भाग्यशाली होते हैं मूल नक्षत्र वाले
अशुभ नहीं होते हैं मूल नक्षत्र वाले
ज्योतिष शास्त्र में गंडमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है। ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षण में हो तब एक महीने के अंदर जब भी वही नक्षत्र लौटकर आए तो उस दिन गंडमूल नक्षत्र की शांति करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है।
शतपथ ब्राह्मण और तैत्तरीय ब्राह्मण नामक ग्रंथ में बताया गया है कि कुछ स्थितियों में यह दोष अपने आप समाप्त हो जाता है और इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति खुद के लिए भाग्यशाली होते हैं।