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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 (16:21 IST)

जगन्नाथ मंदिर से मिले हैं 10 ऐसे संकेत जो बता रहे हैं कि कैसा होगा भारत का भविष्य

jagannath puri mandir se milte hai bhavishya ke sanket
Jagannath Mandir Ke Sanket: ओडिशा का पुरी शहर सप्तपुरियों में से एक है और इसे धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है। यहीं पर स्थित है विश्‍व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर और तांत्रिक शक्तिपीठों का मुख केंद्र विमला शक्तिपीठ। जगन्नाथ मंदिर में प्राचीनकाल में श्रीहरि विष्णु नीलमाधव के रूप में विराजमान थे। बाद में यह स्थान उन्हीं के 8वें अवतार भगावन कृष्ण का धाम बन गया।  जगन्नाथ मंदिर को सबसे चमत्कारी मंदिर माना गया है जहां कि हर एक घटना भविष्य का संकेत देती है। यहां पर प्रतिवर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की विश्‍व प्रसिद्ध रथ यात्रा निकाली जाती है।ALSO READ: बड़ी खबर: जगन्नाथ मंदिर के ध्वज को ले उड़ा गरुड़, अनहोनी की आशंका
 
जगन्नाथ मंदिर के 11 चमत्कार:
1. हवा के विपरीत लहराता ध्वज
2. गुंबद की छाया नहीं बनती
3. गुब्बद का नीलचक्र सभी दिशाओं से एक जैसा आता है नजर
4. तट से समुद्र की ओर चलती है हवा
5. 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं। सबसे ऊपर वाले बर्तन का चावल पहले पकता है।
6. मंदिर में नहीं सुनाई देती है समुद्र की ध्वनि
7. बाहर की दुर्गंध भी नहीं आती भीतर
7. रूप बदलती हैं मूर्तियां
8. हनुमानजी करते हैं जगन्नाथ की समुद्र से रक्षा
9. प्रति 12 वर्ष में मंदिर की मूर्ति बनती है चमत्कारिक तरीके से
10. कठिन तरीके से होता है प्रतिवर्ष रथों का निर्माण 
11. रथयात्रा के पूर्व प्रभु को आ जाता है बुखार
जगन्नाथ पुरी मंदिर से मिलते हैं भविष्य के शुभ और अशुभ घटनाओं के संकेत (Signs of the future meet from Jagannath Puri temple):
1. जगन्नाथजी का अपमान: जब भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा, मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी। जगन्नाथ मंदिर में प्रतिवर्ष नवकलेवर की रस्म होती है। इस रस्म में पुरानी मूर्तियों को बदलकर नई मूर्तियां स्थापित की जाती है। कहते हैं कि 1996 के बाद 2015 में इस रस्म को लेकर पुजारियों में झगड़ा हो गया था। जिसकी वजह से यह रस्म देरी से हुई। ओड़िशा में कई लोगों ने इसे भगवान जगन्नाथ के अपमान और परंपराओं को खंडित करने के तौर पर देखते हैं। इसके बाद यहां की अव्यवस्था सभी के सामने उजागर हुई।ALSO READ: जगन्नाथ रथयात्रा के बारे में 25 खास बातें जानिए
 
2. गुंबद के पत्‍थर: जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद से नीचे पत्थर गिरेंगे। कहते हैं कि वर्ष 1842 से लेकर अब तक लगभग 15 से 16 बार जगन्नाथ पुरी से पत्थर गिरने की घटना हो चुकी है।ALSO READ: भविष्य मालिका की अब तक कितनी भविष्यवाणी सच हुई है?
 
3. बरगद का पेड़: ओड़ीसा में चक्रवाती तूफान से जगन्नाथ मंदिर का कल्पवृक्ष यानी पवित्र बरगद का पेड़ गिर जाएगा और इसके बाद दुनिया में लाखों लोग मरने लगेंगे। ओड़िसा में मई 2019 में फानी नाम का एक तूफान आया था जिसमें यह बरगद का पेड़ गिर गया था। उन्नीस के अंत में ही करोना महामारी का प्रकोप प्रारंभ हुए था और लोगों के मरने का सिलसिला प्रारंभ हो गया।
jagannath temple
4. ध्वज का गिरना : जगन्नाथ मंदिर का झंडा कई बार गिरेगा और एक चक्रवाती तूफान के कारण झंडा समुद्र में जा गिरेगा। मई 2019 में चक्रवाती तूफान फानी के कारण यह घटना घट चुकी है। इसके बाद मई 2020 में भी यह घटना घट चुकी है। 
 
5. नीलचक्र का टेड़ा होना: जगन्नाथ मंदिर का नीलचक्र यानी सुदर्शनचक्र तूफान से टेड़ा हो जाएगा। मई 2019 में समुद्री तूफान फानी के कारण यह विशालकाय चक्र टेड़ा हो गया था। 
 
6. ध्वज का जलना: जगन्नाथ पुरी के मंदिर के ध्वज में आग लग जाएगी। 19 मार्च 2020 को पापनाशक एकादशी के दिन मंदिर के परिसर में महादीप लगाया गया था। अचानक हवा चलने से ध्वज उड़कर महाद्वीप के पास चला आया और उसमें आग लग गई। उस समय इसे बहुत बड़ा अनिष्ट माना गया था। उसके पांच दिन बाद देश में पहला लॉकडाउन लग गया था। इसके बाद ही भारत में दूसरी लहर का ऐसा मंजर देखा गया जिसने त्राही मचा दी थी। चारों तरफ चिताएं जल रही थीं।
 
7. त्रिदेव के वस्त्र : मंदिर परिसर में त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है उसमें आग लग जाएगी। मंदिर परिसर में यह घटना भी कई बार हो चुकी है। 
 
8. गिद्धा का गुंबद पर बैठना : मंदिर के शिखर पर और एकाश्म स्तंभ पर गिद्ध बैठेगा। कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के शिखर के आसपास कभी भी किस पक्षी को उड़ता नहीं देखा गया और न ही इसके आसपास कोई प्लेन या हेलिकॉफ्टर उड़ाया जाता है। लेकिन मंदिर के उपर जुलाई 2020 और इसके बाद दिसंबर 2021 में गिद्ध, चील और बाज‍ दिखाई दिए। मंदिर के शिखर, ध्वज, एकाश्म स्तंभ और नीलचक्र पर ये पक्षी बैठे हुए दिखाई दिए थे। 
 
9. रक्त के धब्बे : जगन्नाथ के मंदिर में बार-बार रक्तपात होगा, खून के धब्बे मिलेंगे। यह घटना भी घट चुकी है। मंदिर परिसर में बार बार खून के धब्बे मिल रहे हैं। कभी झगड़ों के कारण तो कभी किसी अन्य रहस्यमयी वजह के चलते खून के धब्बे देखे गए। कई बार मंदिर का शुद्धिकरण करके महानुष्ठान किया गया है।
 
उपरोक्त सभी भविष्वाणियां सत्य हो गई हैं। इसका मतलब यह कि कलयुग का अंत आ चुका है और विनाश का समय अब प्रारंभ होगा। भारत के कुछ राज्यों में प्राकृतिक आपदा के साथ ही जातीय संघर्ष के कारण राजनीतिक उथल पुथल होगी और सत्ता परिवर्तन भी होगा।
 
1. भविष्य मालिका में लिखा है कि शनि जब मीन राशि में जाएगा तब भारत का समय खराब शुरू होगा। ढाई वर्ष तक अराजकता रहेगी।
2. जब गगन गादी संभालेंगे तब जगन्नाथ का मंदिर समुद्र के जल में डूब जाएगा। मंदिर क्या संपूर्ण ओड़िशा में जल प्रलय होगी। 
3. भविष्यवाणी के अनुसार एक संत के हाथों में होगी देश की बागडोर जो अविवाहित होगा। वही संपूर्ण क्षत्रप होगा।
4. जब गगन गादी पर होंगे और ओड़िसा के दिव्यसिंह राजा गादी पर होंगे तब भारत पर आक्रमण होगा। ओड़िशा पर जो बम गिराएं जाएंगे वह काम नहीं नहीं करेंगे। भारत ही अंत में जीत जाएगा।
5. रशिया से सैंकड़ों लोग जगन्नाथजी के दर्शन करने आएंगे और ढेर सारा सोना अर्पित करेंगे।
 
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ओड़िसा के राजा दिव्यसिंह गजपति गादी पर विराजमान हैं और गगन नामक सेवक भी जगन्नाथ मंदिर की गादी पर विराजमान हैं। ओड़िसा में ऐसी जनश्रुति है कि वर्ष 2024 से लेकर 2033 तक दुनिया में सबकुछ बदल जाएगा।
 
जगन्नाथ पुरी का किराया कितना है? पुरी कैसे पहुंचें?
- पुरी पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध है।
- देश के हर बड़े शहरों से पुरी का रेलवे स्टेशन जुड़ा हुआ है। यहां पर आप सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
- आपके शहर से डायरेक्ट पुरी के लिए कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो आप भुवनेश्वर ट्रेन से पहुंचकर पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
- भुवनेश्वर से पुरी की दूरी मात्र 60 किलोमीटर और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है।
- यदि आपका पुरी तक पहुंचने का माध्यम हवाई जहाज है तो इसका नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर है।
 
डिस्क्लेमर : उपरोक्त जानकारी विभिन्न स्रोत पर आधारित है। इसकी आधिकारिक पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है।