मेष लग्न: वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती- 8
मेष लग्न में वृश्चिक राशि पर शनि की साढ़ेसाती प्रथम तुला पर शनि के आने से लगेगी। शनि की प्रथम साढ़ेसाती सप्तम भाव से उच्च की होने से अपने जीवन साथी के लिए उत्तम व्यतीत होगी, अविवाहितों के लिए विवाह के योग बनेंगे। दैनिक व्यापार-व्यवसाय में सफलता मिलेगी। यहाँ से शनि की तृतीय दृष्टि गुरु की राशि धनु पर सम होने से भाग्य में मिले-जुले परिणाम देगी, धर्म कर्म में भी मिलीजुली स्थिति रहेगी।शनि की सप्तम दृष्टि लग्न पर नीच पड़ने से स्वास्थ्य में गड़बड़ी रहेगी, मन अशान्त रहेगा। ऐसा काम न करें जिससे अपमान सहना पड़े। शनि की यहाँ से दशम दृष्टि चतुर्थ भाव पर कर्क राशि पर सम पड़ने से पारिवारिक मामलों में सम प्रभाव रहेगा, काम बनेंगे लेकिन थोड़े विलम्ब से। ऐसी स्थिति में मकान बनाने से बचें।शनि की दूसरी ढैया मंगल की राशि वृश्चिक पर होने से हानिपद्र रहेगी, ऐसी साढ़ेसाती वाहनादि से दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकता है। किसी भी कारण अकस्मात खर्चे आ जाते हैं। शनि की यहाँ से तृतीय स्वदृष्टि पड़ने से व्यापार-व्यवसाय में काफी मेहनत के बाद सफलतादायक रहती है। पिता के स्वास्थ्य में गड़बड़ी रहती है। नौकरीपेशाओं को सावधानी रखना चाहिए। शनि की सप्तम दृष्टि धन, कुटुम्ब भाव पर मित्र पड़ने से धन की बचत के योग भी बनेंगे व कुटुम्ब के व्यक्तियों से सहयोग मिलेगा। शनि की दशम शत्रु दृष्टि पंचम भाव पर सूर्य की सिंह राशि पर होने से विद्यार्थी वर्ग को पढ़ाई पर अधिक ध्यान देना होगा, सन्तान को कष्ट रह सकता है।
शनि की अन्तिम साढ़ेसाती नवम भाव पर गुरु की राशि धनु पर सम होने से कष्टों में कमी रहेगी। भाग्योन्नति में भी सफलता मिलेगी। शनि की तृतीय दृष्टि एकादश भाव पर स्वदृष्टि पड़ने से आय के मामलों में सुधार रहेगा। शनि की सप्तम तृतीय भाव पर मित्र दृष्टि बुध की मिथुन राशि पर पड़ने से पराक्रम में वृद्धि, भाइयों का सहयोग, मित्रों से लाभ मिलता है। शनि की दशम षष्ट भाव कन्या राशि पर मित्र दृष्टि पड़ने से शत्रु पक्ष से रहत मिलेगी, मामा पक्ष से सहयोग पाएँगे। अशुभ शनि का प्रभाव हो तो महामृत्युन्जय का जाप करें व शनिवार को सरसों का तेल एक कटोरी में भरकर छाया दान करें। श्मशान के चौकीदार को एक दिन ओढ़ा हुआ कम्बल दान दें। इस प्रकार शनि कष्ट से बचा जा सकता है।