वृषभ लग्न: सिंह राशि पर साढ़ेसाती- 5
सिंह पर साढ़ेसाती अन्तिम उत्तम
वृषभ लग्न में सिंह राशि पर कर्क पर शनि के आने से शुरु होगी। शनि तृतीय भाव में सम राशि कर्क में होने से भाईयों का सहयोग मिलेगा वहीं मित्र वर्ग भी सहायक होंगे। शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे, भाग्य में भी वृद्धि होगी। सन्तान, विद्या के क्षेत्र में सफलता रहेगी। धर्म-कर्म के साथ धर्म के कार्य में भी सफलता मिलेगी। बाहरी सम्पर्क जरा संभल कर करें। विदेश में हों तो सावधानी बरतें, यात्रा संभल कर करना होगी। दूसरी साढ़ेसाती सिंह पर शनि के आने से शुरु होगी, शनि यहाँ पर अपने पिता सूर्य की राशि में होने से कुछ कष्टकारी रहेगी। चतुर्थ भाव माता, भवन, भूमि, स्थानिय राजनीति, स्थायित्व, सम्पति का भाव होने से इन सब में कहीं ना कहीं कष्टकारी अवश्य रहेगी। यदि ऐसी स्थिति हो तो इन उपाय को अवश्य अजमाए : - साँप को दूध पिलाएँ, मछ्ली को चावल, दाना आदि डालें, रात को दूध न पिए। श्रमिक वर्ग से अच्छे संबंध बनाकर रखें, भैस पालें। इस प्रकार शनि के प्रभाव से बचा जाकर शुभ फल मिलने लगते है। शनि की तृतीय दृष्टि षष्ट भाव पर उच्च पड़ने से शत्रु नष्ट होंगे। कर्ज की स्थिति में सुधार आएगा, नाना-मामा का सहयोग भी मिलेगा। शनि दशम भाव को यहाँ से सप्तम दृष्टि डालने से व्यापार, नौकरी, राजनीति आदि में परिश्रम पूर्ण सफल होंगे। शनि की दशम दृष्टि लग्न पर मित्र दृष्टि पड़ने से भाग्यवर्धक होकर सफलतादायक होगी। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पारिवारिक मामलों में समझदारी से काम लेने पर उत्तम स्थिति पाएँगे। शनि की उतरती साढ़ेसाती शनि के पंचम भाव पर कन्या राशि पर आने से शुरु होगी जो कि उसकी मित्र राशि है। शनि का गोचरीय भ्रमण दो शुभ भावों के स्वामी त्रिकोणेश से होने के कारण इसका शुभ परिणाम मिलेगा। आपके सभी कार्य सुचारू रुप से होंगे। मान-सम्मान भी बढ़ेगा, व्यापार-व्यवसाय में सफलता मिलेगी। सन्तान पक्ष में सफल होंगे व कार्य भी बनेंगे। शनि की सम दृष्टि एकादश भाव आय पर पड़ने से आर्थिक मामलों में सफल होंगे। शनि की दशम दृष्टि द्वितीय बचत, कुटुंब भाव पर पड़ने से धन की भी बचत होगी, कुटुंब के लोगों से सहयोग मिलेगा। शनि जब मकर, कुंभ, मिथुन, कन्या, वृषभ राशि पर जन्म लग्न में हो तो शुभ परिणाम अवश्य मिलते है। यदि दशा-अन्तरदशा भी शनि की हो तो फिर क्या कहने...।