बुधवार, 2 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Friday Night Remedy For Money Benefits
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 18 अगस्त 2023 (08:41 IST)

शुक्रवार की रात को करें ये खास उपाय, धन की कमी दूर होगी

mata santoshi ka vrat
Astro tips Shukrawar Ke Upay: शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी, माता काली और संतोषी माता का दिन होता है। इस दिन व्रत रखने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि आप स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति चा‍हते हैं तो आपको शुक्रवार के दिन खटाई बिलकुल भी नहीं खानी चाहिए। 
 
शुक्रवार की रात को करें ये खास उपाय: 
  • शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के 8 विविध स्वरूपों के दर्शन और पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं। तथा जीवन में वैभव, सुख, ऐश्वर्य, आरोग्य, विजय और सफलता मिलती है। 
  • इस दिन रात्रि में मां लक्ष्मी के समक्ष दीपक और धूप जलाने व गुलाब का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • शुक्रवार की रात को ‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः: स्वाहा’ इस मंत्र की माला का जाप करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • लक्ष्मी जी की कृपा जल्दी प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों को शुक्रवार को कम से कम 3 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिला कर कुछ पैसे दक्षिणास्वरूप देने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर उनकी इच्छा पूर्ण करती है। 
  • शुक्रवार को शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के शुद्ध घी का दीया जलाते समय यदि इसमें रुई की बाती के स्थान पर लाल रंग के सूती धागा उपयोग किया जाएं और थोड़ी केसर डाल कर दीप प्रज्वलित करने से तुरंत प्रभाव दिखाई देता है।
 
शुक्रवार का दिन माता संतोषी के साथ ही माता लक्ष्मी और माता कालिका का दिन भी होता है। माता संतोषी भगवान गणेशजी की पुत्री हैं। ज्योतिष के अनुसार शुक्र हमारे जीवन में स्त्री, वाहन और धन सुख को प्रभावित करता है। यह एक स्त्री ग्रह है। कहते हैं कि इसके शुभ प्रभाव के कारण जातक ऐश्वर्य को प्राप्त करता है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
ये भी पढ़ें
सिंधारा दोज क्या है और क्यों मनाया जाता है ये पर्व?