हीरा : सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ
ऐसे करें हीरे की पहचान....
हीरा मात्र खनिज रत्नों में ही नहीं अपितु विश्व की सभी वस्तुओं में अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है। हीरा अपने सर्वोपरि गुण कठोरतम होने के कारण, दुर्लभता, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की सुगमता और अत्यधिक प्रचलन के कारण ही सभी रत्नों में श्रेष्ठ है।हीरे तो वैसे अन्य रत्नों की तुलना में सबसे अधिक विश्व भर में लगभग 5 टन प्रतिवर्ष निकाले जाते हैं, परंतु यह प्रायः नीरस, धूमिल, कृष्ण व अपारदर्शक होते हैं। शुद्ध हीरा अति ही अल्प मात्रा में पाया जाता है।
काष्ठ पर यदि पन्ना व पुखराज को रखा जाए तो पन्ना स्वयं दहकने लगता है। पुखराज सूर्य की भांति चमकने लगता है, परंतु यदि हीरे को काष्ठ पर रखा जाए तो उसमें स्वयं का तो कोई परिवर्तन नहीं होता है, परंतु वह काष्ठ अधिक श्वेत, अत्यधिक मनोहर, रवेदार व विशुद्ध दिखाई देता है।हीरा विद्युत का कुचालक होता है। यह सतह पर रगड़ने से धन विद्युत का आवेश उत्पन्न करता है, परंतु हीरा ताप का सुचालक है, इसलिए यह स्पर्श में शीतल प्रतीत होता है।हीरा जल जाता है। ऑक्सीजन गैस से परिपूर्ण शीशे के बर्तन में हीरा रखकर उस पर आतशी शीशे द्वारा सूर्य की किरणें केन्द्रित करने पर जलने लगता है। (इसे सर हम्फ्री डेवी ने सन् 1816 में जलाकर सिद्ध किया था।)