शनिवार, 28 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Goga Navmi 2021
Written By

आज मनेगी गोगा नवमी, जानिए इस दिन क्या करते हैं

आज मनेगी गोगा नवमी, जानिए इस दिन क्या करते हैं - Goga Navmi 2021
Goga Navmi 2021
 
 
 
मंगलवार, 31 अगस्त 2021 को गोगा नवमी पर्व मनाया जाएगा। इसे गुग्गा नवमी भी कहा जाता है। वाल्मीकि समाज में अपने आराध्य देव वीर गोगादेव जी महाराज का जन्मोत्सव गोगा नवमी के रूप में परंपरागत श्रद्धा-भक्ति और उत्साह एवं उमंग के साथ हर्षोल्लासपूर्वक मनाया जाता है। यह त्योहार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान में खासतौर पर मनाया जाता है, क्योंकि यह पर्व राजस्थान का लोकपर्व है। ज्ञात हो कि गोगा नवमी का त्योहार भारत के अन्य कई राज्यों में भी मनाया जाता है। 
 
गोगा देव महाराज से संबंधित एक किंवदंती के अनुसार गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने ही इनकी माता बाछल को प्रसाद रूप में अभिमंत्रित गुग्गल दिया था जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से गोगा देव (जाहरवीर) का जन्म हुआ। यह पर्व बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। 
 
इस दिन भक्त अपने घरों में जाहरवीर पूजा और हवन करके उन्हें खीर तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है तथा यह पूजा-पाठ 9 दिनों तक चलता है यानी नवमी तिथि तक गोगा देव का पूजन किया जाता है इसलिए इसे गोगा नवमी कहते हैं।
 
कई स्थानों पर हर वर्ष जन्माष्टमी और गोगा नवमी पर जाटी, जिसे राजस्थान में खेजड़ी नाम से जाना जाता है और गोगा के पौधे की पूजा की जाती है और पूजा किए गए पौधों को विधि-विधान से जल में प्रवाहित किया जाता है। गोगा नवमी के संबंध में यह मान्यता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सर्पभय नहीं रहता है। ऐसा माना जाता है कि वीर गोगा देव अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाने वाला गोगा नवमी का यह त्योहार बहुत प्रसिद्ध है।

गोगा नवमी 2021
 
नवमी तिथि मंगलवार, 31 अगस्त 2021 को 2:00 AM से शुरू होकर 01 सितंबर, 2021 सुबह 4:23 बजे पर नवमी तिथि समाप्त होगी। 
 
पूजन कैसे करें- 
 
- भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर रोजमर्रा के कामों से निवृत्त होकर खाना आदि बना लें।
 
- भोग के लिए खीर, चूरमा, गुलगुले आदि बना लें। 
 
- जब महिलाएं वीर गोगा जी की मिट्टी की बनाई मूर्ति लेकर आती हैं तब इनकी पूजा होती है। 
 
- मूर्ति आने पर रोली, चावल से तिलक लगाकर बने हुए प्रसाद का भोग लगाएं। कई स्थानों पर तो गोगा देव की घोड़े पर चढ़ी हुई वीर मूर्ति होती है जिसका पूजन किया जाता है।
 
- गोगा जी के घोड़े के आगे दाल रखी जाती है।
 
- ऐसा माना जाता है कि रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों को जो रक्षासूत्र (राखी) बांधती हैं, वह गोगा नवमी के दिन खोलकर गोगा देव जी को चढ़ाई जाती है।
 
- इस दिन भक्त अपने घरों में जाहरवीर पूजा और हवन करके उन्हें खीर तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं।
 
- इस दिन गोगा जी का प्रिय भजन गाया जाता है-
 
भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,
गोगा पीर दिल के अंदर, थारी मैडी पे मैं आया,
मुझ दुखिया को तू अपना ले, ओ नीला घोड़े आळे।
मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,
वो बाछला मां का लाला वो है, नीला घोड़े वाला,
दुखियों का सहारा गोगा पीर।
 
इस तरह के कई भजन और गीत गाकर गोगा देव का गुणगान किया जाता है।
 
इस अवसर पर बाबा जाहरवीर (गोगाजी) के भक्त अपने घरों में ईष्टदेव की वेदी बनाकर अखंड ज्योति जागरण कराते हैं तथा गोगा देवजी की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। इस प्रथा को जाहरवीर का जोत कथा जागरण कहा जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मेले लगते हैं व शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। कई शहरों में पूरी रात निशानों का यह कारवां निकलता है। 

ये भी पढ़ें
एकादशी पर क्या खाएं और क्या नहीं, जानिए