कैसा होगा खग्रास सूर्यग्रहण
श्रावण कृष्ण अमावस्या पर 1 अगस्त को खग्रास सूर्यग्रहण है। ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव भारत के उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी राज्यों पर होगा। मंत्र साधना के लिए यह ग्रहण विशेष फलदायी बताया जा रहा है। यह ग्रहण पुष्य-आश्लेषा नक्षत्र और कर्क राशि में हो रहा है। इसलिए कर्क राशि पर इसका सबसे ज्यादा भार रहेगा। उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिष एवं अनुसंधान केंद्र के संस्थापक पं. कृपाशंकर व्यास का कहना है कि वैसे तो यह सूर्यग्रहण खग्रास है लेकिन भारत में यह खंडग्रास दिखाई देगा। वे कहते हैं कि भूमंडल पर ग्रहण का यथार्थ आरंभ दोपहर 1 बजकर 34 मिनट पर होगा और भारत में विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग समय पर ग्रहण का स्पर्श और मोक्ष रहेगा। इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में ग्रहण 1 अगस्त को शाम 4.17 बजे से 6.02 बजे तक होगा। ग्रहण का पर्व काल 1 घंटा 45 मिनट रहेगा। ग्रहण का प्रभावपं. व्यास का कहना है कि अग्निमंडल नक्षत्र पर ग्रहण होने के कारण रस पदार्थ जैसे दूध, दही, घी, तेल महँगे होंगे। सेवाकर्मी, व्यापारी, जल आधारित वस्तुओं का व्यापार करने वाले ग्रहण के कारण पीड़ित रहेंगे। शेयर बाजार में उछाल आने की संभावना है और सोने-चाँदी के दामों में बढ़ोतरी होगी। साथ ही ग्रहण काल में की गई मंत्र साधना सफल होगी। ग्रहण का प्रभाव तीन माह तक रहता है। ज्योतिर्विद् डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी के अनुसार खंडग्रास सूर्यग्रहण का सूतक एक अगस्त के सूर्योदय पूर्व प्रातः 4 बजे से प्रारंभ होगा। इस समय में व्यक्ति को प्रवास, अन्न, विग्रह, स्पर्श व पूजन का कर्म त्याग करना चाहिए। बालक, वृद्ध, रोगी और गर्भवती स्त्रियों के लिए इस नियम में शिथिलता रहती है। आवश्यक होने पर सामान्य जन इस समय फलाहार, दूध आदि पेय पदार्थ एवं व्रत के समय उपयोग की जाने वाली खाद्य सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। इंदौर में ग्रहण का प्रारंभ सायं 4 बजकर 17 मिनट से होगा एवं मोक्ष सायं 6 बजकर 2 मिनट पर होगा। इस एक घंटे पैंतालीस मिनट की अवधि में व्यक्ति संयमित होकर, मौन रहकर ईश्वर आराधना करे, तो उसमें असीम आध्यात्मिक ऊर्जा का समावेश होगा। ग्रहण काल में जप-पाठ करने से शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है।
पंडित देवेन्द्र सिंह कुशवाह के अनुसार ग्रहण में भोजन, शयन, विनोद, रति क्रीड़ा और मूर्ति स्पर्श आदि िनषेध है। इस दौरान यम-नियम, स्नान, दान, व्रत, अनुष्ठान आदि किए जाने चाहिए। ग्रहण के प्रारंभ में स्नान, मध्य में व्रत-अनुष्ठान और मोक्ष में दान और स्नान अनिवार्य है।यह ग्रहण पुष्य नक्षत्र में होने से शासकों, सचिवों, स्त्रियों, विद्वानों और जल जीविका वालों को पीड़ा देगा। सोना, चाँदी, ताँबा आदि धातु तथा गुड, शेयर और गेहूँ इनमें तीन माह बाद तेजी आएगी। भारत के बिहार, उड़ीसा, आंध्र, पूर्वोत्तर के असम, प. बंगाल, मणिपुर और मेघालय आदि विशेष रूप से पीड़ित रहेंगे।सामान्य जन ग्रहण के समय स्कंद पुराण में वर्णित मंत्र का जाप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मंत्र :उपमर्देलक्ष्ण गुणम् ग्रहणे चंद्र सूर्य यो:पुण्य कोटि गुणम् मध्ये मुक्तिकाले त्वअनंतकम्।। अर्थात इस काल में किया गया पूजा-पाठ अनंत कोटि लाभ प्रदान करता है।प्रभावमेष- शारीरिक कष्टवृषभ- सर्व लाभमिथुन- नुकसानकर्क - भय/कष्टसिंह - हानिकन्या- लाभकारी तुला- शुभ परिणामवृश्चिक - अशुभधनु - कष्टमकर - परेशानी, दांपत्य कष्ट कुंभ - अति शुभमीन - चिंताकारक