शनि का एक और घेरा मिला
शनि ग्रह का नया वलय खोजा
आपको शायद यह तो पता ही होगा कि शनि ग्रह की पहचान उसके चारों और के घेरों से होती है। अभी तक उसके जितने घेरों के बारे में वैज्ञानिकों को पता है, उससे एक अलग ही घेरे यानी वलय का पाता भी लगाया जा चुका है...वैज्ञानिकों ने शनि ग्रह के चारों ओर एक करोड़ तीस लाख किलोमीटर के दायरे में नया वलय खोजा है। विज्ञान की पत्रिका नेचर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह वलय शनि के ही उपग्रह फोएब से अलग हुए मलबों से बना है। उनका मानना है कि धूल से बना ये मलबा शनि की ओर बढ़ने लगा लेकिन रास्ते में ही यह शनि के ही एक अन्य उपग्रह इयापेटस के संपर्क में आ गया।
इस खोज से ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि अखरोट के आकार वाले इयापेटस का दोनों हिस्सा अलग-अलग क्यों दिखाई देता है। वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के ऐन्नो वेर्बिसर का कहना है, निश्चित रूप से मलबा आमने-सामने टकराया होगा। धूलकण इयापेटस की सतह पर इस तरह चिपक गए जैसे शीशे पर कीड़े चिपके हों। शायद इसीलिए इयापेटस का एक हिस्सा दूसरे हिस्से की तुलना में ज्यादा गहरे रंग का है।इस गहरे रंग वाले हिस्से का आवरण जिन चीजों से बना है वो फोएब की सतह पर पाए जाने वाले पदार्थों से मेल खाता है। नए वलय का आकार स्तब्धकारी है और अब तक सौरमंडल में इस तरह का आवरण नहीं देखा गया। बर्फ और धूल से बना शनि का सबसे चर्चित वलय ई रिंग है जो शनि के एक अन्य उपग्रह इनसेलाडस की परिक्रमा करता है और शनि से इसकी दूरी सिर्फ दो लाख 40 हजार किलोमीटर है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अंतरिक्ष में मौजूद स्पिट्जर दूरबीन इस नए वलय की संरचना को समझाने में मदद करेगा।