वैशाख माह की अमावस्या को क्यों कहते हैं सतुवाई अमावस्या  
					
					
                                          सतुआ अमावस्या का धार्मिक और मौसमी महत्व जानें
                                       
                  
				  				
								 
				  
                  				  Significance of Satuwai Amavasya: वर्ष 2025 में 27 अप्रैल, रविवार को वैशाख या सतुवाई अमावस्या मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यतानुसार वैशाख माह की अमावस्या को सतुवाई अमावस्या कहने के पीछे मुख्य कारण इस दिन सत्तू का विशेष महत्व होना है। इस दिन सत्तू का दान करना और उसका सेवन करना बहुत शुभ माना जाता है।
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		यह तिथि सतुवाई अमावस्या इसीलिए कहलाती हैं, क्योंकि 'सतुआ' शब्द का अर्थ भुने हुए चने या जौ से बने 'सतुआ' यानी सत्तू से होता है। और गर्मी के मौसम में यह सत्तू शरीर को ठंडक और ऊर्जा देता है। यह पचने में आसान होता है।
 				  
		 
		इसके अतिरिक्त कुछ अन्य संभावित कारण भी हो सकते हैं: जैसे कि...
		 
 				  						
						
																							
									  
		* मौसम: वैशाख माह में गर्मी की शुरुआत होती है और सत्तू शरीर को ठंडक प्रदान करता है। इसलिए इस समय सत्तू का महत्व बढ़ जाता है। अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होने के कारण सत्तू का दान इस दिन विशेष रूप से किया जाता है, जिससे इसे सतुवाई अमावस्या कहा जाने लगता है।
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		* परंपरा: कुछ क्षेत्रों में इस अमावस्या से जुड़ी विशेष परंपराएं हो सकती हैं, जिनमें सत्तू का उपयोग प्रमुखता से किया जाता हो। लेकिन आपको बता दें कि सतुवाई अमावस्या नाम मुख्य रूप से कुछ क्षेत्रों में ही प्रचलित है और अधिकांश स्थानों पर इसे वैशाख अमावस्या या दर्श अमावस्या के नाम से ही जाना जाता है। इसे कई जगहों पर सतुआ अमावस्या भी कहा जाता है।
 				  																	
									  
		 
		बढ़ती गर्मी के इस मौसम में लोग इस दिन से सत्तू, कच्चे आम का पना और ठंडी चीज़ें खाना शुरू करते हैं। इतना ही नहीं इसके धार्मिक महत्व को देखें तो सतुवाई अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण, दान-पुण्य और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। और इस तिथि पर सत्तू, चना, जल, ककड़ी, आदि का दान करना पुण्यदायी माना जाता है।
 				  																	
									  
		 
		इस तरह वैशाख अमावस्या को सतुवाई अमावस्या कहने का मुख्य कारण इस दिन सत्तू के दान और सेवन का विशेष महत्व होना है, खासकर गर्मी के मौसम को देखते हुए इसका महत्व और बढ़ जाता है।
 				  																	
									  
		 
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