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Nirjala Ekadashi 2021 : निर्जला एकादशी के दिन कामधेनु-अनुष्ठान से मिलेंगे शुभ परिणाम

Nirjala Ekadashi 2021 : निर्जला एकादशी के दिन कामधेनु-अनुष्ठान से मिलेंगे शुभ परिणाम - nirjala ekadashi kamdhenu anushthan
Nirjala Ekadashi 2021
 
प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को 'निर्जला एकादशी' व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 21 जून 2021 को होगा। निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में श्रेष्ठ होती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि इस व्रत को पांडवों में से एक भीमसेन ने निर्जल व निराहार रहकर किया था जिससे उन्हें संपूर्ण वर्ष की एकादशी के व्रतों के समतुल्य फल मिला था।
 
इस व्रत को करने से समस्त वर्षपर्यंत एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है। यदि इस दिन कामधेनु अनुष्ठान किया जाए तो यह सैकड़ों अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायक होती है। कामधेनु गाय का हमारे सनातध में धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। यह समस्त कामनाओं को पूर्ति करने वाली होती है। 
 
आइए अब जानते हैं कि निर्जला एकादशी के दिन इस कामधेनु अनुष्ठान को कैसे संपन्न किया जाए।
 
समय- प्रात:काल
 
सामग्री- कलश, कांस्य पात्र, स्वर्ण/चांदी की गाय की प्रतिमा, गंगाजल/नर्मदाजल, सप्तधान्य, सर्वोषधि, श्वेत वस्त्र, स्वर्ण मोती/ चांदी का सिक्का, घी, दीपक, भगवान विष्णु प्रतिमा, नैवेद्य, फल, दूर्वा।
 
विधि- सर्वप्रथम प्रात:काल स्नान करने के उपरान्त एक चौकी पर कांस्य पात्र को स्थापित करें।
 
उस कांस्यपात्र में सप्तधान्य व स्वर्ण मोती डालें।
 
कांस्य पात्र को वस्त्र से ढंक दें।
 
तदुपरांत एक कलश में गंगाजल/नर्मदाजल भरकर उसमें चांदी का सिक्का व सर्वोषधि डालें।
 
अब कांस्य पात्र के ऊपर श्वेत वस्त बिछाकर उसपर स्वर्ण/चांदी की कामधेनु (गाय की प्रतिमा) को स्थापित करें।
 
अब घी का दीपक प्रज्जवलित करें।
 
दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कामधेनु गाय (स्वर्ण/रजत प्रतिमा) की षोडषोपचार पूजन करें।
 
कामधेनु के पूजन के उपरांत भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन कर विष्णुसहस्त्रनाम व पुरुषसूक्त का पाठ करें।
 
इसके पश्चात कांस्य पात्र, जल कलश व कामधेनु को किसी योग्य विप्र को दान देकर उपवास रखें। इस विधि से निर्जला एकादशी के दिन कामधेनु अनुष्ठान करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]
 
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