मंगलवार, 8 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Hindi Poem on Deep

हिन्दी कविता : दीया रात में जलता रहा...

Hindi Poem on Deep
संघर्षों में जीवन उसका,
हर पल ही ढलता रहा।
दीया रात में जलता रहा,
दीया रात में जलता रहा। 
 
1.
रोशनी के रोजगार में,
रोज सूखती बाती।
हल्की हवा के झोंके से, 
लौ भी हिल-डुल जाती।
 
ख्वाब अंधेरों से लड़ने का,
सपनों में पलता रहा।
दीया रात में जलता रहा,
दीया रात में जलता रहा।
 
2.
काली-काली रातों के,
किस्से काले-काले।
अभाव के हिस्से में,
कब आते यहां उजाले। 
 
समय का हर पाशा उसकी,
किस्मत को छलता रहा।
दीया रात में जलता रहा,
दीया रात में जलता रहा।
 
3.
चांदनी की किरणें भी,
बस मुंडेर तक आतीं।
समता के आंगन में वह,
भेदभाव फैलाती। 
 
खोटी बात है वर्गभेद तो,
ये सिक्का क्यों चलता रहा।
दीया रात में जलता रहा,
दीया रात में जलता रहा।
 
4.
अगर हमारी और तुम्हारी,
होती सोच सयानी।
प्रेमचंद फिर कभी नहीं,
लिखते गोदान कहानी। 
 
बोतल रही पुरानी 'अमरेश',
लेबल ही बदलता रहा।
दीया रात में जलता रहा,
दीया रात में जलता रहा।
ये भी पढ़ें
ताजगी से भर देंगे आपकी सुबह, बस अपनाएं ये 5 टिप्स...