अनुशासन और चींटी पर कविता
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | गुरुवार,दिसंबर 14,2017
चल-चलकर चींटी ना थकती, करती अनुशासन की भक्ति। खुद से ज्यादा बोझ उठाकर, आसमान को लक्ष्य बनाकर।
वर्तमान परिस्थितियों पर कविता : आजादी जो हम में थी....
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | बुधवार,अगस्त 30,2017
आजादी जो हम में थी, वह मैं में सिमट गई है, अपराधी के कर में भइया, बाजी पलट गई है! कामी, लोभी, लंपट है, सरकार चलाने ...
हिन्दी कविता : अगर बेटी
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | गुरुवार,अगस्त 24,2017
अगर बेटी को सुखी देखना चाहते हैं, तो बहू का सम्मान कीजिए। अगर बीवी से प्यार करते हैं, तो बहन को स्वीकार कीजिए।
कविता : जीएसटी और उसका विरोध
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | गुरुवार,अगस्त 17,2017
जीएसटी और उसका विरोध
सरकार ने जीएसटी लाया,
कंपनियों ने मॉल बनाया
हमने किसी स्टॉकिस्ट से पूछा!
कविता : गणित जीवन का
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | शनिवार,जुलाई 22,2017
गणित जीवन का
जोड़ (+) सदा ऊपर ले जाए
एक-एक मिल भवन बनाए
सरहद के सिपाही की सरकार से अपील
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | सोमवार,अप्रैल 10,2017
आगाज अमन का बहुत हुआ, अंजाम युद्ध हो जाने दो। हर रोज बिखरकर हम रोएं, हो एकसाथ रो लेने दो।
हिन्दी कविता : पतझड़ की एक कली...
रामध्यान यादव 'ध्यानी' | सोमवार,अप्रैल 10,2017
मैं पतझड़ की एक कली, तुम चाहो तो खिल जाऊं। पर ऐसी मेरी चाह नहीं, माले में गुंथी जाऊं। एक यही बस अभिलाषा, मैं सबको गले ...