मां पर कविता
अमरेश सिंह भदोरिया | शनिवार,मई 12,2018
जिंदगी के एहसास में, ओ हर वक़्त रहती, कभी सीख बनकर, कभी याद बनकर,
गजल : परछाईं झूठ की
अमरेश सिंह भदोरिया | गुरुवार,दिसंबर 21,2017
मृग-मरीचिका-सी चाह, मन में पल रही। परछाईं झूठ की यहां, सच को छल रही।
कविता: नदी सदा बहती रही
अमरेश सिंह भदोरिया | शनिवार,दिसंबर 16,2017
हमसे भी और तुमसे भी, तो बढ़ने को कहती रही। नदी सदा बहती रही, नदी सदा बहती रही।
हिन्दी कविता : दीया रात में जलता रहा...
अमरेश सिंह भदोरिया | मंगलवार,दिसंबर 12,2017
संघर्षों में जीवन उसका, हर पल ही ढलता रहा।, दीया रात में जलता रहा,
हिन्दी कविता : पीड़ा...
अमरेश सिंह भदोरिया | सोमवार,दिसंबर 11,2017
वक़्त के थपेड़ों से, घाव जब सिलते हैं। पीड़ा को नित,संदर्भ नए मिलते हैं।
हिन्दी कविता : चेहरा
अमरेश सिंह भदोरिया | गुरुवार,दिसंबर 7,2017
कुटुंब की तस्वीर में, जिसने जीवन रंग भरा। शाम ढले मायूस हुआ, कैसे ओ चेहरा।