसे बीतेंगे आने वाले पाँच बरस, यह तय करेगा आपका एक वोट, फिर ना कोई सोए भूखा, कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट।