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Written By ND

आषाढ़ मास में केवल 8 विवाह मुहूर्त

16 जुलाई को अंतिम लग्न मुहूर्त

आषाढ़ मास
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आषाढ़ मास का अंतिम विवाह लग्न मुहूर्त 16 जुलाई को है। इसके बाद 21 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है। इसके बाद 4 माह तक विवाह मुहूर्त नहीं होने के कारण 16 जुलाई से शहरों-गाँवों में शहनइयाँ नहीं बजेंगी। नवंबर में देवउठनी एकादशी के बाद फिर से विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएँगे।

हिंदी कैलेंडरों के मुताबिक आषाढ़ मास में इस बार विवाह लग्न सीमित होने के कारण ज्येष्ठ माह में भारी मात्रा में शादियाँ संपन्न हुईं। आषाढ़ में कम शादियाँ होने का एक बड़ा कारण यह भी रहता है कि अधिकांश लोग बरसात में विवाह नहीं करना चाहते। 27 जून से आषाढ़ लग गया है। इस माह में अब केवल 8 विवाह मुहूर्त हैं। इस मास में 16 जुलाई को विवाह का अंतिम लग्न है।

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जैसा कि पहले से मौसम विभाग अनुमान लगा रहा था कि इस बार मानसून अच्छा रहेगा और बारिश भी अच्छी होगी। लिहाजा, कई लोगों ने शादी के लिए आषाढ़ के बजाय ज्येष्ठ माह में ही विवाह कराना उचित समझा। पंडितों की माने तो रविवार के बाद 3, 4, 8, 9, 14, 15 व 16 जुलाई को विवाह का मुहूर्त है। इसके बाद 21 जुलाई को विष्णु एकादशी है। इस दिन से देवी-देवता चार माह के लिए शयन करने चले जाएँगे। इसे चातुर्मास भी कहा जाता है।

देवी-देवताओं के चार माह तक विश्राम में जाने की अवधि तक शास्त्रों के मुताबिक सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। लिहाजा 4 मास के लिए विवाह कार्यक्रम में विराम लग जाएगा और इन चार महीनों में शहनाई की गूँज सुनाई नहीं देगी। चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवता शयन से उठेंगे, जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी के बाद फिर से विवाह लग्न प्रारंभ हो जाएँगे।