पेशे की शर्त : संवेदना...
राकेश शर्मा | शनिवार,अगस्त 12,2017
सभी पेशों की अपनी एक नियमावली होती है, जो उस पेशे को अद्वितीय बनाती है, जैसे पुलिस या कानून से जुड़े पेशे के लिए सत्यता ...
आंकड़ों से गरीबी मिटातीं सरकारें...
राकेश शर्मा | शुक्रवार,मई 19,2017
आंकड़ों का नाम सुनकर सबसे पहले दिमाग में जो चीज उभरती है, वो है ऊंचे-नीचे ग्राफ और रेखाओं का जाल। वास्तव में यह जाल ...
जीवन और रिश्तों को निगलती राजनीति
राकेश शर्मा | सोमवार,मार्च 6,2017
भारतीय समाज में राजनीति को प्रबुद्ध वर्ग द्वारा हमेशा से गंदी कीचड़ कहा जाता रहा है, परंतु मैं समझता हूं कि इस कीचड़ में ...
क्या स्त्री का सौन्दर्य केवल पुरुषों की हितपूर्ति का माध्यम है?
राकेश शर्मा | शनिवार,मार्च 4,2017
प्रकृति ने प्रत्येक प्रजाति को अपनी प्रगति तथा जीवित रहने के लिए समान अवसर संतानोत्पत्ति द्वारा दिया है, जो हर ...
फैन और प्रशंसक
राकेश शर्मा | शुक्रवार,मार्च 3,2017
इन दोनों में क्या फर्क है? सामान्य तौर पर इन दोनों शब्दों का एक ही तात्पर्य निकाला जाता है, पर काफी विचार करने के ...
सोशल मीडिया क्या वाकई सोशल है?
राकेश शर्मा | गुरुवार,मार्च 2,2017
आज के वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में यदि फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग से कोई पूछे कि आपने जिस मंशा या जिस उपयोग ...