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  4. to get rid of mangal dosha, should we worship hanumanji or mangaldev
Last Modified: मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 (18:10 IST)

मंगल दोष से मुक्ति के लिए हनुमानजी की पूजा करें या मंगलदेव की?

हनुमान जी
Manglik dosha: जिस भी जातक की कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में है तो उस कुंडली को मांगलिक कुंडली माना जाता है। मंगल तीन प्रकार का माना गया है- सौम्य मंगल, मध्यम मंगल और कड़क मंगल। कहते हैं कि सौम्य मंगल का कोई दोष नहीं, मध्यम मंगल 28 वर्ष की उम्र के बाद उसका दोष समाप्त हो जाता है। कड़क मंगल के दोष की शांति कराना चाहिए और इन्हीं लोगों को विवाह के संबंध में कुंडली मिलान करने की आवश्यकता बताई जाती है।ALSO READ: मंगलवार को करें ये अचूक उपाय, बजरंगबली की कृपा से शादी से लेकर नौकरी और व्यापार में अड़चने होंगी दूर
 
मंगल का वार और प्रकृति: मंगल का वार मंगलवार है। मंगलवार की प्रकृति उग्र है। ज्योतिष के अनुसार मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है और इनका वार भी मंगल ही है। मंगल मकर में उच्च, कर्क में नीच का होता है और मेष एवं वृश्चिक का वह राशि का स्वामी है।
 
मंगल ग्रह के देवता: मंगलवार का दिन हनुमानजी और मंगलदेव का है। मंगल ग्रह के देवाता भी ये दोनों ही है। लाल किताब के अनुसार मंगल नेक अर्थात शुभ के देवता हनुमानजी है और अशुभ अर्थात बद मंगल को वीरभद्र की संज्ञा दी गई है। कुछ जगह बद के देवता वेताल, भूत या जिन्न को भी माना गया है। मंगलदेव को भूमि पुत्र कहा गया है। इनकी पूजा करने से भी मंगलदोष में लाभ मिलता है परंतु कहा जाता है कि हनुमानजी की पूजा करने से मंगल किसी भी प्रकार का हो वह नेक बन जाता है। यानि मंगल शुभ होकर शुभ फल देता है। मांगलिक दोष के जातकों में क्रोध की अधिकता रहती है और उनकी बुद्धि पर ताले लगे रहे हैं। हनुमानजी की पूजा करने से यह सभी तरह के दोष समाप्त हो जाते हैं।
 
मंगल नेक: कुंडली में यदि मंगल की स्थिति अच्छी है तो भाई, मित्र और रिश्तेदारों से संबंध अच्छे रहते हैं और जातक उच्च पद पर आसीन होता है। हर कार्य में मंगलकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए मंगलवार का उपवास रखना चाहिए। जो मंगलवार का उपवास और हनुमानजी की पूजा करता रहता है उसे कभी भी शनि का डर नहीं सताता है। मंगल नेक होता है वे उच्च पद पाते हैं, सेना में अधिकारी बनते हैं, पुलीस में किसी बड़े पद पर होते हैं, खिलाड़ी होते हैं या किसी साहसिक कार्य में रत होते हैं। ALSO READ: मंगल ग्रह का रंग लाल क्यों? अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा
 
मंगल बद: माना गया है कि बद मंगल के जातक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और वह स्वभाव से जिद्दी एवं उग्र हो सकता है। जिनका मंगल बद होता है वे या तो गुंडे, अपराधी होते हैं, क्रोधी या अक्खड़ किस्म के लोग होते हैं जो दिनभर गृहकलह करते रहते हैं। मंगल बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है। एक आंख से दिखना बंद हो सकता है। शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। 
 
मंगल के बारे में और जानकारी: 
चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है। सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता। 
 
मंगल को शुभ माना गया है जैसे एक ही भाव में सूर्य व बुध की बुधादित्य युति हो, तो मंगल शुभ होता है। सूर्य-बुध मिलकर मंगल नेक, सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद। इसके सूर्य, चंद्र और गुरु मित्र हैं। बुध और केतु शत्रु। शुक्र, शनि और राहु सम। मंगल के साथ शनि अर्थात राहू।
 
इसके अतिरिक्त सूर्य षष्ठ भाव में हो, सूर्य, शनि या बृहस्पति 3, 4, 8 या 9 में स्थित हो, शनि व राहु या शनि व केतु की युति एक भाव में हो, बुध व केतु एक भाव में हों अर्थात दो शत्रु ग्रह की युति एक भाव में हो, चंद्र लग्न, चतुर्थ, जाया या राज्य भाव में हो, पराक्रम, सुख अथवा अष्टम भाव में चंद्र हो अथवा चंद्र मंगल हों अथवा चंद्र शुक्र हों अथवा चंद्र मंगल शुक्र हों अथवा शुक्र हो अथवा मंगल शुक्र हों तथा मंगल के परम मित्र (सूर्य, चंद्र, गुरु) उनकी सहायता कर रहे हों तो यह स्थिति शुभ होती है।