हिन्दी कविता : ये ढूंढ ही लाता है...
तुषार रस्तोगी | मंगलवार,जून 23,2015
ये पकड़ता है इंसान, ये पालता है आत्मा। ये लांघता है सीमा
ये सताता है कर्म, बर्फ-सा ठंडा, अग्नि-सा गर्म, श्याम-श्वेत ...
हिन्दी कविता : एक सवाल?
तुषार रस्तोगी | सोमवार,जून 15,2015
सांस लेना, प्रार्थना करना। बोलना, खाना-पीना। उठना-बैठना, हंसना-रोना, नाचना-गाना
नारी का चित्रण करती एक कविता : स्त्री
तुषार रस्तोगी | शनिवार,मई 30,2015
स्त्री होना, एक सहज सा अनुभव है। क्यों, क्या
क्या वो सब है, कुछ नहीं। नारी के रूप को सुन, गुन मैं संतुष्ट नहीं ...
नारी पर कविता : मैं यहां नहीं हूं...
तुषार रस्तोगी | मंगलवार,मई 19,2015
मैं हूं नारी, मैं हूं प्रताड़ित। मैं हूं मरती, मैं हूं छिदती। मैं हूं दबती, मैं हूं जलती...
हिन्दी कविता : जीवन क्या है?
तुषार रस्तोगी | शनिवार,मई 2,2015
जीवन, प्रभु की लिखी सुन्दर कविता है। जीवन, खुद के लिए स्वयं लिखी गीता है । जीवन, गर्मी की रात में आती कंपकंपी है, जीवन, ...
हिन्दी कविता : कली
तुषार रस्तोगी | शनिवार,मई 2,2015
सूर्य की पहली रूपहली किरण, जब इस धरातल पर पड़ी। दमक उठा पर्वतों पर उसका सोना, झरनों नदियों में चमकी चांदी की लड़ी...